HC ने कहा- मंदिर में पुरुष कर सकते हैं प्रवेश तो महिलाएं क्यों नहीं

Update: 2016-03-30 13:57 GMT

मुंबई: अहमदनगर के शनि शिगनापुर मंदिर में महिलाओं के लगी रोक पर बंबई हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट का कहना है कि अगर मंदिर में पुरुष प्रवेश कर सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं?

महिलाओं ने दायक की थी याचिका

दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता नीलिमा वर्तक और सामाजिक कार्यकर्ता विद्या बल ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने शनि शिग्नापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को हटाने की मांग थी।

‘महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण राज्य सरकार का कर्तव्य’

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को डीएच वाघेला और न्यायमूर्ति एमएस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि अगर मंदिर में पुरुष प्रवेश कर सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं। महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करना राज्य सरकार का कर्तव्य है।

महिलाओं को प्रवेश करने से रोकने पर मिलेगी सजा

अदालत ने कहा कि अगर आप भगवान की शुद्धता को लेकर चिंतित हैं तो सरकार को ऐसा कोई बयान देने दीजिए। महाराष्ट्र हिन्दू पूजास्थल (प्रवेश अधिकार) कानून 1956 के तहत अगर कोई मंदिर या व्यक्ति किसी व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश से रोकता है तो उसे छह महीने की सजा हो सकती है।

हाईकोर्ट ने सरकारी वकील को दिया आदेश

हाईकोर्ट ने वकील अभिनंदन वग्यानी को आदेश दिया कि वह शुक्रवार को इस बाबत अपना बयान दें कि क्या मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दी जानी चाहिए।याचिका में महिलाओं को केवल मंदिर नहीं बल्कि गर्भगह के अंदर प्रवेश की मांग की गई है।

400 साल पुराना है यह मंदिर

आपको बता दें कि 400 साल पुराने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है।जनवरी माह में लगभग 400 महिलाओं ने जबरदस्ती मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।

 

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