सीमा विवाद का खुलासा: चीन की कायरना हरकतों की वजह, सिर्फ ये है मकसद

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन में चल रहे विवाद को लेकर एक प्रभावशाली अमेरिकी थिंक-टैंक ने कहा है कि चीन का तत्काल लक्ष्य दक्षिण एशिया में भारत की हर प्रकार की चुनौती को सीमित करना और अमेरिका के साथ उसके तेजी से मजबूत होते संबंधों को बाधित करना है।

Update: 2020-06-18 12:44 GMT

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन में चल रहे विवाद को लेकर एक प्रभावशाली अमेरिकी थिंक-टैंक ने कहा है कि चीन का तत्काल लक्ष्य दक्षिण एशिया में भारत की हर प्रकार की चुनौती को सीमित करना और अमेरिका के साथ उसके तेजी से मजबूत होते संबंधों को बाधित करना है। बता दें, अमेरिका कोरोना महामारी के इस दौर में हरदम भारत के साथ खड़ा रहा है। ऐसे में चीन के हिंसात्मक व्यवहार पर अमेरिका पूरी तरह से भारत के साथ है।

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ऐसे में ‘हडसन इंस्टीट्यूट’ की ‘कोरोना के दौर में अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता का वैश्विक सर्वेक्षण’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की पाकिस्तान के साथ मजबूत साझीदारी और श्रीलंका के साथ मजबूत संबंध क्षेत्र में प्रभुत्व की चीन की योजनाओं के लिए अहम है।

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वृहद रणनीतिक लक्ष्य

इसके साथ ही इस सप्ताह जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया है कि खाड़ी एवं पश्चिमी हिंद महासागर में अमेरिका की श्रेष्ठता को चुनौती देने के चीन के वृहद रणनीतिक लक्ष्य के लिए दक्षिण एशिया बहुत महत्वपूर्ण है।

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सामने आई रिपोर्ट में इस बात का अध्ययन किया गया है कि चीन दुनिया में राजनीतिक, रणनीतिक एवं आर्थिक लाभ के लिए वैश्विक महामारी का इस्तेमाल करने की किस प्रकार कोशिश कर रहा है।

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साझीदारी को बाधित करना

इसके अलावा रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दक्षिण एशिया में चीन का तत्काल लक्ष्य विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की हर प्रकार की चुनौती को सीमित करना और अमेरिका के साथ उसकी तेजी से मजबूत होती साझीदारी को बाधित करना है।''

चीन मुद्दे पर इस रिपोर्ट में बताया गया कि दक्षिण एशिया में चीन के लिए भारत असल चुनौती है।‘‘भारत परम्परागत रूप से चीन को अपने से उच्च समझने के बजाए समान समझता है और वह बीजिंग के लक्ष्यों को लेकर सचेत है और अपने क्षेत्र में चीन के घुसने की कोशिशों को संदेह से देखता है।

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आर्थिक एवं सैन्य क्षमताएं

वहीं चीन के साथ क्षेत्र को लेकर विवाद के कारण संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। इससे सहयोगात्मक माहौल के बजाए प्रतिद्वंद्वी माहौल पैदा होता है।’’

इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हालांकि इसके लिए भारत को अमेरिका और जापान जैसे सहयोगियों की मदद की आवश्यकता है। यदि अमेरिका चाहता है कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के तौर पर भूमिका निभाए और यदि वह चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है, तो भारत की आर्थिक एवं सैन्य क्षमताएं विकसित करना अहम होगा।

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