16 जनवरी से आरंभ हो सकता है संसद का बजट सत्र, 1 फरवरी को बजट पेश करने की तैयारी

संसद का बजट सत्र नए साल में जनवरी महीने की 16 तारीख या उसके बाद किसी भी दिन बुलाया जा सकता है। आम बजट चूंकि फरवरी महीने की पहली तारीख को पेश करने का ऐलान हो चुका है।

Update:2016-12-24 21:39 IST

उमाकांत लखेड़ा

नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र नए साल में जनवरी महीने की 16 तारीख या उसके बाद किसी भी दिन बुलाया जा सकता है। आम बजट चूंकि फरवरी महीने की पहली तारीख को पेश करने का ऐलान हो चुका है। ऐेसी दशा में बजट के पहले गणतंत्र दिवस समारोहों को देखते हुए इस बार बजट सत्र के टाइम टेबल को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

संसद सचिवालय के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, संसदीय कार्य मंत्रालय ने सत्र की तारीखों को लेकर अनौपचारिक चर्चा पहले ही शुरू कर दी है। लोकसभा स्पीकर और संसद सचिवालय के साथ आगामी सत्र के समन्वय को लेकर विचार विमर्श के बाद जल्द बजट सत्र के लिए नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा।

बता दें, कि बजट सत्र का आरंभ प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण से शुरू होगा। उसी दिन उनका भाषण संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखने की औपचारिकता के बाद आगे संसद के कार्य दिवसों की घोषणा हो जाएगी। मुमकिन है कि संसद भवन के बाहर 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम के दो दिन पहले इसकी अंतिम रिहर्सल के बाद सोमवार 30 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा।

सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, चूंकि संसद भवन के आसपास इंडिया गेट और उसके बाहर कई क्षेत्रों तक सुरक्षा का पूरा तामझाम संसद सत्र के दिनों में आड़े आएगा इसलिए संसद सत्र आरंभ होने से लेकर बजट पेश किए जाने की तय तारीख यानी 1 फरवरी तक बीच में कुछ दिन संसद की बैठकें नहीं होंगी।

जैसे कि राजपथ पर जिस दिन परेड रिहर्सल या 24 जनवरी से पहले फुल ड्रेस रिहर्सल होगी और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड से लेकर बीटिंग रिट्रीट तक संसद सत्र के टाईम टेबल को उसी हिसाब से अंतिम रूप दिया जा रहा है।

देश के संसदीय इतिहास में पहला मौका होगा जब सरकार ने देश में आम बजट पेश करने की तारीखें फरवरी महीने की अंतिम तारीख के बजाए अगले वित्तीय वर्ष का बजट इस बार से 1 फरवरी को पेश करने का बड़ा फैसला लिया। बजट प्रस्तावों को लागू करने का वक्त अगले वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल से 31 मार्च के लिए तय होता है।

बता दें कि मोदी सरकार ने बजट 1 फरवरी को पेश करने की परंपरा कई बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए की है। जैसे कि बजट पेश होने के बाद विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित समितियां बजट के प्रावधानों पर चर्चा करके उन्हें अंतिम रूप देती हैं। पहले जब बजट फरवरी के अंत में पेश किया जाता था तो विभिन्न मंत्रालयों की समितियों को बजट पर आंतरिक विचार विमर्श करने का मौका नहीं मिल पाता था।

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