दुर्गेश पार्थसारथी
चंडीगढ़ : पंजाब में शाहकोट विधानसभा की सीट पर हुए उपचुनाव के परिणामों ने कई सियासी सवालों को जन्म दिया है। इस उपचुनाव में कांग्रेस ने शिरोमणि अकाली दल का करीब 21 साल पुराना किला ढहा दिया। कांग्रेस प्रत्याशी हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया ने शिअद प्रत्याशी नायब सिंह कोहाड को 38 हजार वोटों से हराकर कांग्रेस का परचम लहराया। सबसे बुरी हालत तो आप प्रत्याशी रतन सिंह की रही जो कि जमानत भी नहीं बचा सके। आप प्रत्याशी को मात्र 1900 वोटों से संतोष करना पड़ा। दस बूथों पर आप का खाता तक नहीं खुला। अब यह माना जाने लगा है कि पंजाब में अपनी साख बचाने के लिए आप को नई जमीन तलाशनी होगी।
यह सीट अकाली दल के विधायक अजीत सिंह कोहाड के निधन के बाद खाली हुई थी, जिस पर 28 मई को मतदान हुआ था। चुनाव जीतने वाले कांग्रेस प्रत्याशी हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया पर अवैध रेत खनन का मामला दर्ज कर रातोंरात चर्चा में एक थानेदार परमिंदर सिंह बाजवा ने चुनाव पूर्व सूबे की सियासत गरमा दी थी।
जालंधर जिले में आने वाली शाहकोट विधानसभा सीट पर 42 डिग्री तापमान में 76.60 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि इस सीट पर 2017 के आम चुनाव में 78.60 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार के चुनाव में भी अवैध शराब बांटने जैसी शिकायतें मिलीं। चुनाव लड़ रहे तीनों प्रमुख दलों कांग्रेस, अकाली-भाजपा व आम आदमी पार्टी ने एक-दूसरे पर शराब बांट कर मतदाताओं को प्रभावित करने के आरोप लगाए। मुख्य चुनाव अधिकारी एसव करुणा राजू की मानें तो 43 शिकायतें मिलीं। वैसे तो देश में लोकसभा की चार और विधानसभा की दस सीटों पर उपचुनाव हुए, लेकिन यह चुनाव पंजाब की राजनीति में अहम मायने रखता है। खास तौर से आम आदमी पार्टी के लिए जिसका सपना ही दिल्ली के बाद पंजाब फतह करना था। उपचुनाव के नतीजे ने पंजाब में कांग्रेस को और मजबूती दी है।
यह भी पढ़ें : हिमाचल में तलाशे जा रहे नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन
चुनाव नतीजे आने से करीब 15 दिन पहले जिस कांग्रेस प्रत्याशी पर मामला दर्ज हुआ था उसी कांग्रेस प्रत्याशी शेरोवालिया ने शिरोमणि अकाली दल का करीब 21 साल पुराना किला ढहा दिया। उन्होंने शिअद प्रत्याशी नायब सिंह कोहाड को 38 हजार वोटों से हराकर कांग्रेस का परचम लहराया। उल्लेखनीय है कि इस सीट पर 2017 के आम चुनाव में अजीत सिंह कोहाड ने 46913 वोट हासिल कर कांग्रेस प्रत्याशी को उसकी जमीन दिखाई थी। इसके साथ कांग्रेस ने पंजाब में अपनी जीत का क्रम जारी रखा है। चाहे वह स्थानीय निकाय के चुनाव रहे हों या उपचुनाव। वैसे भी राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पंजाब में उपचुनाव वही जीतता है, जिसकी सूबे में सरकार होती है।
अपने ही घर में हारे अकाली प्रत्याशी
उपचुनाव में 43944 वोट पाने वाले अकाली दल उम्मीदवार नायब सिंह कोहाड अपने ही गांव में चुनाव हार गए। नायब सिह अपने पैतृक गांव कोहाड कलां में कांग्रेस प्रत्याशी हरदेव सिंह शेरोवालिया से 78 वोट कम मिले। उल्लेखनीय है कि इससे पहले आम आदमी के 2017 के चुनाव में इस सीट से प्रत्याशी रहे डॉक्टर अमरजीत सिंह उपचुनाव से ठीक पहले आप छोड़कर अकाली दल में शामिल हो गए, लेकिन वह भी शिअद को जीत नहीं दिला पाए। जानकारों का मानना है कि अमरजीत सिंह अकाली दल में शामिल जरूर हो गए पर आप का वोट ट्रांसफर कराने में नाकाम रहे। नतीजतन आप का वोट कांग्रेस को चला गया, जिस कारण 21 साल बाद इस सीट पर कांग्रेस का झंडा लहराया है।
जमानत भी नहीं बचा पाई आप
शाहकोट उपचुनाव के नतीजों ने आप को पंजाब में सोचने पर मजबूर कर दिया है क्योंकि 2017 के आम चुनाव में इसी सीट पर पार्टी के प्रत्याशी डॉक्टर अमरजीत सिंह को 41010 वोट मिले थे। उसी सीट पर करीब एक साल बाद हुए उपचुनाव में आप अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई। दस मतदान केंद्रों पर आप उम्मीदवार रतन सिंह को एक भी वोट नहीं मिला। पूरे बूथों पर मिले वोटों की बात की जाए तो आप को मात्र 1900 वोटों से संतोष करना पड़ा। चुनाव हारने के बावजूद अकाली दल ने 2017 के मुकाबले इस बार 2170 मतदाता ही खोए। पंजाब में आप नेतृत्व ने इस हार के लिए अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया। आप नेताओं का कहना है कि यदि केजरीवाल बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी नहीं मांगते तो सूबे में पार्टी की यह हालत नहीं होती।
हार के लिए केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया
लोकसभा चुनाव में इसी पंजाब से 4 सीटें जीतने वाली आप पंजाब में सरकार बनाने का सपना देखती रही,लेकिन वह महज 20 सीटों पर ही सिमट कर रह गईा इसके बाद हुए दो उपचुनावों में चौथे स्थान पर रहीं, जबकि निगम चुनावों में भी कोई करिश्मा नहीं कर पाई। अब हालत यह हो गई है कि पंजाब में पार्टी का चेहरा माने जाने वाले भगवंत मान व एसएच फुल्का कहीं नजर नहीं आ रहे जबकि विधानसभा में पार्टी नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने तो आप उम्मीदवार की जमानत जब्त होने के पीछे पार्टी संयोजक केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया है।
खैहरा का कहना है कि केजरीवाल के माफी मांगने की वजह से पार्टी से जुड़े लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसलिए उन लोगों ने कांग्रेस को वोट किया। खैर जो भी हो आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अपनी साख बचाने के लिए पंजाब में नई जमीन तलाशनी होगी।