CAA पर जनता की ऐसी मिसाल, किया ऐसा काम हो रही चर्चा

नागरिकता कानून मामले में योगी सरकार ने प्रदर्शनकारियों से वसूली के निर्देश दिए हैं, तो वहीं कुछ ऐसे भी आमजन हैं, जिन्होंने खुद आगे बढ़ कर सरकार की मदद की।

Update:2019-12-28 14:33 IST

बुलंदशहर: एक ओर नागरिकता कानून के खिलाफ (CAA protest) लोगों ने सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचा कर सरकार और प्रदेश को नुकसान पहुँचाया, जिसके बाद योगी सरकार ने प्रदर्शनकारियों से इसकी वसूली के निर्देश दिए हैं, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश (Bulandshahr) में कुछ ऐसे भी आम जन हैं, जिन्होंने खुद आगे बढ़ कर सरकार की आर्थिक मदद की।

बुलंदशहर की जनता ने पेश की मिसाल:

दरअसल, नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुँचाया, जिसको लेकर प्रदेश की योगी सरकार ने पुलिस प्रशासन को वीडियो और फोटो के जरिये आरोपियों की पहचान कर नुकसान की भरपाई करने के आदेश दिए हैं। इसी कड़ी में आरोपी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ रिकवरी नोटिस भेज कर वसूली की जा रही है।

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अब इस पूरे प्रकरण में बुलंदशहर की जनता है प्रदेश के लिए बड़ा उदहारण पेश किया। लोगो ने मिल कर 6 लाख से ज्यादा रुपये एकत्र कर डीएम रविन्द्र कुमार के सुपुर्द किये।

लोगों ने शनिवार को डीएम रविन्द्र कुमार और एसएसपी संतोष कुमार से मिल कर 6.27 लाख का डिमांड ड्राफ्ट सौंपा।

उपद्रवियों ने पुलिस वैन को लगा दी थी आग

गौरतलब है कि उपरकोट क्षेत्र में 20 दिसंबर को हिंसक प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इस दौरान उपद्रवियों ने पुलिस वैन को भी आग लगा दी थी। जिसके बाद कोतवाली शहर क्षेत्र के एक स्थानीय नेता शकीललुल्लाह और मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि मंडल ने डीएम से मुलाक़ात की। उन्होंने अधिकारियों से भविष्य में हिंसा न करने का विश्वास दिलाया।

मामले में एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने कहा, 'यह एक सकारात्मक कदम है। इसने हमें दंगाइयों को नुकसान की भरपाई के लिए नोटिस भेजने की लंबी प्रक्रिया से बचा लिया है।' बताया जा रहा है कि एक स्थानीय पार्षद के पति ने बैठक के दौरान सरकार की मदद का ये उपाय बताया था, जिसके बाद लोगो ने मिल कर पैसे एकत्र किये। सूत्रों के मुताबिक़, इस बैठक में स्थानीय लोगों ने एक नई पुलिस वैन की पेशकश भी की थी। जिस वैन में आग लगी थी, उसका वही मॉडल उपलब्ध नहीं था। ऐसे में स्थानीय लोगों ने प्रशासन को उसकी कीमत सौंपने का फैसला किया।

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