नई दिल्ली : वैश्विक संपर्क में सतत वृद्धि के साथ-साथ हिंदी अनुवाद रोजगार के तमाम अवसर प्रदान कर रहा है। जरूरत है भाषा का उत्तम ज्ञान और व्याकरण की समझ। आज लगभग हर अंग्रेजी फिल्म हिंदी व अन्य भाषाओं में डब हो कर रिलीज की जाती है। इसके अलावा अंग्रेजी के दिग्गज लेखकों की किताबें बड़ी आसानी से हिंदी के पाठकों तक पहुंच रही हैं। दर्शकों और पाठकों को यह नियामत अनुवाद के जरिये ही मिलती है। एक वक्त हेय दृष्टि से देखा जाने वाला अनुवाद का काम अब एक पेशेवर रूप अख्तियार कर गया है। यह रोजगार का एक बड़ा माध्यम बन गया है। लेकिन अनुवाद का काम मेहनत और गहरी समझ का है। संभावनाएं भरपूर हैं, बस जरूरत है तो उन्हें भुनाने की।
मार्केटिंग और नेटवर्किंग जरूरी
अनुवाद का काम पाने के लिए सिर्फ प्रतिभा और कौशल ही जरूरी नहीं है बल्कि मार्केटिंग और नेटवॄकग भी खासी भूमिका निभाते हैं। असल में कई कंपनियां ऐसी हैं जो थोक में काम लेती हैं और उसे फ्रीलांसर में बांटती हैं। अनुवाद की फीस का बड़ा हिस्सा बिचौलिये ले जाते हैं। ऐसे में संगठित और नियमित बाजार न हो पाने की कीमत इसकी बुनियाद समझे जाने वाले अनुवादकों को चुकानी पड़ती है। अनुवादकों को बड़े पैमाने पर काम देने वाले प्रकाशकों का कहना है कि आज भी लोग हिंदी में अनुवाद को तब अपनाते हैं, जब उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं होता। ऐसे में वे जुनून और दिलचस्पी के साथ काम न करके महज खानापूर्ति में लगे होते हैं। इसका बढिय़ा विकल्प है अनुवाद करने वालों और अनुवाद कराने वालों के बीच सेतु का काम करने वाली वेब साइट्स। ग्रेंगो, फ्रीलांसर, प्रोकैफे जैसी तमाम साइट्स हैं। आप किसी सर्च इंजन पर अंग्रेजी में लिखें - ट्रांसलेशन वर्क तो दर्जनों साइट्स सामने आ जायेंगी। अपना ब्यौरा साइट्स पर भरिये और इंतजार कररिये। आपके पास काम के आफर आने लगेंगे, दूसरा तरीका है साइट पर दिये गये काम के बारे में बोली लगाना। अपा अपनी फीस कोट करिये और अगर कंपनी को पसंद आया तो स्वयं संपर्क करेगी।
संभावनाएं
ऐसा नहीं कि अचानक ही अनुवाद के क्षेत्र में संभावनाएं पैदा हुई हैं, वक्त के साथ इसका दायरा बढ़ा है। परंपरागत रूप से अनुवाद किताबों के प्रकाशन और सरकारी कामकाज तक ही सीमित रहा है। मगर वैश्वीकरण और इन्फोटेनमेंट ने इसे एक नया क्षितिज दिया है। डिस्कवरी, नैशनल ज्योग्राफिक जैसे इन्फोटेनमेंट चैनलों के आने और हिंदी में डब फिल्मों के बढ़ते चलन ने अनुवादकों के लिए नई राहें खोल दीं हैं। इस वजह से अनुवादकों की मोलभाव की क्षमता बढ़ी है और उन्हें अपेक्षाकृत अच्छा मेहनताना मिल रहा है। इसके साथ ही एनजीओ, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और कारोबारी जगत को भी हिंदी के सहारे की बड़ी जरूरत है। कंपनियों को अपनी बात ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए विज्ञापन से लेकर ब्रॉशर तक हिंदी में प्रकाशित कराने पड़ते हैं। इसकी वजह से भी अनुवाद के कार्यक्षेत्र का जबरदस्त विस्तार हुआ है। अनुवाद के लिए प्रति शब्द एक रुपए से १० रुपए का भुगतान होता है। कई विदेशी भाषाओं के प्रकाशक जैसे कि पेंगुइन, हार्पर कॉलिंस और पियरसन का अधिकांश काम अनुवाद पर ही आधारित है। ये प्रकाशक फ्रीलांसर के अलावा फुल टाइम अनुवादक रखते हैं।
अनुवाद में कॅरियर बनाने के लिए प्रमुख संस्थान
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, न्यू महरौली रोड, नई दिल्ली
कोर्स : स्पेनिश-अंग्रेजी, हिन्दी-अंग्रेजी, रूसी-अंग्रेजी
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, मैदान गढ़ी, नई दिल्ली
कोर्स : हिन्दी-अंग्रेजी (6 माह)
भारतीय अनुवाद परिषद, स्कूल लेन, बंगाली मार्कीट, बाबर रोड, नई दिल्ली
कोर्स : हिन्दी-अंग्रेजी (एक वर्षीय)
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा,उ. प्र.
कोर्स : हिन्दी-अंग्रेजी (एक वर्षीय)
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, कैलाश कालोनी,
नई दिल्ली
कोर्स : हिन्दी-अंग्रेजी (एक वर्षीय)