CBI Investigation Process: सीबीआई कैसे करती है जांच, कैसे जुटाती है सबूत, जानें सब कुछ

CBI Investigation Process: साल 1941 में बना विशेष पुलिस दल का नाम 1963 में बदलकर सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) कर दिया गया।

Update:2022-08-20 19:48 IST

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन: Photo- Social Media

CBI Investigation Process: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (Central Bureau of Investigation) यानी सीबीआई (CBI) काफी समय बाद एक फिर से सुर्खियों में है। हाल-फिलहाल में एक अन्य केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (Enforcement Directorate) की हाईप्रोफाइल लोगों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई ने जमकर सुर्खियां बटोरी थीं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Deputy Chief Minister Manish Sisodia) के घर पर 15 घंटे की रेड कर सीबीआई वापस से चर्चा में है।

सीबीआई की टीम ने शुक्रवार सुबह को दिल्ली समेत देश के सात राज्यों में 21 ठिकानों पर शराब नीति घोटाले को लेकर छापेमारी की थी। सीबीआई की एफआईआर में डिप्टी सीएम सिसोदिया के अलावा कई आईएएस अधिकारी, बिजनेस मैन और कंपनियों के नाम शामिल हैं।

इस जांच एजेंसी की कार्य़प्रणाली को लेकर काफी बवाल हो चुके हैं। पश्चिम बंगाल (West Bengal) जैसे कुछ विपक्ष शासित राज्यों ने अपने यहां सीबीआई की इंट्री पर रोक तक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी एकबार इसकी कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए कठोर टिप्पणी की थी। शीर्ष अदालत ने इस जांच एजेंसी को फटकार लगाते हुए 'पिंजरे में बंद तोता' और 'मालिक की आवाज़' बता दिया था। ताजा कार्रवाई को लेकर भी दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने सवाल खड़े किए हैं और केंद्र सरकार पर इस जांच एजेंसी के जरिए डराने का आरोप लगाया है। तो आइए एक नजर सीबीआई की स्थापना, इसके अधिकार और कार्यक्षेत्र पर एक नजर डालते हैं।

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन: Photo- Social Media

सीबीआई की स्थापना (Establishment of CBI)

भारत के अधिकतर संस्थानों की तरह सीबीआई की जड़े भी ब्रिटिश काल (British period) के दौर से जुड़ी हुई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, द्वीतीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान ब्रिटिश सरकार सैन्य साजो समान के खरीद में भारी भ्रष्टाचार से परेशान थी। युद्ध के भारी भरकम बोझ से परेशान सरकार के नुमाइंदे जमकर अपनी जेबें भर रहे थे। इनके खिलाफ रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की जांच के लिए सामान्य पुलिस नाकाफी साबित हो रहे थे। इसलिए साल 1941 में ऐसे मामलों की प्रभावी जांच के लिए एक विशेष पुलिस प्रतिष्ठान का गठन किया गया था। बाद में इसे भारत सरकार की एक एजेंसी के रूप में औपचारिक रूप से दिल्ली पुलिस विशेष स्थापना अधिनियम,1946 को लागू करके इसकी जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के हाथों में दे दी गई।

साल 1941 में बना विशेष पुलिस दल का नाम 1963 में बदलकर सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) कर दिया गया। मगर काम के सारे नियम 1946 में बनाए गए दिल्ली पुलिस विशेष स्थापना अधिनियम के अनुसार ही किया जाता है। सीबीआई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों, भ्रष्टाचार के मामलों और राष्ट्रीय हितों से संबंधित अपराधों की भारत सरकार की तरफ से जांच करती है।

सीबीआई का कार्यक्षेत्र (Scope of CBI)

दिल्ली पुलिस विशेष स्थापना अधिनियम,1946 के मुताबिक, सीबीआई केवल उन अपराधों की जांच कर सकती है जो केवल केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित हैं। यह एजेंसी किसी राज्य सरकार की सहमति के बिना किसी भी क्षेत्र में अपनी शक्तियों और अधिकर क्षेत्र का उपयोग नहीं कर सकती है। यानी संबंधित राज्य में किसी भी प्रकार की जांच शुरू करने के लिए उसे राज्य सरकार की सामान्य अथवा विशिष्ट सहमति की आवश्यकता होगी। डीएसपीई अधिनियम 1946 की धारा 2 के तहत केवल केंद्र शासित प्रदेशों में अपराधों की जांच के लिए सीबीआई को शक्ति प्राप्त है। इसके अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तरत मामालों में सीबीआई स्वयं कार्रवाई कर सकती है।

सीबीआई जांच कैसे शुरू करती है ? (How does CBI start investigation?)

यदि किसी केस की जांच सीबीआई को करनी है तो उसके दो तरीके होते हैं, पहला तरीका है कि केंद्र सरकार इसके लिए सीबीआई को जांच का आदेश दे सकती है और दूसरा भारत की कोई अदालत सीबीआई को यह आदेश दे सकती है। राज्यों के मुख्यमंत्री भी केंद्र सरकार से सिफारिश कर सीबीआई जांच करवा सकते हैं।

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन: Photo- Social Media

अपराध के हिसाब से सीबीआई की अंदर बनी है शाखाएं

1. एंटी करप्शन डिवीजन - केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों, केंद्रीय पब्लिक उपक्रमों और केंद्रीय वित्तीय संस्थानों से जुड़े भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से संबंधित मामलों की जांच करने के लिए।

2. इकोनॉमिक्स ऑफेंस डिवीजन – बैंक धोखाधड़ी, वित्तीय धोखाधड़ी, आयात –निर्यात और विदेशी मुद्रा अतिक्रमण, नारकोटिक्स, पुरातन वस्तुएं, सांस्कृतिक संपत्ति की बढ़ती तस्करी और विनिषिद्ध वस्तुओं आदि की तस्करी से संबंधित।

3. स्पेशल क्राइम डिवीजन - आतंकवाद, बम धमाके, संवेदनात्मक मानव वध, मुक्ति धन के लिए अपहरण माफिया और अंडरवर्ल्ड द्वारा किए गए अपराध से संबंधित।

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