नई दिल्लीः सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने भारी-भरकम बस्तों से छात्रों को निजात दिलाने का कदम उठाया है। बोर्ड ने खुद से जुड़े सभी स्कूलों को सोमवार को निर्देश दिया कि पहली और दूसरी क्लास के बच्चों को रोज स्कूल बैग लाने से मुक्त रखा जाए। साथ ही इन क्लास के बच्चों को होमवर्क भी न दिया जाए। इसके अलावा और भी कई निर्देश सीबीएसई ने दिए हैं।
सीबीएसई ने और क्या निर्देश दिए?
सीबीएसई ने ये निर्देश भी दिया है कि पहली से आठवीं क्लास के बच्चों की किताबें हल्की होनी चाहिए। स्कूलों से कहा गया है कि वे जबरदस्ती ज्यादा किताबें न खरीदवाएं। साथ ही सभी किताबें और वर्कबुक हार्डबाउंड नहीं होनी चाहिए, यानी इनके कवर भी पतले कागज के हों। इसके अलावा सीबीएसई ने समय-समय पर बच्चों के बैग का वजन भी लेने का निर्देश स्कूलों के प्रबंधन को दिया है।
रोज सारी किताबें न मंगाने को कहा
स्कूलों को ये निर्देश भी दिया गया है कि वे रोज सारी किताबें बच्चों से न मंगाएं। स्कूल के दौरान ही सारे प्रोजेक्ट और एक्टीविटी साथ कराई जाएं और बच्चों को घर से प्रोजेक्ट बनाकर न लाने को कहा जाए। साथ ही टीचरों को निर्देश दिया गया है कि अगर कोई स्टूडेंट किताब या कॉपी नहीं लाता है तो उसे सजा नहीं दी जानी चाहिए। स्कूलों में बेहतर पेयजल की व्यवस्था का निर्देश भी दिया गया है, ताकि बच्चे पानी की बोतल भी न लाएं।
क्या है वजह?
सीबीएसई को लगातार ये शिकायत मिल रही थी कि बच्चों की उम्र के मुकाबले उनका स्कूल बैग भारी होता है। डॉक्टरों से सीबीएसई ने जानकारी जुटाई थी। डॉक्टरों ने भी कहा कि भारी स्कूल बैग की वजह से बच्चों को पीठ और कंधों में दर्द होता है और उनकी रीढ़ की हड्डी में विकार भी हो जाता है। सीबीएसई ने इसके बाद ही ताजा निर्देश जारी किए हैं।