सेना में सबसे बड़ा अधिकारी सीडीएस या फील्ड मार्शल?

सीडीएस ‘फोर स्टार जनरल’ होंगे जिनका वेतन सर्विस चीफ (आर्मी चीफ, नेवी चीफ, एयरफोर्स चीफ) के बराबर होगा। पहले इसे पांच स्टार देने पर विचार हो रहा था। लेकिन फील्ड मार्शल को ही पांच स्टार मिलता है। ऐसा होने से सीडीएस का पद प्रिंसिपल सेक्रेटरी से भी ऊपर हो जाता। यानी सीडीएस वस्तुत: फील्ड मार्शल से नीचे का पद है।

Update:2020-01-02 14:57 IST

जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस बनाए गए हैं। ये एक नया पद है जो रक्षा मंत्रालय में सृजित किया गया है। सीडीएस दरअसल दो पद संभालेंगे - एक तो चेयरमैन ऑफ चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का, जिसके सदस्य तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं। दूूसरा पद होगा नव गठित ‘मिलिट्री अफेयर्स डिपार्टमेंट’ (डीएमए) के प्रमुख का। ये पद बड़ी जिम्मेदारियों वाला होगा क्योंकि इसमें रक्षा मामलों से जुड़े समस्त कामकाज शामिल होंगे।

सीडीएस ‘फोर स्टार जनरल’ होंगे जिनका वेतन सर्विस चीफ (आर्मी चीफ, नेवी चीफ, एयरफोर्स चीफ) के बराबर होगा। पहले इसे पांच स्टार देने पर विचार हो रहा था। लेकिन फील्ड मार्शल को ही पांच स्टार मिलता है। ऐसा होने से सीडीएस का पद प्रिंसिपल सेक्रेटरी से भी ऊपर हो जाता। यानी सीडीएस वस्तुत: फील्ड मार्शल से नीचे का पद है।

यहां जानें सीडीएस के बारे में

सीडीएस के पास सचिव स्तर के अधिकार होंगे। उनके पास वित्तीय अधिकार होंगे और वो फाइल सीधे रक्षा मंत्री को भेज सकते हैं उन्हें रक्षा सचिव के जरिए जाने की जरूरत नहीं होगी। सीडीएस के पद से मुक्त होने के बाद वह कोई सरकारी पद नहीं ले सकेंगे। साथ ही पदमुक्त होने के बाद पांच साल तक बिना इजाजत के कोई प्राइवेट जॉब नहीं कर सकते।

सीडीएस के पास सेनाओं में किसी कमांड का नियंत्रण नहीं होगा। वो सेनाओं के बीच कमांड एंड कंट्रोल के ढांचे में सबसे ऊपर होंगे। उनकी पहुंच सीधे रक्षा मंत्री तक होगी। जरूरत पडऩे पर रक्षा मंत्री से जमीनी टुकडिय़ों तक कम समय में इनपुट पहुंचाना और वहां से कम से कम समय में मंत्रालय तक इनपुट पहुंचे सीडीएस उसे सुनश्चित करेंगे।

ये भी पढ़ें—बड़ा सवाल: लगाये गये करोड़ों पौधे फिर भी हरियाली क्यों नहीं…?

फील्ड मार्शल फाइव स्टार जनरल रैंक का अधिकारी होता है और ये पद भारतीय सेना का सर्वोच्च पद है। ये सेना के सामान्य ढांचे में शामिल नहीं है और वस्तुत: युद्ध कालीन या खिताबी पद होता है।

फील्ड मार्शल के प्रतीक चिन्ह में अशोक की लाट, उसके नीचे कमल के फूलों का गोलाकार लेकिन खुला चक्र और उसके भीतर एक के ऊपर क्रास करके रखा बेटन और खुखरी होती है। सीडीएस के प्रतीक चिन्ह में तलवार, बेटन या स्टार नहीं है। यानी इसे किसी रैंक से जोड़ कर नहीं रखा गया है।

अब तक सिर्फ दो बार फील्ड मार्शल बनाए गए हैं -

सैम मानेकशॉ को जनवरी 1973 में ये रैंक दी गई थी। उनके बाद के.एम. करियप्पा को 28 अप्रैल 1986 को फील्ड मार्शल की रैंक नवाजी गई।

1971 की लड़ाई के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सैम मानकेशॉ को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त करना चाहती थीं लेकिन ब्यूरोक्रेसी और सेनाओं के कमांडरों की आपत्ति के कारण इरादा छोड़ दिया गया। मानेकशॉ जब 1973 में रिटायर हो गए तब उन्हें फील्ड मार्शल की खिताबी रैंक दी गई।

ये भी पढ़ें—अभी-अभी अयोध्या से बड़ी खबर: इस तारीख से शुरू होगा राम मंदिर का निर्माण

फील्ड मार्शल को मृत्यु पर्यंत सेवारत ऑफिसर माना जाता है। लेकिन सीडीएस का कार्यकाल 65 वर्ष की उम्र तक रखा गया है।

किन-किन देशों में है सीडीएस का पद

नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े ज्यादातर देशों में सेनाओं के सर्वोच्च पद पर चीफ ऑफ डिफेंस नियुक्त करने की व्यवस्था है। वर्तमान में ब्रिटेन, इटली, कनाडा, फ्रांस, गांबिया, घाना, नाइजीरिया, स्पेन, श्रीलंका और सियरा लियोन समेत 70 देशों में यह व्यवस्था है।

Tags:    

Similar News