जानें कैसा है अपना संविधान जिससे चलता है देश, अंबेडकर का क्या है इसमें रोल

संविधान  की प्रस्तावना में कहा गया है कि भारत एक संप्रभु देश है। 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसमें संशोधन किया गया था जिसमें तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था।

Update:2019-11-26 09:15 IST

जयपुर: संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि भारत एक संप्रभु देश है। 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसमें संशोधन किया गया था जिसमें तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था। संविधान की प्रस्तावना का निर्माण भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य करने के लिए किया गया। सरकार ने 19 नवंबर, 2015 को राजपत्र अधिसूचना की सहायता से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया था।

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26नवंबर आज संविधान के 70 साल पूरे हो रहे है। देश 70वां संविधान दिवस मनाने जा रहा है। आज से 70 साल पहले सरकार ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया थ। जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है। वे संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे।

 

महत्वपूर्ण बातें...

हमारे संविधान की खासियत है कि इसमें नागरिकों को मिलने वाले अधिकार और कर्तव्य का विसतृत वर्णन है। इसके सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थय़.

जवाहरलाल नेहर, डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थ। हमारा संविधान विश्‍व का सबसे लंबा लिखित संविधान है।इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी।

 

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संविधान के लागू के होते ही समाज को निष्पक्ष न्याय प्रणाली मिली। नागरिकों को मौलिक अधिकारों की आजादी मिली और कर्तव्यों की जिम्मेदारी भी, यह लिखित और विस्तृत है।

भारत के संविधान निर्माता के डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है। यह दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया।

जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं। यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं।

संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षप किए । दो दिन बाद इसे लागू किया गया था। इस दिन स्कूलों में बच्चों को संविधान की प्रस्तावना एवं मौलिक कर्तव्यों की जानकारी दी जाती है।

संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना, समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना है।

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मुख्य बिंदु

*मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता,

*एकल राष्ट्रीयता भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है। राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन।

* समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं, केंद्र एक बौद्ध 'गणराज्य' के समान है। बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव

*भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है।

*दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है।

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डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान

डॉ. भीमराव अंबेडकर को 29 अगस्त, 1947 को संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. उनका मानना ​​था कि विभिन्न वर्गों के बीच अंतर को बराबर करना महत्वपूर्ण था, अन्यथा देश की एकता को बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा। उन्होंने धार्मिक, लिंग और जाति समानता पर जोर दिया था। अंबेडकर ने वर्गों के बीच सामाजिक संतुलन बनाने के लिए आरक्षण प्रणाली की शुरुआत की थी।

25 नवंबर 1949 को संविधान सभा की आख़िरी बैठक में बाबा साहब भीम राव आंबेडकर ने समापन भाषण दिया था। इसमें उन्होंने नव निर्मित राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों का विस्तार से वर्णन करने के साथ ही बड़े संयमित शब्दों में उन चुनौतियों से निपटने के तरीके भी सुझाए।

यहां यह उल्लेखनीय है कि बाबा साहब ने उस समय जिन चुनौतियों को राष्ट्र निर्माण में बाधक करार दिया था, वह आज भी उतनी ही विकरालता के साथ देश के सामने मौजूद हैं। यह उनकी दूरदर्शिता की थी कि वह संविधान सभा के आख़िरी भाषण में आर्थिक और सामाजिक गैरबराबरी के ख़ात्मे को राष्ट्रीय एजेंडे के रूप में सामने लाए।

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