Chandrayaan-2: चांद से टकराया था 'विक्रम' लैंडर, अब ISRO को सता रहा ये डर

क्या तेजी से चांद से टकराने की वजह से लैंडर को कोई नुकसान पहुंचा है, इस सवाल पर सिवन ने कहा है कि वे अभी इस बात को नहीं जानते हैं। प्रयास किया जा रहा है कि जल्द ही इसका पता चले।

Update: 2023-04-08 11:55 GMT

बेंगलुरु: तमाम अटकलों, उम्मीदों के बीच इसरो ने चंद्रयान-2 के 'विक्रम' लैंडर को चांद की सतह पर खोज निकाला है। इसके साथ ही रविवार को इसरो प्रमुख के. सिवन ने मीडिया से कहा है कि देखकर यही अनुमान होता है कि विक्रम लैंडर जाकर चांद की सतह से टकरा गया है।

इसके साथ उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि विक्रम लैंडर की प्लान की गई लैंडिंग सॉफ्ट नहीं रही।

इसके साथ ही मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि हां, हमने चांद की सतह पर लैंडर को खोज लिया है। यह जरूर चांद की सतह पर तेजी से गिरा होगा।

हो सकता है बड़ा नुकसान...

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क्या तेजी से चांद से टकराने की वजह से लैंडर को कोई नुकसान पहुंचा है, इस सवाल पर सिवन ने कहा है कि वे अभी इस बात को नहीं जानते हैं। प्रयास किया जा रहा है कि जल्द ही इसका पता चले।

हालांकी कई अंतरिक्ष जानकारों के मुताबिक तेजी से चांद से टकराने की वजह से विक्रम लैंडर को हुए नुकसान हो सकता है, इस बात से कोई इंकार नहीं किया जा सकता है।

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अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कहा...

वहीं कुछ अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि लैंडर ने अपनी एक निर्धारित गति से चांद पर लैंडिंग न की हो या उसने चारों पैरों पर लैंडिंग न की हो। जिसके चलते उसे झटका लगा हो और नुकसान पहुंचा हो।

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लैंडर के अंदर है रोवर 'प्रज्ञान'...

मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि रोवर प्रज्ञान अभी भी लैंडर के अंदर है। यह बात चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड कैमरे के जरिए खींची गई लैंडर की तस्वीर को देखकर पता चलती है।

साथ ही इसरो ने यह भी बताया कि चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर जो कि पूरी तरह से सुरक्षित है और सही तरह से काम कर रहा है। वह चंद्रमा के चक्कर लगातार लगा रहा है।

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इसरो के हेडक्वार्टर की ओर से आया था बयान...

बताते चलें कि इससे पहले बेंगलुरु स्थित इसरो के हेडक्वार्टर की ओर से यह बयान भी जारी किया गया था कि ऑर्बिटर का कैमरा सबसे ज्यादा रिजोल्यूशन वाला (0.3m) कैमरा है।

जो अभी तक किसी भी चंद्र मिशन में इस्तेमाल हुए कैमरे से ज्यादा अच्छी रिजोल्यूशन वाली तस्वीर खींच सकता है। खास बात यह है कि यह तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय विज्ञान समुदाय के लिए बहुत ज्यादा काम की हो सकती हैं।

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