चौरी-चौरा कांड: महामना ने लड़ा क्रांतिकारियों का मुकदमा, 140 को कराया था बरी
ब्रिटिश हुकूमत से नाराज भारतीयों ने 4 फरवरी, 1922 को एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। इस घटना में 170 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी मगर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने हाईकोर्ट में अपनी जोरदार बहस से 140 लोगों को बरी कर दिया था।
लखनऊ: भारतीय स्वाधीनता संग्राम को जिन घटनाओं ने काफी हद तक प्रभावित किया उनमें चौरीचौरा कांड भी काफी उल्लेखनीय है। इस घटना में ब्रिटिश हुकूमत से नाराज भारतीयों ने 4 फरवरी, 1922 को एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। इस घटना में 22 पुलिस कर्मियों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। इस घटना में 170 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी मगर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने हाईकोर्ट में अपनी जोरदार बहस से 140 लोगों को बरी कर दिया था।
घटना में मारे गए थे 22 पुलिसकर्मी
गोरखपुर के पास स्थित चौरीचौरा कस्बे के लोगों में ब्रिटिश हुकूमत के प्रति काफी नाराजगी थी। उस समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन चरम पर चल रहा था, लेकिन इसी दौरान चौरीचौरा की बड़ी घटना हो गई। ब्रिटिश हुकूमत से नाराज लोगों ने चौरीचौरा में एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए। चौरीचौरा की इस घटना का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर काफी बड़ा असर पड़ा क्योंकि महात्मा गांधी ने इस घटना के बाद असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
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शताब्दी वर्ष पर बड़ा आयोजन
चौरीचौरा में हुई इस घटना की याद में गुरुवार को बड़ा आयोजन किया जा रहा है। चौरीचौरा शताब्दी वर्ष पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अलावा कई अन्य गणमान्य लोग हिस्सा लेंगे। इस मौके पर चौरीचौरा की घटना की याद में डाक टिकट का विमोचन भी किया जाएगा।
बहस के लिए खुद उतरे महामना
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का भी चौरीचौरा कांड से गहरा कनेक्शन है। चौरीचौरा की घटना के बाद कड़ी कार्रवाई की गई थी और इस मामले में 170 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इन लोगों को फांसी की सजा से बचाने के लिए महामना खुद हाईकोर्ट में बहस करने के लिए उतरे थे।
15 साल बाद पहना था गाउन
महामना मालवीय के प्रपौत्र जस्टिस गिरधर मालवीय का कहना है कि जब इस मामले में बहस की बारी आई तो कई नामी गिरामी वकीलों ने हाथ खड़े कर दिए। तत्कालीन कांग्रेस वर्किंग कमेटी और मोतीलाल नेहरू ने महामना से स्वाधीनता संग्राम सेनानियों का मुकदमा लड़ने की अपील की। लोगों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए करीब 15 साल बाद महामना ने गाउन पहना। उन्होंने हाईकोर्ट में जोरदार बहस की और 170 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से 140 लोगों को बरी करा दिया। बहस करने के लिए जब महामना हाईकोर्ट में पहुंचे थे तो उस समय के चीफ जस्टिस ने खड़े होकर महामना का तीन बार अभिवादन किया था।
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इसलिए भड़क उठा था चौरीचौरा में गुस्सा
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी को पूरे देश से समर्थन मिला था। उस समय चौरीचौरा ब्रिटिश कपड़ों और अन्य सामानों की बड़ी मंडी हुआ करता था। स्थानीय बाजार में भी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा था। आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस ने दो नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इसके खिलाफ हजारों प्रदर्शनकारियों ने 4 फरवरी 1922 को थाने के सामने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस की ओर से की गई फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए।
इससे लोगों का गुस्सा और भड़क उठा। गोलियां खत्म होने पर पुलिसकर्मी थाने में छिप गए। साथियों की मौत से नाराज लोगों ने पूरे पुलिस स्टेशन को फूंक दिया जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए। इस घटना से महात्मा गांधी को इतना दुख पहुंचा कि उन्होंने अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था।
अंशुमान तिवारी