Cheetah In India: 70 साल बाद अब फिर दिखेंगे चीते, मध्य प्रदेश के जंगलों की बढ़ेगी रौनक
Cheetah In India: भारत में चीता बसाने के लिए दक्षिण अफ्रीका के साथ समझौता हो चुका है। इस साल अगस्त में पांच-छह चीतों के पहले बैच मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किया जाएगा
Cheetah In India: भारत में 70 साल विलुप्त हो चीता को फिर से लाने की दशकों से चल रही योजना अब फलीभूत होने वाली है। इस साल अगस्त में पहली बार चीतों के एक बैच को दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से भारत स्थानांतरित किया जाएगा। पांच-छह चीतों के पहले बैच को दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (Kuno National Park in Madhya Pradesh) में स्थानांतरित किया जाएगा। यह पहली बार है कि एक बड़े मांसाहारी जीव का अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण होगा। बताया जाता है कि शुरुआत में चार जोड़ा चीते आएंगे।
भारत में चीता (cheetah in india) बसाने के लिए दक्षिण अफ्रीका के साथ समझौता हो चुका है और सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment) की एक टीम इस समय दक्षिण अफ्रीका में है। वहां से विशेषज्ञों की टीम 15 जून को भारत पहुंचेगी और स्थानान्तरण की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के लिए कुनो नेशनल पार्क का दौरा करेगी।
इस प्रोजेक्ट में पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment ) राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) के साथ-साथ भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) के साथ समन्वय कर रहा है, जो भारत सरकार (India Government) की ओर से इस परियोजना का नेतृत्व कर रहा है।
आखिरी चीता
माना जाता है कि 1947 में मध्य भारत में स्थित कोरया (अब छत्तीसगढ़ में) के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव (Maharaja Ramanuj Pratap Singh Deo) ने भारत में अंतिम तीन दर्ज एशियाई चीतों का शिकार किया था और उनको गोली मार दी थी। 1952 में भारत सरकार (India Government) ने देश में चीता को विलुप्त घोषित किया था।
चीता को भारत में फिर से लाने की योजना दशकों से चल रही है लेकिन वर्तमान प्रस्ताव पहली बार 2009 में जारी किया गया था। योजना को 2020 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मंजूरी दी गई थी। विदेश से चीता ला कर कहां बसाया जाए, इसके लिए छह जगहों का मूल्यांकन किया गया था। ये जगहें थीं - राजस्थान का मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और शेरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य और मध्यप्रदेश का गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य, कुनो राष्ट्रीय उद्यान, माधव राष्ट्रीय उद्यान और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य। इसमें से कुनो को चीता स्थानांतरण के लिए सबसे ठीक पाया गया था।
35-40 चीतों को देश भर में अलग अलग साइटों पर स्थानांतरित किए जाने की संभावना
वन्य जीव विशेषज्ञों ने कहा है कि जब अफ्रीकी चीतों का पहला बैच भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल होने में सक्षम हो जाएगा उसके बाद आने वाले दशकों में, 35-40 चीतों को देश भर में अलग अलग साइटों पर स्थानांतरित किए जाने की संभावना है।
15 जून को दक्षिण अफ्रीका व नामीबिया से तकनीकी विशेषज्ञों की टीम आएगी भारत
पर्यावरण मंत्री भूपिंदर यादव (Environment Minister Bhupinder Yadav) ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका (South Africa) और नामीबिया से तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम 15 जून को भारत आएगी। चूंकि वन्यजीवों का व्यापार प्रतिबंधित है, इसलिए इन जानवरों को दो अफ्रीकी देशों द्वारा भारत को उपहार में दिया जा रहा है। अगले कुछ वर्षों के दौरान लगभग 30 चीतों को लाने की योजना है, स्थानान्तरण की समय-सीमा इस आधार पर तय की जाएगी कि अनुकूलन और उत्तरजीविता के मामले में बैच कैसा प्रदर्शन करते हैं।
ईरान से कुछ जानवर लाना चाहती थीं इंदिरा गांधी
चीतों को भारत में वापस लाने का काम लंबे समय से चल रहा है। यह इंदिरा गांधी के समय की बात है जो ईरान से कुछ जानवर लाना चाहती थीं। समय के साथ, यह अब व्यवहार्य भी नहीं रहा क्योंकि ईरान में खुद 30 से कम चीते बचे हैं। वैसे, ईरानी चीता वही प्रजाति है जो कभी भारत में रहती थी। नए प्रस्ताव को सबसे पहले तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयरामन रमेश (Former Environment Minister Jairaman Ramesh) ने यूपीए सरकार के समय में रखा था। एक्सपर्ट्स के अनुसार, उम्मीद है कि भारत में चीतों का रिलोकेशन सफल होगा और इनकी आबादी बढ़ेगी।