Gandhi Sagar National Park: इस बार केन्या से लाये जाएंगे चीते, एक और अभयारण्य तैयार

Gandhi Sagar National Park: उम्मीद की जा रही है कि इस बार केन्या के साथ समझौता हो जाएगा और इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में नए चीते आ जाएंगे।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-09-09 12:13 IST

Gandhi Sagar National Park

Gandhi Sagar National Park: दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के बाद अब भारत ने केन्या से चीतों की नई खेप लाने में रुचि फिर से जताई है। केन्या उत्तरी गोलार्ध का एक ऐसा देश है, जिसका मौसमी पैटर्न भारत के समान है। यह कदम तब उठाया गया है, जब भारत को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया जैसे दक्षिणी गोलार्ध के देशों से लाए गए चीतों के संरक्षण में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। भारत ने केन्या के साथ एक नए एमओयू पर हस्ताक्षर करने पर सहमति जताई है। इस साल फरवरी में केन्या के रुख में बदलाव के बाद वहां से 8-10 चीते मंगाने की प्रक्रिया रोक दी गई थी। इससे पहले केन्याई प्रतिनिधियों ने मध्य प्रदेश स्थित कुनो नेशनल पार्क का दौरा किया और पशु चिकित्सा और संरक्षण व्यवस्था पर संतोष जताया।

गांधी सागर अभयारण्य तैयार

उम्मीद की जा रही है कि इस बार केन्या के साथ समझौता हो जाएगा और इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में नए चीते आ जाएंगे। मध्य प्रदेश सरकार ने पहले ही गांधी सागर अभयारण्य के 80 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को घेर लिया है और बाड़े बनाए हैं। बताया जाता है कि घास के मैदानों को बढ़ाने और शिकार की आबादी बढ़ाने सहित चीतों के लिए अनुकूल स्थितियां बनाने के प्रयास चल रहे हैं।

आज की तारीख में, कुनो में 12 शावकों सहित 25 चीते हैं। वहीं, अब तक मार्च 2023 और अगस्त 2024 के बीच सात वयस्क चीते और पाँच शावकों की मौत हो चुकी है। हाल ही में, एक वयस्क चीता, पवन की "डूबने" के कारण हुई मौत ने भारत की संरक्षण योजना पर विवाद पैदा कर दिया, क्योंकि विशेषज्ञों का कहना है कि चीता तैर सकता है और डूब नहीं सकता।

दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में चीतों को लाने से उनकी जैविक घड़ियों में व्यवधान पैदा हुआ है। दक्षिणी गोलार्ध से चीतों के कंधों और गर्दन पर सर्दियों के बाल विकसित होते हैं। कुनो में, सर्दियों का मौसम गर्मी, नमी और बारिश के साथ मेल खाता था। इसलिए, इस बार उत्तरी गोलार्ध से चीतों को लाने की रुचि है। उम्मीद की जा रही है कि केन्याई चीते भारतीय मौसम को अपने अनुकूल पा कर यहां अपना कुनबा बढ़ाने में कामयाब होंगे। 

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