गरीबों के निवालों पर संकट, मुख्यमंत्री दालभात योजना हुआ ठप
दिहाड़ी मज़दूर, रिक्शा चालक, असहाय और ज़रूरतमंद लोग इन केंद्रों से लाभ उठाते आ रहे हैं। हालांकि, अब इन दालभात केंद्रों में भी ताला लटकने की नौबत आ गई है।
रांची: झारखंड खनिज-संपदा के मामले में अमीर प्रदेश है लेकिन इसकी कोख़ में ग़रीबी पलती है। लिहाज़ा, ज़रूरतमंद लोगों को दो वक्त की रोटी कम क़ीमत पर उपलब्ध हो सके इसके लिए राज्यभर में मुख्यमंत्री दालभात केंद्र चलाए जा रहे हैं। महज़ 5 रुपए में एक प्लेट चावल, बरी और चना की सब्जी देने का प्रावधान है।
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दिहाड़ी मज़दूर, रिक्शा चालक, असहाय और ज़रूरतमंद लोग इन केंद्रों से लाभ उठाते आ रहे हैं। हालांकि, अब इन दालभात केंद्रों में भी ताला लटकने की नौबत आ गई है। दरअसल, लॉकडॉन के दौरान दालभात केंद्रों को मुफ्त में भोजन कराने का निर्देश दिया गया। सरकार के आदेश के बाद संचालकों ने फ्री में भोजन कराना भी शुरू कर दिया लेकिन अप्रैल से लेकर अबतक प्रति प्लेट 5 रूपए की दर से सरकारी भुगतान नहीं हुआ है। लिहाज़ा, संचालक मुख्यमंत्री दालभात केंद्र चलाने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री दालभात केंद्र संचालक की पीड़ा
रांची के सदर अस्पताल परिसर में दालभात केंद्र का संचालन करने वाली श्रुति देवी कहती हैं कि, बकाया को लेकर कई बार खाद्य आपूर्ति विभाग से संपर्क किया गया लेकिन आवंटन नहीं होने की बात कही गई। एस ओ आर ने भी आवंटन के बाद भी भुगतान की बात कही है। ऐसे में संचालकों के सामने दालभात केंद्र को चलाना बड़ी मुसीबत बन गई है। श्रुति देवी कहती हैं कि, जिन दुकानों से वे लोग सामान ख़रीद कर ग़रीबों को भोजन कराती हैं उन लोगों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।
गणेश जैसे ग़रीबों के सामने भूखे मरने की नौबत
रांची के स्लम बस्ती में रहने वाले गणेश उम्र के आखिरी पड़ाव में हैं। होटल में काम कर किसी तरह ग़ुज़ारा करते थे लेकिन लॉकडॉन के कारण होटल बंद हैं। लिहाज़ा, दो वक्त की रोटी का भी इंतज़ाम करना मुश्किल हो गया है। दालभात केंद्र से फ्री में भोजना मिल जाता है तो पेट की ज़रूरत पूरी हो जाती है। गणेश कहते हैं कि, अगर मुख्यमंत्री दालभात केंद्र बंद हो जाता है तो ग़रीबों को भूखे पेट सोना पड़ेगा।
अर्जुन मुंडा ने शुरू की थी योजना
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने वर्ष 2011 में दालभात केंद्र योजना की शुरुआत की थी। बाद की सरकारों ने भी योजना को आगे बढ़ाया। योजना के तहत रियायती दर पर चावल, बरी और चना दिया जाता है। चावल अंत्योदय योजना के तहत केंद्र सरकार से प्राप्त होता है। राज्य का खाद्य आपूर्ति विभाग के अधीन केंद्र संचालित किए जाते हैं। साल 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के शासनकाल में योजना का नाम बदलकार मुख्यमंत्री कैंटीन योजना कर दिया गया। इसके तहत मोबाइल वैन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराने की योजना थी हालांकि, इसमें बहुत कामयाबी नहीं मिली।
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लॉकडॉन में थानों में चला दालभात केंद्र
लॉकडॉन के दौरान रांची समेत विभान्न ज़िलों के थानों में ग़रीबों को मुफ्त में भोजन कराया गया। खुद पुलिसकर्मी अपने हाथों से लोगों को भोजन कराते रहे। सरकार की इस पहल का स्वागत भी किया गया लेकिन लॉकडॉन में छूट मिलने के साथ ही दालभात केंद्रों को फिर से खोल दिया गया है। हालांकि, पैसे के अभाव में दालभात केंद्र को चलाना मुश्किल साबित हो रहा है।
शाहनवाज़
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