सदमे में चीन: पाकिस्तान का साथ देना पड़ा भारी, जब खुद की नाव डूब रही

भारत के इस रौद्र रूप से चीन को इस बात का अंदाजा तो हो ही गया है कि यहां पर अब उसकी नहीं चलने वाली है। इतना ही नहींं चीन को कहीं न कहीं इस बात का भी डर सता रहा है।

Update:2019-11-01 21:04 IST

नई दिल्‍ली : कश्मीर घाटी पर भारत और चीन के बीच की लड़ाई अब खुलकर सबके सामने आ गई है। भारत ने भी साफ कर दिया है कि इस मसले पर चीन की दखलनदाजी करने का कोई मतलब नहीं है। इतना ही नहीं भारत ने अपने गुस्सौल रूप से ये बात भी बिल्कुल साफ कर दी है कि वे इस मसले पर किसी दूसरे अन्य देश का दखल करना बर्दाश्त नहीं करेगा।

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अब नहीं चलने वाली चीन की

भारत के इस रौद्र रूप से चीन को इस बात का अंदाजा तो हो ही गया है कि यहां पर अब उसकी नहीं चलने वाली है। इतना ही नहींं चीन को कहीं न कहीं इस बात का भी डर सता रहा है कि भारत की मौजूदा सरकार पीओके(पाक अधिकृत कश्मीर) को लेकर जितनी आक्रामक है, उतनी ही आक्रामक अक्‍साई चिन को भी भारत में शामिल करने पर है। इस बात को स्वंय देश के गृहमंत्री अमित शाह संसद में कह चुके हैं।

घाटी को लेकर चीन भी पाकिस्तान की तरह ही तिलमिलाया हुआ है उससे इस संभावना को बल भी मिल रहा है। बता दें कि कुछ दिन पहले जब चीन के राष्‍ट्रपति शी चि‍नफिंग भारत के दौरे पर आए थे। उस वक्‍त उन्‍होंने कहा था कि भारत और चीन विवादित मुद्दों को दोनों देशों के बीच संबंधों को खराब करने का जरिया नहीं बनने देंगे।

ये बने केंद्र शासित प्रदेश

उनके इस दौरे में कश्‍मीर घाटी का मुद्दा भी नहीं उठा था। लेकिन, पिछले तीन दिनों में चीन कश्‍मीर को लेकर लगातार बयानबाजी कर रहा है। हद तो तब हो गई जब गुरुवार को जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख में नवनियुक्‍त उपराज्‍यपालों ने अपना पदभार ग्रहण किया। इसके साथ ही दोनों राज्‍यों ने बतौर केंद्र शासित प्रदेश काम करना शुरू कर दिया है।

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ये है बौखलाहट के पीछे की वजह

चलिए अब हम आपको बताते है कि आखिर घाटी के पीछे चीन क्यों बौखलाया हुआ है। बात ये है कि वर्ष 2014 से ही केंद्र सरकार की तरफ से यह बात साफ की जा चुकी है कि भारत-पाकिस्‍तान से, कश्‍मीर का मुद्दा सुलझाने के लिए बात करने को तैयार है। लेकिन, ये बातचीत केवल पीओके या गुलाम कश्‍मीर को लेकर ही होगी।

आपको बता दें कि अगस्‍त में भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने देश की संसद में कहा था कि जब भारत जम्‍मू कश्‍मीर की बात करता है तो इसके अंदर गुलाम कश्‍मीर और अक्‍साई चिन भी आता है, जिस पर चीन ने अवैध कब्‍जा किया हुआ है।

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चीन है अब सदमे में

चीन आने वाले उन दिनों से डरा हुआ है जिसमें भारत पीओके या गुलाम कश्‍मीर को अपनी सीमा में शामिल कर सकता है। इस तरह की बात कई बार सरकार के मंत्रियों, भाजपा नेताओं और आर्मी चीफ की तरफ से भी की जाती रही है कि सेना को केवल सरकार से इजाजत का इंतजार है।

चीन के लिए परेशानी सिर्फ भारत से दिए जाने वाले जवाब को लेकर ही नहीं हो रही है बल्कि इस वजह से भी है क्‍योंकि उसने अरबों डॉलर का निवेश पाकिस्‍तान में किया हुआ है। इस निवेश की शुरुआत का बड़ा उदाहरण सीपैक है जो गुलाम कश्‍मीर की सीमा में ही आता है। इसको लेकर भारत ने इंटरनेशनल लेवल पर अपनी नाराजगी दर्ज भी करवाई थी।

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