ई कान्फ्रेंस में रामचरितमानस से सदैव प्रेरणा लेने का किया गया आवाहन

रजनीश खरे ने रामचरितमानस की विभिन्न चौपाइयों से सूत्रों को लिया एवं उनके माध्यम से आज के आधुनिक प्रबंध शास्त्र के सिद्धांतों को प्रतिपादित किया और यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि आधुनिक प्रबंधन के सिद्धांत भारतीय प्राचीनतम ग्रंथ में वर्णित नायकों के जीवन चरित्र पर आधारित है।

Update:2020-05-18 17:06 IST

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के अंतर्गत इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज एवं सर छोटू राम इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के तत्वाधान में चार दिवसीय ई कान्फ्रेंस के चतुर्थ दिन का वेबीनार श्री 'रामचरितमानस के आधार पर प्रबंधन कौशल एवं नेतृत्व के गुणों का विकास' विषय पर आयोजित हुआ। वेबीनार को विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर रजनीश खरे ने डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से लगभग 500 प्रतिभागियों को फेसबुक लाइव के माध्यम से समझाने का प्रयास किया।

सत्र की अध्यक्षता कुलपति की भूमिका में प्रोफेसर वाई विमला ने की । इस मौके पर अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने रामचरितमानस जैसे ग्रंथों से सदैव प्रेरणा लेने का आवाहन किया। प्रोफेसर विमला ने 4 दिन की कॉन्फ्रेंस में आए वक्ताओं एवं चुने गए विषयों और उन पर विषय वस्तु के चयन की भूरी भूरी प्रशंसा की।

प्राचीनतम ग्रंथ में वर्णित नायकों के जीवन चरित्र पर आधारित

आज के वेबीनार में अतिथियों का स्वागत एवं उनके परिचय को संस्थान की प्राध्यापक रीना सिंह ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर राजीव सिजरिया ने किया। आज के व्याख्यान में विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर रूपनारायण जी एवं विश्वविद्यालय के भौतिकी विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीरपाल सिंह रहे। रजनीश खरे ने रामचरितमानस की विभिन्न चौपाइयों से सूत्रों को लिया एवं उनके माध्यम से आज के आधुनिक प्रबंध शास्त्र के सिद्धांतों को प्रतिपादित किया और यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि आधुनिक प्रबंधन के सिद्धांत भारतीय प्राचीनतम ग्रंथ में वर्णित नायकों के जीवन चरित्र पर आधारित है।

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उन्होंने कहा कि श्री राम को जहां एक और आदर्श राजा माना जाता है वही मानव रूप में वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में मनुष्य रूप में भूमिका का निर्वहन करते हुए जिन गुणों का प्रदर्शन किया वह ही वास्तव में एक सफल नेतृत्व के मूलभूत आवश्यक तत्व है। वास्तव में सही व्यवसायिक नेतृत्व अथॉरिटी या पावर केंद्रित न होकर व्यवहार, संवेदनशीलता, करुणा, दया, परस्पर सहचर्य, परस्पर सम्मान, एवं प्रथम पुरुषीय दायित्व, अनुकरणीय उदाहरण, साहस, शील, समर्पण, वीरता, चुनौतियों का सामना करने की क्षमता एवं उपलब्ध संसाधनों को बेहतर तरीके से मर्यादाओं के अंदर रहते हुए किस प्रकार एक बड़ी सामूहिक सफलता को प्राप्त करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है, द्वारा ही संभव है।

श्री राम राजा के पुत्र होने के बाद भी अपनी भूमिका के साथ किया न्याय

खरे ने बताया कि श्री राम राजा के पुत्र होने के बाद भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय करते रहे । जब वह गुरु आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उस समय केवल शिक्षार्थी की भूमिका में रहते हुए गुरु के प्रति संपूर्ण समर्पण के कारण ही गुरु से अधिकतम स्नेह एवं ज्ञान प्राप्त करने के अधिकारी हुए। शिक्षा पूरी करने के बाद विश्वामित्र जी के आवाहन पर राजकाज और महलों के सुखों को छोड़कर प्रजा के प्रति एवं अपने पिता के उत्तरदायित्व में सहयोगी होते हुए वापस पुनः जंगल की ओर राक्षसों का वध करने के लिए सहर्ष चल पड़े। यह उनकी वीरता ही थी जिससे प्रभावित होकर ताड़का वध के बाद श्री विश्वामित्र ने उन्हें विभिन्न प्रकार की दैवीय अस्त्रों से सुसज्जित किया।

श्री खरे ने बताया कि हालांकि विश्वामित्र जानते थे कि राम बहुत बलशाली हैं किंतु जब उन्होंने स्वयं उनकी वीरता देखी तो उससे प्रभावित हुए और उन्हें विशेष दीक्षा दी। श्री खरे के अनुसार हम जब भी किसी नए वातावरण में कार्य करने के लिए जाते हैं तो राम के उदाहरण से हमें समझना चाहिए कि पुरानी संस्था में हमारी कितनी भी उपलब्धियां हो नई संस्था में हमें अपने आप को पुनः स्थापित करने के लिए उद्यम करना होता है एवं अपने को स्थापित करना होता है।

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आधुनिक प्रबंध सिद्धांत भी नेतृत्व के इस गुण को अपनाते हैं

जहां एक और रावण युद्ध में अपने भाइयों,पुत्रों ,भतीजे को अकेले ही भेज रहा था और स्वयं महल में रहकर आदेश पारित कर रहा था वहीं दूसरी ओर राम ने स्वयं युद्ध क्षेत्र में रहकर और अपने सेना नायकों का मनोबल बढ़ाने हेतु स्वयं के उदाहरण से नेतृत्व प्रदान किया। जब बड़ा संकट आया तो कुंभकरण वध के लिए एवं रावण वध के लिए वह स्वयं सामने आए। आधुनिक प्रबंध सिद्धांत भी नेतृत्व के इस गुण को अपनाते हैं और स्वयं के उदाहरण से अपनी टीम को प्रेरित करने के बारे में सिद्धांत प्रतिपादित हुए हैं। राम के द्वारा कमिटमेंट्स को निभाना एक नेतृत्व प्रदान करने वाले के लिए कितना आवश्यक है। सुग्रीव को दिए गए बाली वध के बादे को निभाना हो या लौटते समय केवट के यहां विश्राम करने का वादा हो इन सबको उन्होंने निभाया । प्रबंध शास्त्र भी लीडर के लिए कमिटमेंट्स को पूरा करने की महत्व प्रतिपादित करता है।

राम ने दूसरे स्तर का नेतृत्व उभारने की व्यवस्था की

लीडर को कभी भी अपने से पहले अपनी टीम के लिए सुविधा या पारितोषिक प्राप्त करने की आवश्यकता का सिद्धांत रामायण से ही लिया गया है, जिसमें रामचंद्र जी ने लंका विजय के बाद भी विभीषण को राज्य दे दिया । बाली वध के बाद किष्किंधा का राजा सुग्रीव को बना दिया और स्वयं जिस अवस्था में थे उसी अवस्था में रहे। रामायण की चौपाइयों से मुख्य वक्ता ने यह बताने का प्रयास किया की राम ने दूसरे स्तर का नेतृत्व उभारने की व्यवस्था की और अपने बाद सुग्रीव, हनुमान, जामवंत, नल, नील, अंगद जैसे महारथियों को इस हेतु विकसित किया कि वह समय आने पर न केवल नेतृत्व प्रदान कर सकें बल्कि उचित निर्णय भी ले सकें। श्री राम ने श्रेय स्वयं ना लेकर के अपनी टीम के सदस्यों को दिया और यही सिद्धांत भी नेतृत्व के आधुनिक गुणों में आज सम्मिलित किया गया है।

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आज प्रमुख रूप से डॉ माधव सारस्वत डॉक्टर नीरज चौधरी डॉ रंजीत सिंह राजकुमार डॉक्टर अनिल श्रीमती पूजा चौहान श्रीमती स्वाति शर्मा श्री मणि गर्ग संस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

रिपोर्ट: सुशील कुमार, मेरठ

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