INDIA Alliance Conflict: पीएम चेहरे के रूप में खड़गे के नाम पर INDIA गठबंधन में घमासान, जदयू में नाराजगी, नीतीश कुमार ले सकते हैं बड़ा फैसला

INDIA Alliance Conflict: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से खड़गे का नाम रखे जाने के बाद इंडिया गठबंधन में घमासान छिड़ता नजर आ रहा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-12-21 11:40 IST

Nitish Kumar  (photo: social media )

INDIA Alliance Conflict: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सशक्त चेहरे की तलाश में जुटा हुआ है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की हाल में राजधानी दिल्ली में हुई बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम पीएम चेहरे के रूप में उछला था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से खड़गे का नाम रखे जाने के बाद इंडिया गठबंधन में घमासान छिड़ता नजर आ रहा है।

ममता की ओर से अचानक खड़गे का नाम रखे जाने के बाद राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहे हैं। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने भी पीएम चेहरे के रूप में खड़के का नाम प्रस्तावित किए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।

इस बीच नीतीश कुमार ने 29 दिसंबर को जदयू की राष्ट्रीय परिषद की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। जानकारों का कहना है कि इस बैठक के दौरान नीतीश कुमार कोई महत्वपूर्ण फैसला ले सकते हैं। जदयू नेताओं में भी इस फैसले को लेकर बेचैनी बढ़ती जा रही है।

नीतीश कुमार ले सकते हैं बड़ा फैसला

इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद नीतीश कुमार और लालू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा नहीं लिया था इसे दोनों नेताओं की नाराजगी से जोड़कर देखा गया था। दिल्ली और पटना के सियासी हलकों में इस बात की खूब चर्चा है कि नीतीश कुमार पीएम चेहरे के रूप में खड़गे का नाम उछाले जाने से काफी नाराज हैं।

बैठक के बाद उन्होंने दिल्ली में अपनी पार्टी के सभी सांसदों से मुलाकात करके उनकी राय जानने की कोशिश की थी।

हालांकि उन्होंने अपनी ओर से अभी तक कुछ भी नहीं कहा है मगर इसे नीतीश कुमार की राजनीति करने का अपना अलग स्टाइल माना जाता है। वे बड़े फैसलों के समय भी चुप्पी साधे रहते हैं और अचानक कोई बड़ा फैसला लेकर सबको चकित कर देते हैं।

अब 29 दिसंबर पर सबकी निगाहें

अब सबकी निगाहें 29 दिसंबर को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक पर लगी हुई हैं। जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पहले से ही 29 दिसंबर को तय थी मगर इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने उसी दिन राष्ट्रीय परिषद की बैठक भी बुला ली है।

पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अफाक अहमद ने दोनों महत्वपूर्ण बैठकें एक ही दिन होने की पुष्टि की है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि अल्प सूचना पर उसी दिन राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाने का कारण क्या है।

महत्वपूर्ण फैसला लेने के संकेत

दरअसल इंडिया गठबंधन की बैठक में खड़गे का नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद जदयू में भारी बेचैनी महसूस की जा रही है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक के बाद उसी दिन राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाने के फैसले को असामान्य बताया है। किसी बड़े राजनीतिक फैसले के लिए ही इस तरह की बैठक बुलाई जाती है।

जदयू के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि नीतीश कुमार के इस कदम से निश्चित रूप से यह संकेत निकलता है कि कोई महत्वपूर्ण फैसला लिया जाने वाला है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद उसी दिन राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाने के फैसले से जदयू के नेता भी चकित बताए जा रहे हैं।

नीतीश कुमार की अनदेखी बर्दाश्त नहीं

इस बीच जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े नेता है और इंडिया गठबंधन में किसी को भी उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। उनकी राजनीतिक पकड़ और हैसियत को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

जदयू इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगर इंडिया गठबंधन में कोई यह सोचता है कि नीतीश कुमार की भूमिका सिर्फ गठबंधन में बने रहना है तो यह लंबे समय तक नहीं चलेगा। नीतीश कुमार की भूमिका पहले भी महत्वपूर्ण थी, आज भी महत्वपूर्ण है और भविष्य में भी नीतीश कुमार ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

ममता के प्रस्ताव का केजरीवाल ने किया था समर्थन

वैसे नीतीश कुमार ने अभी तक इंडिया गठबंधन की बैठक को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जरूर यह बयान दिया था कि नीतीश कुमार नाराज नहीं है। नीतीश कुमार के प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा न लेने पर ललन सिंह ने कहा कि वे सोनिया गांधी, राहुल और खड़गे को बताकर बैठक से निकले थे।

इंडिया गठबंधन की बैठक के दौरान खड़गे के नाम का प्रस्ताव ममता बनर्जी ने रखा था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दलित चेहरे के रूप में खड़गे के नाम का समर्थन किया था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। खड़गे का नाम उछाले जाने के बाद न केवल जदयू बल्कि कांग्रेस में भी बेचैनी दिख रही है क्योंकि गांधी परिवार के वफादारों को राहुल गांधी के सिवा कोई और नाम मंजूर नहीं है।

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