Congress: चिंतन शिविर से बदलेगा कांग्रेस का अंदाज, नई रणनीति का पुख्ता रोडमैप तैयार करेगी पार्टी

Congress Chintan Shivir: इस शिविर के दौरान पार्टी नई सियासी रणनीति का पुख्ता रोडमैप तैयार करेगी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update: 2022-05-13 02:51 GMT

सोनिया गांधी- राहुल ग (फोटो: सोशल मीडिया )

Congress Chintan Shivir: लगातार घटती ताकत के कारण भारी सियासी संकट का सामना कर रही कांग्रेस (Congress) को उदयपुर चिंतन शिविर (Chintan Shivir) से नई संजीवनी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। आज से शुरू होने वाले इस तीन दिवसीय शिविर में कांग्रेस को मजबूत बनाने के उपायों पर गहन चर्चा की जाएगी। भाजपा से मिल रही चुनौतियों के साथ ही क्षेत्रीय दलों के उभार ने विभिन्न राज्यों में कांग्रेस की सियासी ताकत को जबर्दस्त चोट पहुंचाई है। माना जा रहा है कि शिविर के दौरान कांग्रेश भाजपा को जवाब देने के लिए क्षेत्रीय दलों से गठबंधन करने की जगह खुद को मजबूत बनाने का बड़ा फैसला ले सकती है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस शिविर के दौरान पार्टी नई सियासी रणनीति का पुख्ता रोडमैप तैयार करेगी।

लंबे समय बाद आयोजित होने वाले कांग्रेस के चिंतन शिविर में आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के फार्मूले पर भी गहन विचार विमर्श होने की संभावना है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अब पार्टी को जल्दी ही गुजरात समेत कुछ और राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ना है। ऐसे में पार्टी की गुटबाजी दूर करने और प्रतिद्वंद्वी दलों की चुनौतियों से निपटने की दिशा में ठोस पहल किए जाने की संभावना है।

प्रदेश इकाइयों में गुटबाजी से नुकसान

इस चिंतन शिविर में हिस्सा लेने के लिए देश भर से कांग्रेसी नेताओं को उदयपुर आमंत्रित किया गया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) शिविर में हिस्सा लेने के लिए मेवाड़ एक्सप्रेस ट्रेन से उदयपुर पहुंचे हैं। शिविर में हिस्सा लेने के लिए ट्रेन से पहुंचकर भी उन्होंने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में पार्टी की विभिन्न प्रदेश इकाइयों में गुटबाजी के कारण पार्टी को काफी सियासी नुकसान उठाना पड़ा है।

इसके लिए पंजाब का उदाहरण दिया जा रहा है जहां पार्टी मतदान तक नेताओं की आपसी गुटबाजी से जूझती रही। इसका नतीजा यह हुआ कि 2017 में 77 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2022 में 18 सीटों पर सिमट गई। प्रदेश की विभिन्न प्रदेशों की इकाइयों में व्याप्त इस गुटबाजी को दूर करने के लिए अब कमर कसी जा रही है।

खुद को मजबूत बनाने पर जोर

कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि शिविर के दौरान कांग्रेस अपनी सियासी जमीन को मजबूत बनाने पर ज्यादा फोकस करेगी। हालांकि कई राज्य में पार्टी की सियासी जमीन पूरी तरफ से खिसक चुकी है और गठबंधन न करने पर पार्टी को सियासी नुकसान भी उठाना पड़ा है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया जा रहा है जहां पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़कर सिर्फ दो सीटें जीतने में कामयाब हो सकी।

हालांकि इस चुनाव के दौरान पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने पूरी ताकत लगा रखी थी मगर इसके बावजूद पार्टी को वांछित नतीजे नहीं मिले। फिर भी पार्टी खुद की सियासी स्थिति को मजबूत बनाने पर ज्यादा जोर देगी और गठबंधन को दूसरी प्राथमिकता पर रखा जाएगा।

असंतुष्ट खेमे को भी न्योता

पार्टी में एकजुटता का संदेश देने के लिए शिविर में असंतुष्ट खेमे को भी आमंत्रित किया गया है। असंतुष्ट खेमा लंबे समय से पार्टी में स्थायी अध्यक्ष नियुक्त करने और संगठन मैं बड़े बदलाव की मांग करता रहा है। जी 23 नाम से चर्चित इस खेमे ने इस बाबत काफी पहले पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। पार्टी के स्थायी अध्यक्ष का चुनाव समय-समय पर टलता रहा है। हालांकि इसके लिए कोरोना महामारी बड़ा कारण बताया जाता रहा है। पार्टी के असंतुष्ट खेमे की नाराजगी को दूर करने के लिए सोनिया गांधी ने हाल के दिनों में नाराज नेताओं को कई अहम जिम्मेदारी सौंपी है।

शिविर के लिए बनाए गए शिविर में चर्चा के लिए बनाए गए विशेष समूहों में भी असंतुष्ट नेताओं को शामिल किया गया है। इन नेताओं में गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक और भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल हैं। असंतुष्ट खेमे की मुखर आवाज माने जाने वाले कपिल सिब्बल को भी शिविर का न्योता भेजा गया है। माना जा रहा है कि पार्टी अब सबको साथ लेकर चलने की कोशिश में जुटी हुई है और उदयपुर के चिंतन शिविर से एकजुटता का बड़ा संदेश दिया जाएगा।

राहुल समर्थक खेमा दिखाएगा सक्रियता

कांग्रेस को आगामी कुछ महीनों में विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव के साथ ही 2024 में लोकसभा चुनाव की बड़ी सियासी जंग लड़नी है। इसलिए उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी की आगामी सियासी रणनीति का पुख्ता रोडमैप तैयार किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत बनाने के लिए राहुल गांधी को एक बार फिर कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग भी जोरशोर से उठ सकती है। कांग्रेस में राहुल समर्थक खेमा इसके लिए पहले से ही सक्रिय है और शिविर के दौरान इस कोशिश को हकीकत में बदलने की पुख्ता जमीन तैयार की जा सकती है।

मोदी सरकार को घेरने की तैयारी

शिविर में करीब 430 प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की बात कही जा रही है। शिविर के दौरान राजनीतिक,सामाजिक, आर्थिक और विविध क्षेत्रों से जुड़े महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए जाएंगे। इन प्रस्तावों के जरिए मोदी सरकार की नीतियों पर पार्टी खुलकर अपनी राय रखेगी। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी विभिन्न प्रस्तावों के माध्यम से मोदी सरकार की गलत नीतियों की कलई खोलेगी और विभिन्न मुद्दों को लेकर अपना रुख साफ करेगी। इन प्रस्तावों में मोदी सरकार की नीतियों पर बड़ा हमला करने की तैयारी है। इस शिविर को कांग्रेस में बदलाव की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

शिविर से पहले गुटबाजी का नजारा

वैसे शिविर से पहले ही उदयपुर में कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर उजागर हुई है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमों के बीच राजस्थान में लंबे समय से खींचतान चल रही है। शिविर की शुरुआत से पहले गुरुवार को आयोजन स्थल के बाहर लगे सचिन पायलट के ढेर सारे पोस्टर और बैनर हटा दिए गए। इसे लेकर सचिन समर्थकों की ओर से नाराजगी भी जताई गई है।

गहलोत के खिलाफ बागी तेवर दिखा चुके सचिन ने एक बार फिर उनके खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तमाम कोशिशों के बावजूद राजस्थान की गुटबाजी खत्म करने में कामयाब नहीं हो सका है। इससे साफ हो गया है कि पार्टी की विभिन्न प्रदेश इकाइयों में व्याप्त गुटबाजी को दूर करना आसान काम नहीं है। अब यह देखने वाली बात होगी कि शिविर के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस काम में कहां तक कामयाबी मिल पाती है।

Tags:    

Similar News