Jairam Ramesh on Gita Press: आजादी के समय से ही हिंदुत्व पर जोर, क्या है गांधी और गीताप्रेस कनेक्शन, अब क्यों राजनीति
Jairam Ramesh on Gita Press: गीताप्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 दिया गया। इस पर कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने विवादित बयान देते हुए बड़ी बात बोल दी।
Jairam Ramesh on Geeta Press: कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने गीताप्रेस को गांधी शांति अवार्ड देने की घोषणा पर विवादित बयान दिया। इस मुद्दे पर लगातार राजनीति बढ़ती जा रही है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिख कि गीताप्रेस गोरखपुर को पुरस्कार देना वास्तव में एक उपहास है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि गीताप्रेस को पुरस्कार देना मतलब सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।
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गांधी और गीताप्रेस कनेक्शन
हनुमान प्रसाद पोद्दार के महात्मा गांधी के साथ मधुर संबंध थे। 1940 के दशक में गीता प्रेस की पत्रिका कल्याण में महात्मा गांधी ने कई बार अलग-अलग तेवर में कई लेख लिखे। ये बात तब की बै जब देश जब स्वतंत्रता के करीब था। उस दौरान गीता प्रेस की पत्रिका हिंदुत्व और भक्तिज्ञान-वैराग्य की तरफ जोर दिया। उसमें उन दिनों ‘जिन्ना चाहे देदे जान, नहीं मिलेगा पाकिस्तान’ जैसे नारे छपने लगे।
‘गीता प्रेस एंड द मेकिंग ऑफ़ हिंदू इंडिया’ में मुकुल अक्षय ने लिखा कि 1951-52 भारत के चौथी गृहमंत्री गोविंद बल्लभ पंत उस समय हनुमान प्रसाद पोद्दार को भारत रत्न देना चाहते थे। जबकि1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद जब 25,000 लोग जिनको हिरासत में लिया गया, उनमें पोद्दार भी शामिल थे। गीता प्रेस ने महात्मा की हत्या पर चुप्पी बनाए रखी। जिस व्यक्ति का आशीर्वाद और लेखन कभी "कल्याण" के लिए इतना महत्वपूर्ण था, उसके पन्नों में उनके बारे में एक भी उल्लेख नहीं मिला। अप्रैल 1948 में पोद्दार ने गांधी के साथ अपनी विभिन्न मुलाकातों के बारे में लिखा।"
रिपोर्ट में लिखा है कि पोद्दार और गीता प्रेस के संस्थापक जयदयाल गोयंदका उन 25,000 लोगों में शामिल थे, जिन्हें 1948 में गांधी की हत्या के बाद गिरफ्तार किया गया था। पुस्तक में लिखा है कि गिरफ्तारी के बाद जी.डी. बिड़ला ने दोनों की मदद करने से इनकार कर दिया, और यहां तक कि जब सर बद्रीदास गोयनका ने उनका केस उठाया तो विरोध भी किया।
भाजपा ने क्या बोला
इस मुद्दे पर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नक़वी ने जयराम समेत कांग्रेस नेताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी समस्या है कि वह परिवारवाद से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस को ऐसा लगता है कि सारे नोबेल पुरस्कार, सारे सम्मान सिर्फ एक ही परिवार के घोसले को ही दिए जाने चाहिए। गीता प्रेस ने देश के संस्कार, संस्कृति, धार्मिक और देश की समावेशी सोच को सुरक्षित रखा है।
जयराम नरेश ने किया ट्वीट
जयराम नरेश ने अपने ट्वीट में लिखा कि "गोरखपुर में गीता प्रेस को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है, जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है। हालांकि पार्टी के नेताओं ने इस पर अलग अलग राय रखी है।
The Gandhi Peace Prize for 2021 has been conferred on the Gita Press at Gorakhpur which is celebrating its centenary this year. There is a very fine biography from 2015 of this organisation by Akshaya Mukul in which he unearths the stormy relations it had with the Mahatma and the… pic.twitter.com/PqoOXa90e6
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 18, 2023
पीएम ने दी थी बधाई
गीताप्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार देने पर बधाई दिया था। उन्होंने लिखा था कि "मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय कार्य किया है।"
मालूम हो कि गांधी शांति पुरस्कार हाल ही में 2019 में ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद और 2020 में बांग्लादेश के बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को सम्मानित किया था। ये सम्मान इसरो को भी मिल चुका है। संस्कृति मंत्रालय ने 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता गोरखपुर देने की घोषणा की।
आचार्य प्रमोद कृष्णन किया पलटवार
जयराम नरेश के साथ साथ गीता प्रेस को गांधी शांति सम्मान मिलने पर लगातार नेताओं द्वारा हो रही टिप्पणी पर आचार्च प्रमोद कृष्णन ने पलटवार किया है। उन्होंने ने कहा है कि देश में जितने हिंदू है, लगभग सभी के घरों में गीताप्रेस की भागवद्गीता और रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथ हैं। ये सवाल सिर्फ गीताप्रेस पर नहीं बल्कि उन सभी हिंदुओं के लिए भी हैं। ट्वीट करते लिखा - गीता प्रेस का विरोध “हिंदू विरोधी” मानसिकता की पराकाष्ठा है,राजनैतिक पार्टी के “ज़िम्मेदार” पदों पे बैठे लोगों को इस तरह के धर्म” विरोधी बयान नहीं देने चाहिये जिसके “नुक़सान” की भरपायी करने में “सदियाँ” गुज़र जायें।
गीता प्रेस का विरोध “हिंदू विरोधी” मानसिकता की पराकाष्ठा है,राजनैतिक पार्टी के “ज़िम्मेदार” पदों पे बैठे लोगों को इस तरह के धर्म” विरोधी बयान नहीं देने चाहिये जिसके “नुक़सान” की भरपायी करने में “सदियाँ” गुज़र जायें. @kharge @RahulGandhi @priyankagandhi
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) June 19, 2023