दिल्ली दंगों को लेकर चिदंबरम ने कसा तंजा-पुलिस से पूछे ये सवाल

उन्होंने आज ट्वीट करते हुए लिखा-दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों के मामले में एक पूरक आरोप पत्र में सीताराम येचुरी और कई अन्य विद्वानों और कार्यकर्ताओं का नाम लेते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली का मजाक उड़ाया है।

Update: 2020-09-13 13:35 GMT
बता दें कि आम आदमी पार्टी (आप) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्व दिल्ली में दंगों में शामिल होने की बात पहले ही कबूल कर ली है।

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने दिल्ली दंगों को लेकर पुलिस की चार्जशीट पर सवाल खड़े किये हैं।

तंज भरे अंदाज में कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा एक अभियुक्त के खुलासे पर दाखिल की गई पूरक चार्जशीट में सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के योगेन्द्र यादव और अन्य विद्वानों के नामों का उल्लेख करना आपराधिक न्याय प्रणाली का "उपहास" है।



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उन्होंने आगे कहा, "क्या दिल्ली पुलिस यह भूल गई है कि सूचना और चार्जशीट के बीच महत्वपूर्ण कदम भी होते हैं, जिन्हें जांच और पुष्टिकरण कहा जाता?"

चिदंबरम ने ये तमाम बातें अपने ट्वीट में लिखी हैं। उन्होंने आज ट्वीट करते हुए लिखा-दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों के मामले में एक पूरक आरोप पत्र में सीताराम येचुरी और कई अन्य विद्वानों और कार्यकर्ताओं का नाम लेते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली का मजाक उड़ाया है।

दिल्ली में हुए दंगे की फोटो(सोशल मीडिया)

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दिल्ली के दंगे पर चौंकाने वाला खुलासा

बता दें कि आम आदमी पार्टी (आप) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्व दिल्ली में दंगों में शामिल होने की बात पहले ही कबूल कर ली है। दिल्ली पुलिस की जांच पूछताछ में हुसैन ने स्वीकार किया है कि उसने लोगों को उकसाया और हिंसा कराया। हुसैन ने पूछताछ में कबूल किया है कि उसकी योजना कुछ बड़ा करने की थी।

दिल्ली में हुए दंगे का मास्टर माइंड ताहिर हुसैन(फोटो सोशल मीडिया)

बता दें कि इसी साल फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) को लेकर हुई दिल्ली हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई थी। हुसैन ने पूछताछ में पुलिस से कहा कि वह जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से 8 जनवरी को शाहीन बाग स्थित पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यालय में मुलाकात की थी।

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, हुसैन का काम ज्यादा से ज्यादा शीशे की बोतल, पेट्रोल, एसिड, पत्थर को अपने छत पर इकट्ठा करना था। हुसैन के एक परिचित खालिद सैफी का काम सड़कों पर प्रदर्शन के लिए भीड़ जुटाना था।

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