Congress President Election: अध्यक्ष की दौड़ में किसका पलड़ा भारी, गहलोत की सोनिया को सफाई, क्या हैं रेस में?
अध्यक्ष पद की दौड़ में शशि थरूर का नाम शुरुआत से है, मगर अब चार और दावेदार प्रमुख रूप से उभरे हैं।इनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।
Congress President Election: नामांकन की आखिरी तारीख नजदीक आने के साथ ही कांग्रेस में अध्यक्ष पद की दौड़ तेज हो गई है। राजस्थान में हुए सियासी बवाल के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) कांग्रेस से बाहर माना जा रहा है, मगर गहलोत ने आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से फोन पर बातचीत करके अपनी सफाई पेश की है। हालांकि, अभी यह नहीं साफ हो सका है कि वे सोनिया गांधी का गुस्सा दूर करने में कहां तक कामयाब हो सके हैं।
अध्यक्ष पद की दौड़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का नाम शुरुआत से ही शामिल है मगर अब चार और दावेदार भी प्रमुख रूप से उभरे हैं। इन दावेदारों में मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक और केसी वेणुगोपाल के नाम शामिल हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कमलनाथ को भी दावेदार माना जा रहा है। हालांकि कमलनाथ ने साफ कर दिया है कि उनकी अध्यक्ष पद में कोई दिलचस्पी नहीं है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अध्यक्ष पद की दौड़ में किसका पलड़ा भारी दिख रहा है।
गहलोत बोले- हाईकमान को चुनौती नहीं दी
राजस्थान के घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर माना जा रहा है। इसका कारण सोनिया और राहुल की नाराजगी को बताया जा रहा है। हालांकि गहलोत ने राजस्थान के सियासी बवाल के बाद आज पहली बार सोनिया गांधी से फोन पर बातचीत की। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस बातचीत के दौरान अशोक गहलोत ने सफाई पेश करते हुए कहा है कि उन्होंने हाईकमान को कभी चुनौती नहीं दी।
रविवार को गहलोत के समर्थक विधायकों की ओर से दिखाए गए बागी तेवर के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बार बातचीत हुई है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के कुछ सूत्रों की ओर से दावा किया जा रहा है कि गहलोत अभी भी रेस में बने हुए हैं। हालांकि गहलोत ने रविवार की घटना के बाद अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के संबंध में कोई बयान नहीं दिया है। पहले तय कार्यक्रम के मुताबिक उन्हें मंगलवार को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करना था मगर उन्होंने कार्यक्रम टाल दिया है।
मल्लिकार्जुन खड़गे
वैसे अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल अन्य दावेदारों की बात की जाए तो वरिष्ठ नेता मलिकार्जुन खड़गे की गिनती गांधी परिवार के वफादारों की जाती है। उन्होंने लगातार 10 बार सांसद का चुनाव जीता है और उनके पास लंबा प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव भी है। वैसे 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कर्नाटक के गुलबर्ग क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले खड़गे दक्षिण भारत में पार्टी का बड़ा चेहरा माने जाते रहे हैं। वैसे कर्नाटक के बाहर खड़गे की कोई पकड़ नहीं मानी जाती। साथ ही उनकी 80 शाल की उम्र भी उनके रास्ते में बाधा बन सकती है।
मुकुल वासनिक
अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले मुकुल वासनिक एनएसयूआई और युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। उनके पास भी लंबा संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव है। वासनिक के साथ भाषा संबंधी दिक्कत भी नहीं है क्योंकि वे हिंदी और अंग्रेजी के साथ मराठी में भी पूरी तरह सक्षम है। वासनिक को पिछले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान से उतारा था और उन्हें जीत हासिल हुई थी। वासनिक का सबसे बड़ा माइनस पॉइंट यह है कि वे असंतुष्ट माने जाने वाले गुट जी-23 से जुड़े हुए थे। जानकारों का मानना है कि उनके अध्यक्ष बनने पर गांधी परिवार के पास ही अप्रत्यक्ष रूप से कमान रहेगी।
दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अध्यक्ष ने भी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। उनका कहना है कि उनके नाम को अभी खारिज नहीं किया जा सकता। वे दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और 30 सितंबर तक इंतजार करने की बात कह रहे हैं। उनकी गिनती भी गांधी परिवार के वफादारों में की जाती है और वे दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।उन्होंने कई राज्यों में प्रदेश प्रभारी के रूप में भी जिम्मेदारी निभाई है। वे संघ और हिंदुत्व के खिलाफ जोरदार हमला करते रहे हैं। हालांकि उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके साथ ही वे परिवारवाद के आरोपों में भी घिरे हुए हैं। कई बार उनके बयानों के कारण कांग्रेस नेतृत्व को दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा है।
केसी वेणुगोपाल
मौजूदा समय में कांग्रेस महासचिव की जिम्मेदारी संभालने वाले केसी वेणुगोपाल को आजकल राहुल गांधी का सबसे करीबी माना जाता है। उनकी गिनती दक्षिण भारत के उभरते नेताओं में तो जरूर की जाती है मगर उनका कोई जनाधार नहीं है। इसके साथ ही वे हिंदी में संबोधन में भी असमर्थ माने जाते हैं। कांग्रेस में उनके विरोधियों की भी कमी नहीं है और उन्हें नेतृत्व को भड़काने और कान भरने वाला कहा जाता रहा है। उनकी सबसे बड़ी ताकत गांधी परिवार से उनकी निकटता ही मानी जाती है
शशि थरूर
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का इरादा जताने वाले पहले नेता थे। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। थरूर तीन बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं और उनकी वक्तृत्व कला का भी लोहा माना जाता है। देश के साथ ही विदेश में भी उनकी पकड़ मानी जाती है। सोशल मीडिया पर भी वे काफी सक्रिय रहते हैं और विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय जाहिर करते हैं।
थरूर की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वे भी कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े जी-23 के सदस्य रहे हैं। इसके साथ ही वे पार्टी में ज्यादा पुराने भी नहीं है। उन्होंने 2009 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। हिंदी भाषा पर उनकी पकड़ भी काफी कमजोर मानी जाती है। उन्हें लेकर कई बार विवाद भी पैदा हो चुके हैं।
थरूर 30 को करेंगे नामांकन
थरूर ने 30 सितंबर को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने की घोषणा की है। थरूर के अलावा पवन बंसल ने भी अध्यक्ष पद का नामांकन पत्र लिया है। हालांकि जानकारों के मुताबिक बंसल ने यह परचा किसी दूसरे नेता के लिए लिया है। कमलनाथ की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद उनका नाम भी दावेदारों में गिना जा रहा है।
हालांकि कमलनाथ ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि, कांग्रेस के अध्यक्ष पद में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान उनकी अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।