INDIA Bloc: राहुल और ममता में कप्तानी की जंग हुई तीखी, TMC ने फिर ठोका दावा, अलग-थलग पड़ती दिख रही कांग्रेस
INDIA Bloc: ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी के लिए मुसीबत बनकर उभरती दिख रही हैं। तृणमूल कांग्रेस ने फिर कहा है कि भाजपा के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ने का माद्दा सिर्फ ममता बनर्जी में ही है।;
INDIA Bloc: भाजपा के खिलाफ लड़ाई में राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर अब सहयोगी दल भी किनारा करते हुए नजर आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी की ओर से नेतृत्व के लिए तैयार रहने का बयान दिए जाने के बाद उन्हें इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की ओर से लगातार समर्थन हासिल हो रहा है। ऐसे में ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी के लिए मुसीबत बनकर उभरती दिख रही हैं। तृणमूल कांग्रेस ने फिर कहा है कि भाजपा के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ने का माद्दा सिर्फ ममता बनर्जी में ही है।
उधर एनसीपी नेता शरद पवार के बाद अब राजद नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी ममता का नेतृत्व कबूल करते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि कांग्रेस ने ममता बनर्जी के विचारों को खारिज कर दिया है मगर विपक्ष के बड़े नेताओं के समर्थन से ममता की दावेदारी मजबूत होती दिख रही है।
लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता से बेदखली और फिर हरियाणा और महाराष्ट्र में मिली हार ने राहुल गांधी के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर उठा सवाल और गंभीर हो जाएगा।
BJP से लड़ने का माद्दा सिर्फ ममता के पास
तृणमूल कांग्रेस के नेता और सांसद कीर्ति आजाद ने कहा है कि इंडिया गठबंधन में शामिल अधिकांश दल नेतृत्व में परिवर्तन चाहते हैं और उनका मानना है कि ममता बनर्जी ही गठबंधन को मजबूत नेतृत्व दे सकती हैं। उन्होंने भाजपा के खिलाफ कमजोरी स्ट्राइक रेट को लेकर भी कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अधिकांश घटक दल बदलाव के साथ मजबूत नेतृत्व चाहते हैं। ममता बनर्जी की नेतृत्व क्षमता से सारी दुनिया परिचित है। जब शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता भी यही बात कह रहे हैं तो आखिरकार कांग्रेस को क्या समस्या है?
कांग्रेस को देखकर ऐसा लगता है की रस्सी जल गई मगर ऐंठ नहीं गई। कांग्रेस को यह बात महसूस करनी होगी कि वह सबको साथ लेकर नहीं चल पा रही है और इसके साथ ही पार्टी घटक दलों की अपेक्षाओं पर अभी तक खरी नहीं उतरी है। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट में 10 फ़ीसदी है जबकि टीएमसी का स्ट्राइक रेट 70 फ़ीसदी। भाजपा के साथ सीधी लड़ाई लड़ने में विपक्ष के पास ममता बनर्जी ही सबसे बड़ा चेहरा हैं।
तेजस्वी यादव का भी बदल गया रुख
राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने 2023 में राहुल गांधी को दूल्हा और विपक्षी नेताओं को बाराती बनाने की बात कही थी। उस समय भाजपा के खिलाफ विपक्ष का मजबूत गठबंधन बनाने के लिए पटना में विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगा था।
बाद में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान लालू यादव के बेटे और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव राहुल गांधी के सारथी बनकर बिहार में घूमे थे मगर अब तेजस्वी का रुख भी बदलता हुआ नजर आ रहा है।
लगातार दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद तेजस्वी यादव भी राहुल से किनारा करते हुए दिख रहे हैं। उनका कहना है कि इंडिया गठबंधन में ममता बनर्जी के नेतृत्व को लेकर उन्हें कोई एतराज नहीं है।
समाजवादी पार्टी भी ममता के साथ
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन है और इन दोनों दलों ने मिलकर लोकसभा चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत से रोकने में बड़ी भूमिका निभाई थी। उत्तर प्रदेश में सपा 37 और कांग्रेस 6 सीटों पर विजयी रही थी। उत्तर प्रदेश में लगे झटके से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी हैरान रह गया था मगर अब समाजवादी पार्टी का रुख भी बदलता हुआ दिख रहा है। पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को सौंपने पर सहमत दिख रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता उदयवीर सिंह का कहना है कि ममता बनर्जी के सुझाव पर गठबंधन के नेताओं को चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के लिए हमारा सौ फ़ीसदी समर्थन रहेगा। सपा प्रवक्ता ने कहा कि अगर ममता बनर्जी ने इच्छा जताई है तो इंडिया गठबंधन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और इससे गठबंधन को मजबूती मिलेगी।
पश्चिम बंगाल में भाजपा को रोकने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है और इसलिए हमारा ममता के साथ भावनात्मक जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि जहां भी सफलता नहीं मिल पाई, वहां कांग्रेस मुख्य पार्टी थी। अगर कांग्रेस अपेक्षित सफलता पाने में विफल रही तो इसकी जिम्मेदारी भी कांग्रेस पर ही है।
महाराष्ट्र से मिला ममता को बड़ा समर्थन
उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े प्रदेशों के साथ ही महाराष्ट्र में भी ममता को बड़े नेताओं का समर्थन हासिल हुआ है। एनसीपी नेता ममता बनर्जी के इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने वाले बयान का समर्थन किया है। शरद पवार ने कहा कि ममता बनर्जी जुझारू महिला हैं और उनके भीतर इंडिया गठबंधन को नेतृत्व देने की पूरी क्षमता है। उन्होंने कहा कि ममता कई मुद्दों पर काफी आक्रामक रही हैं और उन्होंने कई नेताओं को तैयार किया है। इस कारण इंडिया गठबंधन के नेतृत्व की दावेदारी करने का उन्हें अधिकार है।
शरद पवार का यह रुख विशेष रूप से इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि जब ममता बनर्जी ने 2021 में कांग्रेस के बिना विपक्ष का गठबंधन बनाने की बात कही थी तो शरद पवार ने इसका विरोध किया था। उनका कहना था कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है और भाजपा के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
शरद पवार के इस रुख के बाद ममता ने पांव वापस खींच लिए थे मगर अब शरद पवार ममता के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। शरद पवार के अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया उद्धव ठाकरे भी ममता के पक्ष में हैं। ऐसे में ममता महाराष्ट्र के दो बड़े नेताओं के समर्थन से मजबूत स्थिति में दिख रही हैं।
अलग-थलग पड़ती जा रही है कांग्रेस
विपक्ष के बड़े नेताओं की ओर से भले ही ममता बनर्जी की पैरवी की जा रही हो मगर कांग्रेस को राहुल गांधी के अलावा कोई और चेहरा मंजूर नहीं रहा है। कांग्रेस विपक्ष में अपनी और राहुल गांधी की भूमिका कमतर मानने को कतई तैयार नहीं रही है।
भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के खिलाफ इंडिया गठबंधन बनने के समय भी कांग्रेस नेताओं की ओर से यह बात कही गई थी। वैसे ममता की आक्रामक रणनीति के बाद अब कांग्रेस अलग-थलग पड़ती हुई नजर आ रही है। इस बीच बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि टीएमसी और ममता का प्रभाव सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित है। राष्ट्रीय स्तर पर बात की जाए तो ममता और उनकी पार्टी का असर वैसा नहीं है, जितना कि दावा किया जा रहा है।
दिल्ली चुनाव के बाद राहुल के लिए और बढ़ेगा संकट
महाराष्ट्र के बाद अब सबकी निगाहें दिल्ली के विधानसभा चुनाव पर लगी हुई हैं। दिल्ली में आप और कांग्रेस दोनों दलों ने पहले ही अलग-अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वैसा दिल्ली में मुख्य लड़ाई आप और भाजपा के बीच ही मानी जा रही है जबकि कांग्रेस को शुरुआत से ही तीसरे नंबर पर माना जा रहा है।
2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर सवाल और गंभीर हो जाएगा। सियासी जानकारों का मानना है कि इंडिया गठबंधन मैं आने वाले दिनों में नेतृत्व का संकट और बढ़ेगा। इस कारण ममता बनर्जी की ओर से पैदा की गई चुनौती से निपटना राहुल गांधी के लिए आसान नहीं होगा।