राफेल पर कांग्रेस ने राज्यसभा-लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस किया जारी
नई दिल्ली: राफेल विमान को लेकर चल रही सियासत और बयानबाजी के बाद अब कांग्रेस लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार है। राफेल सौदे पर कांग्रेस केन्द्र सरकार को घेरने में जुटी हुई है। सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने के लिए शीतकालीन सत्र की शुरूआत में ही कांग्रेस ने राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
नई दिल्ली: राफेल विमान को लेकर चल रही सियासत और बयानबाजी के बाद अब कांग्रेस लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार है। राफेल सौदे पर कांग्रेस केन्द्र सरकार को घेरने में जुटी हुई है। सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने के लिए शीतकालीन सत्र की शुरूआत में ही कांग्रेस ने राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
पंजाब के गुरदासपुर से कांग्रेस सांसद सुनील जाखड़ ने राफेल सौदे के मामले में सरकार के खिलाफ लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इसी मामले में सरकार के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन में बताया कि उन्हें कुछ सदस्यों से विशेषाधिकार हनन के नोटिस मिले हैं और वे उनके विचाराधीन हैं।
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वेंकैया नायडू ने कहा
सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर जब सभापति एम वेंकैया नायडू सदस्यों की ओर से दिये विभिन्न नोटिसों और प्रस्तावों की जानकारी दे रहे थे तो आजाद ने कहा कि उन्होंने राफेल सौदे के मामले में देश और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने के लिए सरकार के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था। नायडू ने कहा कि अभी यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है और उन्होंने अभी इस नोटिस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
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ये है मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राफेल सौदे के बारे में दायर सभी याचिकाओं को खारिज किये जाने के बाद सत्तारूढ भारतीय जनता पाटीर् और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। जहां कांग्रेस ने सरकार पर इस सौदे के बारे में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है वहीं भाजपा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए मांग कर रही है कि वे इसके लिए देश से माफी मांगे।
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इस बीच सुप्रीम कोर्ट के राफेल सौदे से संबंधित फैसले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) तथा संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के संदर्भ को लेकर मचे बवाल के बाद केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इसमें तथ्यात्मक सुधार का अनुरोध किया है।