Same Sex Marriage: 'समलैंगिक विवाह पर सुनवाई न करें, ये मामला संसद पर छोड़ दें', सुप्रीम कोर्ट से केंद्र की अपील

Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह की याचिकाओं को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वो उठाए गए मुद्दों को संसद के लिए छोड़ने पर विचार करें।

Update: 2023-04-26 17:32 GMT
प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Same Sex Marriage: केंद्र सरकार ने बुधवार (26 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि, समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage on SC) को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर उठाए गए सवालों को संसद पर छोड़ने पर विचार किया जाए। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ (Constitution Bench on Same Sex Marriage) को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय एक बेहद जटिल मुद्दे से निपट रही है, जिसका सामाजिक प्रभाव काफी गहरा है।

एसजी तुषार मेहता ने कहा, असल सवाल तो ये है कि शादी आखिर किससे और किसके बीच होगी? इस पर फैसला कौन करेगा? गौरतलब है कि, संविधान पीठ के सदस्यों में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा, जस्टिस एस.के. कौल और जस्टिस एस.आर. भट शामिल हैं।

'समलैंगिक विवाह का अन्य कानूनों पर भी प्रभाव पड़ेगा'

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'समलैंगिक विवाह का कई अन्य कानूनों पर भी प्रभाव पड़ेगा। जिसे लेकर समाज में और राज्य की विधानसभाओं में भी बहस की जरूरत होगी।' आपको बता दें इस मामले की शीर्ष अदालत में सुनवाई जारी है। समलैंगिक शादी को मान्यता देने की याचिकाओं पर सुनवाई का 5वां दिन है। याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस पूरी हो चुकी है। इस मामले में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस शुरू की है।

चौथे दिन वर्चुअली जुड़े थे दो जस्टिस

समलैंगिक विवाह से जुड़ी याचिकाओं की चौथे दिन हाइब्रिड तरीके से सुनवाई हुई थी। चूंकि, जस्टिस एस आर भट (Justice S R Bhat) कोरोना संक्रमित हो गए थे। ऐसे में चौथे दिन न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एस.आर. भट सुनवाई में वर्चुअल तरीके से शामिल हुए थे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने स्वयं इसकी जानकारी दी थी। इस मामले की सुनवाई के पहले दिन 18 अप्रैल को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि कोर्ट इस सवाल पर विचार कर सकती है या नहीं। इस पर प्रारंभिक आपत्ति पहले सुनी जानी चाहिए।

अयोध्या मामले की तरह होगी सुनवाई

इससे पहले, सेम सेक्स मैरिज पर शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था, 'समलैंगिक शादी के लिए पुराने स्पेशल मैरिज एक्ट (special marriage act) के दायरे का विस्तार करना गलत नहीं है। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट जिस तरह से अयोध्या मामले की सुनवाई की थी, ठीक उसी प्रकार इस मामले की भी सुनवाई करेगा। अदालत ने ये भी कहा था कि, हम केवल इतना देखेंगे कि स्पेशल मैरिज एक्ट में समलैंगिक शादी की व्याख्या की जा सकती है?

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