Parliament House: संसद परिसर से गांधी और अम्बेडकर की मूर्तियां हटाने पर क्या है विवाद?

Parliament House: सवाल उठता है कि हमारे देश की महान हस्तियों की इन मूर्तियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का क्या मतलब है, खासकर तब जब ये इतने सालों से यहीं पर हैं?

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2024-06-17 09:28 GMT

mahatma Gandhi statues,  BR Ambedkar statues (photo: social media )

Parliament House: संसद भवन परिसर में दशकों से लगी महात्मा गांधी, बाबा साहेब अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियों को दूसरी जगह स्थापित करने को लेकर हंगामा मचा हुआ है। अब इन्हें नई जगह पर ले जाया जा रहा है, जिसे प्रेरणा स्थल कहा गया है।

कई मूर्तियां हैं

संसद के बाहरी लॉन में अंबेडकर, महात्मा गांधी, ज्योतिबा फुले, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, हेमू कलानी, महात्मा बसवेश्वर, कित्तूर रानी चन्नम्मा, मोतीलाल नेहरू, महाराज रणजीत सिंह, दुर्गा मल्ल, बिरसा मुंडा, राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज और चौधरी देवी लाल जैसे विभिन्न राष्ट्रीय प्रतीकों की प्रतिमाएं स्थापित थीं। इन्हें अब प्रेरणा स्थल ले जाया गया है।

सवाल उठता है कि हमारे देश की महान हस्तियों की इन मूर्तियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का क्या मतलब है, खासकर तब जब ये इतने सालों से यहीं पर हैं?

मूर्तियों के बारे में

- पुराने संसद भवन में स्थापित महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा में बापू को ध्यान की मुद्रा में दिखाया गया है। उनके सामने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता विभिन्न मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए विरोध प्रदर्शन करते हैं या नारे लगाते रहे हैं। बापू की इस प्रतिमा को प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार ने बनाया है। वे सरदार पटेल को समर्पित स्मारक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के भी निर्माता हैं।

- संसद भवन परिसर में बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा 2 अप्रैल 1967 को स्थापित की गई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इसका अनावरण किया था। इस प्रतिमा को महान मूर्तिकार बी.वी. वाघ ने बनाया था। इस प्रतिमा को भी एक नए स्थान पर स्थानांतरित किया जा रहा है।

विपक्ष ने जताया ऐतराज

संसद परिसर में महात्मा गांधी और अंबेडकर की मूर्तियों को स्थानांतरित करने और ‘प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन करने का सरकार का कदम विपक्ष को रास नहीं आया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार नहीं चाहती कि गांधी और अंबेडकर की मूर्तियाँ लोकतांत्रिक विरोध के पारंपरिक स्थलों पर हों।

इस बीच उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 16 जून को ‘प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन किया है। ल स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य नेताओं की सभी मूर्तियाँ अब यहीं रखी जाएँगी, जिन्हें पहले संसद परिसर में अलग-अलग जगहों पर रखा गया था।

सरकार का तर्क

विपक्ष के विरोध पर सरकार ने कहा है कि मूर्तियों को दूसरी जगह पर लगाने का काम भूनिर्माण और सौंदर्यीकरण के तहत किया गया है। इसमें कहा गया है कि मूर्तियों को दूसरी जगह पर लगाने से पहले विभिन्न हितधारकों से सलाह ली गई थी।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि किसी भी मूर्ति को हटाया नहीं गया है, उन्हें दूसरी जगह पर लगाया गया है। इस पर राजनीति करने की कोई जरूरत नहीं है। समय-समय पर मैं विभिन्न हितधारकों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करता रहा हूं। लोगों का मानना है कि इन मूर्तियों को एक जगह पर लगाने से उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में जानकारी बेहतर तरीके से प्रसारित करने में मदद मिलेगी।

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