Coromandel Express Accident: देश की प्रीमियम ट्रेनों में शामिल है कोरोमंडल एक्सप्रेस, पहले भी देखें हैं हादसे

Coromandel Express Accident Update: कोरोमंडल एक्सप्रेस रोजाना पश्चिम बंगाल में शालीमार रेलवे स्टेशन और तमिलनाडु में चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन के बीच चलती है। जनवरी 2022 से पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस हावड़ा से चलती थी। यह ट्रेन भारत में सबसे पहले की सुपरफास्ट ट्रेनों में से एक है।

Update:2023-06-03 15:46 IST
Coromandel Express Accident Update (photo: social media )

Coromandel Express Accident Update: देश में अब तक के भीषणतम ट्रेन हादसों में से एक हम सबके सामने है जिसमें तीन-तीन ट्रेनें आपस में लड़ी हैं। इनमें से एक ट्रेन है कोरोमंडल एक्सप्रेस जो देश की प्रीमियम ट्रेनों में शामिल है। इस प्रेस्टीजियस ट्रेन में सफर करना उस रूट के यात्रियों की ख्वाहिश रहती है।

कोरोमंडल एक्सप्रेस रोजाना पश्चिम बंगाल में शालीमार रेलवे स्टेशन और तमिलनाडु में चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन के बीच चलती है। शालीमार स्टेशन कोलकाता में हावड़ा के पास है। जनवरी 2022 से पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस हावड़ा से चलती थी। यह ट्रेन भारत में सबसे पहले की सुपरफास्ट ट्रेनों में से एक है। कोलकाता और चेन्नई की यात्रा करने वाले अधिकांश लोग इस ट्रेन को पसंद करते हैं और ये ट्रेन पूरे साल खचाखच भरी रहती है।

46 साल पहले शुरू हुई थी

कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन का उद्घाटन 6 मार्च 1977 को किया गया था। इस ट्रेन को अब साउथ ईस्टर्न रेलवे जोन ऑपरेट करती है। इसे पहले बंगाल नागपुर रेलवे (बीएनआर) के नाम से जाना जाता था। ये ट्रेन 1662 किलोमीटर की यात्रा 25 घण्टे 30 मिनट में पूरी करती है और इसके 14 स्टॉपेज हैं।

क्यों पड़ा कोरोमंडल नाम

चोल वंश के क्षेत्र को तमिल में चोलमंडलम कहा जाता था, जिसका शाब्दिक अनुवाद "चोलों का क्षेत्र" है। इसी से "कोरोमंडल" शब्द की उत्पत्ति हुई है। कोरोमंडल तट भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणपूर्वी तट को दिया गया नाम है। बंगाल की खाड़ी के साथ भारत के पूर्वी तट को कोरोमंडल तट कहा जाता है और इसलिए इस ट्रेन को यह नाम दिया गया, क्योंकि यह कोरोमंडल तट की पूरी लंबाई को पार करती है।

हो चुके हैं कई हादसे

- 15 मार्च 2002 को हावड़ा-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस के लगभग सात डिब्बे नेल्लोर जिले के कोवुरु मंडल में पदुगुपडु रोड ओवर-ब्रिज पर पटरी से उतर गए थे जिससे 100 से अधिक यात्री घायल हो गए। नेल्लोर जिले में मुख्य रेल ट्रैक की खराब स्थिति को दुर्घटना का कारण माना गया।

- 13 फरवरी 2009 को कोरोमंडल एक्सप्रेस उड़ीसा में भुवनेश्वर से लगभग 100 किलोमीटर दूर जाजपुर क्योंझर रोड के पास पटरी से उतर गई, जिसमें कम से कम 15 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। पटरी से उतरने का कारण ज्ञात नहीं है। अब उस जगह पर ट्रेन धीमी रफ्तार से गुजरती है। दुर्घटना के समय कोरोमंडल एक्सप्रेस 115 किमी/घंटा की गति से चल रही थी।

- 30 दिसंबर 2012 की सुबह ओडिशा के गंजम जिले में कोरोमंडल एक्सप्रेस की चपेट में आने से छह हाथियों की मौत हो गई थी। ट्रेन में सवार एक बेडरोल अटेंडेंट की भी दुर्घटना में मौत हो गई थी।

- 14 जनवरी 2012 को, लिंगराज रेलवे स्टेशन के पास चेन्नई से आ रही कोरोमंडल एक्सप्रेस के एक जनरल डिब्बे में आग लग गई। हालांकि, इसमें किसी को कोई चोट नहीं आई क्योंकि तुरंत फायर ब्रिगेड को बुलाया गया और 20 मिनट के भीतर आग पर काबू पा लिया गया।

- 18 अप्रैल 2015 को निदादावोलू जंक्शन पर ट्रेन में आग लग गई। जिसमें दो बोगियां क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के दौरान किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

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