कोरोना इफेक्ट : पूजा-पाठ और शादियों पर मार
देशव्यापी लॉकडाउन ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की कमाई पर बुरा असर डाला है। इनमें तमाम वो लोग शामिल हैं जो पूजा-पाठ और शादियों के व्यवसाय से जुड़े हुये हैं। नवरात्र से ले कर अक्षय तृतीया तक सब सन्नाटा छाया रहा और आगे का भी कुछ साफ नहीं है।“
नई दिल्ली देश में ये समय बड़े पैमाने पर शादियों का होता है। भारत में कोई भी काम शुरू करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है और अक्षय तृतीया एक ऐसा ही शुभ दिन माना जाता है। इस दिन देश भर में लाखों जोड़े शादी के बंधन में बंधते है लेकिन इस साल देशव्यापी तालाबंदी के चलते लाखों शादियां टल गयीं। साथ ही शादी से जुड़े काम धंधों से कमाई कर अपना परिवार चलाने वाले लाखों लोगों के सामने अभूतपूर्व आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है। शादियों के मौसम में बैंड बाजा, केटरिंग और टेंटवाले तक व्यस्त रहते हैं। सहालग का मौसम उनके लिए अच्छी कमाई का मौसम होता है। कमाई के ऐन मौके पर कोरोना वायरस की मार ने शादी के बाजार पर पानी फेर दिया है।
“देशव्यापी लॉकडाउन ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की कमाई पर बुरा असर डाला है। इनमें तमाम वो लोग शामिल हैं जो पूजा-पाठ और शादियों के व्यवसाय से जुड़े हुये हैं। नवरात्र से ले कर अक्षय तृतीया तक सब सन्नाटा छाया रहा और आगे का भी कुछ साफ नहीं है।“
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पुरोहिती पर असर : नवी मुंबई के एक फुलटाइम पुरोहित सैकड़ों परिवारों के धार्मिक आयोजनों और अनुष्ठानों को पूर्ण कराने में हमेशा व्यस्त रहते हैं लेकिन इन दिनों अपने रोजमर्रा के कामकाज से दूर एकांत में शास्त्रों के अध्ययन में लीन रहते हैं। वर्षों बाद उनके जीवन में ऐसा पहली बार हुआ है जब अप्रैल के महीने में कोई शादी नहीं कराई। वे बताते हैं, "इस महीने 8 शादियों की बुकिंग थी लेकिन लॉकडाउन की वजह से सभी स्थगित हो चुकीं हैं।"
लालगोपाल गंज, कुंडा के पंडित देव विशाल बताते हैं कि इस बार कहीं कुछ नहीं हो रहा। नवरात्रि से अक्षय तृतीया तक कोई शुभ काम मानों हुये ही नहीं हैं। ऐसा तो अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा।
मुंबई के आर्यसमाज में पुरोहित विजय शास्त्री बताते हैं कि पिछले एक महीने से उनके मंदिर में कोई शादी नहीं हुई है। अक्षय तृतीया के दिन आर्यसमाज के देशभर में मौजूद मंदिरों में भी इस शुभ मुहूर्त पर सैकड़ों शादियां होती हैं। अप्रैल ही नहीं बल्कि मई महीने में तय शादियां भी अब टलने लगी हैं.
लखनऊ के पंडित किशोर शास्त्री कहते हैं कि ये वाकई अभूतपूर्व समय चल रहा है। लोग कोई भी आयोजन नहीं कर रहे।
हाल ही में ऑनलाइन शादी करा कर चर्चा में आने वाले रायपुर के पंडित प्रिय शरण त्रिपाठी का कहना है, "अक्षय तृतीया के बाद विवाह का मुहूर्त शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार मुहूर्त के बाद भी कोरोना के चलते विवाह टल रहे हैं।" मई महीने में ही विवाह के 16 मुहूर्त हैं। पिछले 45 सालों से पुरोहिती का काम कर रहे पंडित प्रिय शरण त्रिपाठी बदलते वक्त के साथ वर्चुअल शादी की वकालत करते हैं। पंडित सुनील तिवारी कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से पुरोहितों को भी आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। पूजा पाठ और शादियों के स्थगित होने से हजारों का नुकसान हुआ है।
काम धंधों पर असर : शादी के लिए हॉल किराए पर देने वाले एक व्यवसायी ने बताया कि वो मार्च से मई के बीच अच्छी खासी कमाई कर लेते थे लेकिन इस सीजन में तालाबंदी के चलते शादियां स्थगित होने से उनकी कमाई भी जाती रही। इन दो महीनों की भरपाई आगे हो पाएगी, इसकी कोई संभावना नहीं दिखती। इस बार शादियों के मौसम में कोरोना के प्रकोप ने टेंट वालों और फोटोग्राफी करने वालों का व्यापार भी चौपट कर दिया है। केटरिंग सेवाएं प्रदान करने वाले लोगों के लिए शादियों का मौसम पैसा बनाने का होता है। बैंड बाजा वाले से लेकर ब्यूटी पार्लर चलाने वाले की उम्मीद शादियों के मौसम से रहती है लेकिन इस बार न बैंड बाजा की गूंज है और न ही सजने संवरने के लिए ब्यूटी पार्लर जाने वालों में कोई हलचल। मेकअप आर्टिस्ट बिलकुल खाली बैठे हैं। अक्षय तृतीया पर बुकिंग रद्द हो गईं। इसी तरह गहना कारीगरों या सोना कारोबारियों के लिए भी यह साल अच्छा नहीं जा रहा है।
कैमरों पर ताले : शादी की वीडियोग्राफी और स्टिल फोटोग्राफी करने वाले लोग भी घर पर बैठे हैं। पिछले दो महीनों में बुकिंग रद्द होने से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इन लोगों को आने वाला समय भी ठीक नहीं नजर आ रहा। चिंता है कि कोरोना के बाद भी लोग भीड़ भाड़ और लक्जरी से बचना चाहेंगे। ऐसे में यह पूरा साल यूं ही चला जाएगा।
ठेले वाले परेशान : शादियों और अन्य समारोहों में चाट, चाइनीज़ और आइस क्रीम के ठेले व स्टाल लगाने वाले भी परेशान हैं। पूरा धंधा चौपट हो गया है। इन लोगों को इस बार शादियों के सीजन में अच्छी कमाई की उम्मीद थी। मार्च के दूसरे हफ्ते यानी होली के बाद सरकारी पाबंदी के चलते न कार्यक्रम हो रहे हैं और ना ही कोई ऑर्डर मिल रहा है। कारीगर भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सबको लगता है कि आने वाला समय उनके धंधे के लिए अच्छा नहीं रहेगा। बहुत से ऐसे लोग आजकल फलों और सब्जियों के ठेले लगा कर घूम रहे हैं क्योंकि इसकी इजाजत मिली हुई है। लेकिन इस काम में बहुत लोग उतर आए हैं सो बिक्री भी बहुत सीमित हो रही है।
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नहीं हैं खरीदार : कोई भी धार्मिक काम हो फूलों के बिना अधूरा ही रहता है. दैनिक पूजा-पाठ, हवन- अनुष्ठान और शादियों में फूल-माला की खूब खपत होती है। इस बार नवरात्र के पहले से ही शुरू हो चुके देशव्यापी तालाबंदी ने फूल माला बेचकर अपना परिवार पालने वाले हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से फूलों के कारोबार को जबरदस्त झटका लगा है। जहां फुटकर विक्रेताओं के सामने घर चलाने की चुनौती है तो वहीं फूलों के थोक कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। एक फूल कारोबारी ने बताया कि वो हर महीने 4 से 5 लाख का फूल बेचते हैं। शादियों के सीजन, नवरात्र और अक्षय तृतीया पर फूलों की अधिक मांग रहती है। इस बार कोरोना वायरस की दस्तक ने उनके कारोबार को शून्य पर लाकर रख दिया है।
बड़े कारोबारी हों या अस्थाई ठिकानों पर फूल माला बेचने वाले, सभी इन दिनों आर्थिक नुकसान का दर्द झेल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देश में हर साल लगभग 1 करोड़ से ज्यादा शादियां होती हैं। इसका सालाना बाजार लगभग एक लाख करोड़ रुपये का है। औसतन 25 फीसदी वार्षिक दर से बढ़ रहे शादी के बाजार में लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं। अब शादियां तो इक्का दुक्का हो रही हैं, और वायरस का प्रकोप खत्म होने के बाद होंगी भी लेकिन इस कारोबार से जुड़े सभी लोगों का डर यही है कि वे उतने भव्य पैमाने पर नहीं होंगी, जितनी अभी हो रही थीं।