बड़ी खबर: बस में बांटी गई मौत की मिठाई, तबलीगी जमात का गंदा खेल
हिमाचल प्रदेश के ऊना से खबर है कि यहां पर तबलीगी जमात के लोगों ने बस में सवार होने के बाद उसमें मौजूद दूसरे यात्रियों को पेठे की मिठाई बांटी थी।
नई दिल्ली: देश में बीते कुछ दिनों में कोरोना के मामलों में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। जिसका एक बड़ा कारण है तबलीगी जमात। दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के मरकज में जब से कोरोना वारयस के मामले पाए गए, तब से सरकार के लिए चिंतापूर्ण स्थिति पैदा हो गई। तबलीगी जमात में 2 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे और फिर वहां से निकलकर देश के अलग-अलग हिस्सों में गए। जिसके बाद कई जगह कोरोना के मामले तेजी से बढ़े।
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यात्रियों को बांटी थी पेठे की मिठाई
वहीं अब इस बीच एक और बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश के ऊना से खबर है कि यहां पर तबलीगी जमात के लोगों ने बस में सवार होने के बाद उसमें मौजूद दूसरे यात्रियों को पेठे की मिठाई बांटी थी। कुछ ने उनकी दी हुई मिठाई को खा लिया था, तो कुछ ने उसे फेंक दिया था। अब उन यात्रियों की तलाश की जा रही है, जिन्होंने तबलीगी जमात के लोगों द्वारा दी गई मिठाई खाई थी।
बस में सवार होकर दिल्ली से नालागढ़ पहुंचे थे जमाती
मिली जानकारी के मुताबिक, जमात के लोग नालागढ़ डिपो की बस में सवार होकर दिल्ली से नालागढ़ पहुंचे थे। बस में जमात में शामिल हुए लोगों ने यात्रियों को मिठाई भी बांटी थी। बस में सवार यात्रियों ने इस बात की पुष्टि की है। खबर है कि ऊना जिले के गगरेट का निवासी चालक इस बस को लेकर 18 मार्च शाम 7 बजकर 20 मिनट पर दिल्ली से चला था। सभी लोगों ने रात का खाना नहीं खाया था।
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37 सीटर बस में मौजूद थे 40 लोग
इस बीच जमातियों ने बस में सवार दूसरे यात्रियों को पेठे की मिठाई बांटी थी। फिर 19 मार्च को ये बस सुबह 3 बजे सुबह नालागढ़ पहुंची। बस 37 सीटर थी, जिसमें कुल 40 यात्री सवार हुए थे। दिल्ली से मुस्लिम समुदाय के 23 लोगों ने काउंटर से टिकट कटाया व एक बच्चे का टिकट नहीं लिया गया था। बाद में इस बच्चे का हाफ टिकट बना था।
बस ड्राइवर और कंडक्टर ने मिठाई लेने से किया इंकार
बताया जा रहा है कि जमातियों ने बस ड्राइवर और कंडक्टर को भी पेठे की मिठाई दी थी। हालांकि दोनों ने ही मिठाई लेने से मना कर दिया था। दोनों ने कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहने हुए थे और सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल किया था। जबकि तबलीगी जमातियों के लोगों ने और अन्य कुछ लोगों ने मास्क नहीं लगाए थे।
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