COVID-19: भारत के 11 राज्यों तक पैर पसार चुका कोरोना का नया वैरिएंट, जानिए कितना खतरनाक है JN.1, कहां है कैसी स्थिति?

COVID-19: कोरोना का नया वैरिएंट जेएन.1 तेजी से अपना पैर पसार रहा है। कोविड का नया वैरिएंट कितना खतरनाक है? क्या इससे बचाव के लिए अलग कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो करने होंगे? जेएन.1 वैरिएंट के लक्षण पाए जाने पर डब्ल्यूएचओ और डॉक्टरों की क्या राय है? आइए समझें तमाम सवालों के जवाब-

Update: 2023-12-22 12:42 GMT

COVID 19 (Pic: Newstrack)

COVID-19: एक बार फिर कोरोना महामारी फैल रही है। दुनियाभर में कोरोना महामारी (कोविड-19) के 70 करोड़ से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। अब तक 69.58 लाख से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसी बीच 41 देशों में कोविड-19 के नए वैरिएंट जेएन.1 का पता लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक अब तक इस नए वैरिएंट के 7,300 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं भारत में भी JN.1 वैरिएंट के कई मामले सामने आ चुके हैं।

JN.1 कोविड वैरिएंट कितना खतरनाक है? क्या इससे बचाव के लिए अलग कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो करने होंगे? जेएन.1 वैरिएंट के लक्षणों पाए जाने पर डब्ल्यूएचओ और डॉक्टरों की क्या राय है? आइए समझते हैं...

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जेएन.1 कोरोना वायरस स्ट्रेन का वर्गीकरण ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट‘ के तौर पर किया है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कहा, ‘इससे आम जनता के स्वास्थ्य को कोई बड़ा खतरा नहीं है। कोविड-19 का JN.1 वैरिएंट शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे सकता है। दूसरे कोविड-19 वैरिएंट की तुलना में यह अधिक आसानी से फैल सकता है। हालांकि, अभी तक इससे बेहद गंभीर बीमारी के कोई संकेत नहीं मिले हैं।


 क्या हैं जेएन.1 संक्रमण के प्रमुख लक्षण?

वायरस की स्टडी करने वाले वायरोलॉजिस्ट एंड्रयू पेकोज ने कहा, ‘भले ही इस वैरिएंट के अधिक मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल JN.1 के फैलने को लेकर घबराहट या दहशत फैलाने जैसे हालात नहीं हैं। हालांकि, इसके सामान्य लक्षणों में बुखार या ठंड लगना, खांसी, थकान और बदन दर्द होना शामिल हैं। पेकोज जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में काम करते हैं। JN.1 को पहले इसके मूल वंश BA.2.86 का हिस्सा माना गया। अब इसका वर्गीकरण अलग ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट‘ के रूप में किया गया है। वहीं वर्तमान में इस्तेमाल की जा रही कोरोना वैक्सीन जेएन.1 से बचाव में भी प्रभावी है।

अमेरिका में तीन महीने पहले मिला जेएन.1 का पहला मामला

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, 8 दिसंबर तक अमेरिका में रिपोर्ट किए गए कोरोना संक्रमण के कुल मामलों में सबवेरिएंट जेएन.1 के मामले अनुमानित रूप से 15 से 29 फीसद हो सकते हैं। सीडीसी ने भी स्वीकार किया था कि जेएन.1 वैरिएंट बहुत खतरनाक नहीं है। सुरक्षित रहने के लिए अमेरिका में इस्तेमाल हो रही कोरोना वैक्सीन की एक डोज काफी है। अमेरिका में जेएन.1 का पहला मामला इस साल सितंबर में आया था। पिछले हफ्ते, चीन में इसके सात मामले सामने आए। अमेरिका, चीन, जर्मनी, बेल्जियम, भारत सहित अब यह जेएन.1 दुनिया के 41 देशों में फैल चुका है।


जेएन.1 पर भारत में क्या हैं हालात ?

भारत में जेएन.1 वैरिएंट का पहला मामला केरल में रिपोर्ट किया गया। आठ दिसंबर 2023 को केरल की 79 साल की महिला को नए वैरिएंट से संक्रमित पाया गया। वहीं आईसीएमआर के पूर्व शीर्ष अधिकारी डॉ समीरन पांडा ने कहा, यह तेजी से फैल सकता है, लेकिन गंभीर रूप से बीमार होने की नौबत इसके कारण नहीं आने वाली है।

भारत में जेएन.1 वैरिएंट का मामला बीते दो हफ्ते में 11 राज्यों तक फैल चुका है। 15 दिनों में गोवा सबसे अधिक प्रभावित रहा है। यहां इस वैरिएंट से संक्रमित अब तक 19 मरीज पाए गए हैं। जेनएन.1 वैरिएंट के मामले उत्तर प्रदेश, गुजरात, पुडुचेरी, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली में भी पाए गए हैं।

डॉक्टरों का मानना है कि कड़ाके की ठंड के बावजूद दिसंबर-जनवरी में बड़े पैमाने पर सामूहिक कार्यक्रम होते हैं। क्रिसमस और नए साल के जश्न के बीच लोगों के बीच शारीरिक दूरी नहीं रह पाती। सोशल डिस्टेंसिंग जैसे बुनियादी प्रोटोकॉल का पालन चुनौतीभरा होता है। इस कारण वायरस को आसानी से फैलने का मौका मिलता है।

देश के किस राज्य में कितने मामले

भले ही जेएन.1 वैरिएंट बीमारी की गंभीरता के मामले में अधिक खतरनाक नहीं है, लेकिन इससे सतर्क रहना बहुत जरूरी है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने, पहले से किसी दूसरी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की सूरत में जेएन.1 वैरिएंट का संक्रमण शरीर को और अधिक कमजोर बना सकता है।


कौन से सबसे राज्य अधिक प्रभावित

देशभर में 22 दिसंबर सुबह आठ बजे तक, 4.44 करोड़ से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। कोरोना से अब तक 5.33 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बचाव के लिए अब तक 2.20 अरब लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है। आठ दिसंबर के बाद अब तक जेएन.1 वैरिएंट के 26 मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। इससे प्रभावित 11 राज्यों में पांच सबसे प्रभावित राज्य गोवा में 19, राजस्थान में 4, दिल्ली 1, केरल में 1, महाराष्ट्र में 1, राजस्थान में 1 जेएन.1 वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं।

ओमीक्रॉन वैरिएंट फैमिली का मेंबर है

कोविड-19 का जेएन.1 स्ट्रेन इससे पहले रिपोर्ट किए गए वैरिएंट बीए 2.86 से निकला बताया जा रहा है। बीए 2.86 कोरोना के ओमीक्रॉन वैरिएंट फैमिली का मेंबर है। ओमीक्रॉन बेहद संक्रामक वैरिएंट है जिसके कारण दुनियाभर में पिछले साल बड़ी संख्या में लोग कोरोना की चपेट में आए थे। डॉक्टरों के अनुसार, हर वायरस का अपना ‘स्पाइक प्रोटीन‘ होता है। इससे कोशिकाओं में संक्रमण फैलता है और शरीर में बीमारी के कुछ लक्षण दिखने शुरू होते हैं।

म्यूटेशंस कहा जाता है

स्पाइक प्रोटीन के डीएनए सीक्वेंस में होने वाले बदलाव को वायरोलॉजी या मेडिकल साइंस में म्यूटेशंस कहा जाता है। इस बदलाव के आधार पर किसी वायरस के नए वैरिएंट का पता लगता है। वैरिएंट कितना गंभीर है? इससे संक्रमण के कौन से लक्षण दिखने शुरू हुए हैं? इन पैमानों पर भी वैरिएंट के बीच अंतरों का पता लगाया जाता है।

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