Akshardham Temple History: क्यों इतना खास दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर, जहां ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने पत्नी के साथ किए दर्शन

Delhi Akshardham Temple History: ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनके साथ उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी दिल्ली आई हुई हैं। दोनों आज दिल्ली स्थित विश्व प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर पहुंचे। जहां मंदिर के पुजारी की ओर से उनका भव्य स्वागत किया गया।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-09-10 10:30 IST

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति (सोशल मीडिया)

Delhi Akshardham Temple History: राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में आज यानी रविवार 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन का दूसरा दिन है। समिट में हिस्सा लेने ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनके साथ उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी दिल्ली आई हुई हैं। दोनों आज दिल्ली स्थित विश्व प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर पहुंचे। जहां मंदिर के पुजारी की ओर से उनका भव्य स्वागत किया गया। फिर उन्हें मंदिर में ले जाकर पूजा करवाई।

अरक्षधाम मंदिर में आमतौर पर सुरक्षा बेहद कड़ी रहती है। लेकिन सुनक दंपति के आगमन को लेकर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राइम मिनिस्टर ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता करीब 45 मिनट मंदिर में रहे। उन्होंने मुख्य मंदिर के पीछे स्थित एक और मंदिर में जलाभिषेक भी किया।


ऐतिहासिक धरोहर है अक्षरधाम मंदिर

अक्षरधाम का शाब्दिक अर्थ होता है – ईश्वर का दिव्य निवास। ये भक्ति, पवित्रता और शांति के स्थान के रूप में जाना जाता है। दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मंदिर परिसर होने के नाते यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल है। ये मंदिर भगवान स्वामीनारायण (1781-1830) हिंदू धर्म के अवतार, देवता और महान संतों के लिए एक विनम्र श्रद्धांजलि है। इस मंदिर का निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था की ओर से किया गया है।


जानकारी के मुताबिक, अक्षरधाम मंदिर के निर्माण में भगवान स्वामीनारायण की अध्यात्म परंपरा के पांचवें उत्तराधिकारी ‘प्रमुखस्वामी महाराज’ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मंदिर में लगभग 200 मूर्तियां हैं, जो सहस्राब्दियों से आध्यात्मिकता का परिचय दे रही है। अक्षरधाम का आध्यात्मिक आधार यह है कि प्रत्येक आत्मा एक दिव्य ज्योति है। हर एक प्रार्थना खुद को बेहतर बनने और ईश्वर के करीब जाने की ओर एक आह्वान है।


अक्षरधाम मंदिर के निर्माण से जुड़े तथ्य

अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन 6 नवंबर 2005 को हुआ था। दो दिन बाद यानी 8 नवंबर को मंदिर को आम लोगों के लिए खोल दिया गया था। मंदिर का नाम काफी पारंपरिक तरीके से हुआ है। मंदिर के निर्माण में 30 करोड़ वालंटियर लगे थे। जिनमें दुनियाभर के 8 हजार से अधिक वालंटियर भी शामिल हैं। इस मंदिर को नक्काशीदार बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनवाया गया है। यहां खुले बगीचे, वॉटर बॉडीज और स्टाइल्ड कोर्टयार्ड हैं।

मंदिर में पर्यटकों के लिए क्या है खास

अक्षरधाम मंदिर यूं तो स्वयं देखने में काफी भव्य और मनमोहक है। इसलिए दिल्ली आने वाले इसकी ओर खींचे चले आते हैं। यहां का म्यूजिकल फाउंटेन लोगों में काफी फेमस है। जहां सुंदर कथा का वर्णन किया जाता है। तरह-तरह के प्रकाश और पानी के भाव लोगों का मन जीत लेते हैं। ये शो शाम के समय लगभग 25 मिनट के लिए होता है। इसे देखने के लिए व्यस्क को 80 रूपये और 4 साल से 11 साल के बच्चों को 50 रूपये का टिकट लेना पड़ता है। चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इसमें एंट्री मुफ्त है।


सोमवार को बंद रहता है मंदिर

दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर आम लोगों के लिए सोमवार को छोड़कर हर दिन खुला रहता है। यहां लोग सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक एंट्री कर सकते हैं। यह मंदिर बिल्कुल मेट्रो स्टेशन के पास है। जहां आप दिल्ली मेट्रो के जरिए पहुंच सकते हैं, स्टेशन का नाम भी ‘अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन’ है। 

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