MCD : केजरीवाल की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में बने रहने की, आखिर कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
Kejriwal News: कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में बने रहने की है। कोर्ट ने ये टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
Kejriwal News: दिल्ली शराब घोटाले से जुडे़ मनी लॉन्ड्रिंग के केस में तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सरकार पर दिल्ली हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में बने रहने की है। कोर्ट ने ये टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 April 2024) को एक जनहित याचिका पर सुनवाई की है। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली नगर निगम एमसीडी की आपसी खींचतान की वजह से स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पुस्तके नहीं मिल पा रही हैं, जिससे उनकी पढ़ाई में बाधा पहुंच रही है। इसके साथ कहा गया था कि बच्चे टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
दिल्ली सरकार को फटकार
दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक न्यायाधीश और जज मनमीत सिंह प्रीतम अरोड़ा ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के विद्यालयों के दो लाख से अधिक छात्रों को अब तक पाठ्य पुस्तकें क्यों नहीं उपलब्ध कराई गई हैं।
यही नहीं कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में बने रहने की है। कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा न देकर राष्ट्रीय हित के ऊपर निजी हित को प्राथमिकता दी है।
सरकार ने कहा, मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी, लेकिन वह हिरासत में
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से अधिवक्ता शादान फरासात पेश हुए थे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि मंत्री सौरभ भारद्वाज से मिले निर्देश में बताया गया है कि एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी की अनुपस्थिति में, एक उपयुक्त प्राधिकारी को अधिक शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी होती है, लेकिन वह हिरासत में हैं। इस वजह से यह नहीं हो पा रहा है।
कोर्ट ने कहा, हमें मजबूर मत करिए
सरकार के अधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह तो आपकी मर्जी है, क्योंकि आपने ही कहा था सीएम की हिरासत के बाद भी सरकार काम करती रहेगी। कोर्ट ने कहा कि हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर नहीं करिए, जहां हम जाना नहीं चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि, क्योंकि वहां खालीपल है, इसका यह मतलब नहीं कि बिना पाठ्यपुस्तकों के छात्रों को पढ़ाई करने की अनुमति दी जा सकती है।