दिल्ली निकाय उपचुनावः एक बार फिर AAP से हार गई दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी

वोटों के प्रतिशत पर भी गौर करें तो भाजपा दिल्ली में फिसड्डी ही दिखती है। एमसीडी के 5 वार्डों के लिए हुए उपचुनाव में सबसे ज्यादा आम आदमी पार्टी को 46.10% वोट मिले तो भाजपा को 27.29 प्रतिशत वोट ही मिल सके।

Update: 2021-03-03 15:51 GMT

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्लीः एमसीडी उपचुनाव में मिली जबर्दस्त सफलता से आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जहां खुशी से झूम उठे हैं, वहीं भाजपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। अरविंद केजरीवाल एमसीडी उप चुनाव को जहां एमसीडी के चुनाव का ट्रेलर मान रहे हैं वहीं भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा है कि उपचुनाव को 2022 में होने वाले चुनाव का ट्रेलर नहीं माना जाना चाहिए,जो कमियां रह गई हैं उन्हें सुधारकर 2022 के चुनाव में उतरेंगे।

दिल्ली नगर निगम (MCD) उपचुनाव के नतीजे जारी

लेकिन केजरीवाल की यह बात माने रखती है कि दिल्ली की जनता ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) उपचुनाव में पांच में से चार सीट आप को देकर आज ये बता दिया कि वो आप के कामों से बहुत ज़्यादा खुश है और ज़ीरो पर आई भाजपा के लिए आईना है। ये नतीजे दिखा रहे हैं कि भाजपा 15 साल में अपने काम से दिल्ली की जनता का दिल जीतने में नाकाम रही है।

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पांच में से चार सीटों पर AAP की जीत, भाजपा जीरो पर

अन्ना आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के गठन को अभी महज आठ साल हुए हैं और दिल्ली के दंगल में भाजपा को लगातार एक बार करारी मात दी है। आप दिल्ली ही नहीं राज्य की सीमाएं लांघ कर पंजाब और गुजरात में भी भाजपा को चुनौती दे रही है। जबकि इस उपचुनाव को भाजपा हर हाल में जीत कर यह संदेश देना चाहती थी कि उसका सत्ता से वनवास खत्म होने का अवसर आ गया है।

 

दिल्ली में भाजपा फिसड्डी, मिले 27.29 % वोट

अगर वोटों के प्रतिशत पर भी गौर करें तो भाजपा दिल्ली में फिसड्डी ही दिखती है। एमसीडी के 5 वार्डों के लिए हुए उपचुनाव में सबसे ज्यादा आम आदमी पार्टी को 46.10% वोट मिले तो भाजपा को 27.29 प्रतिशत वोट ही मिल सके। तीसरे नंबर पर कांग्रेस को 21.84% वोट मिले, जबकि बसपा को 2.50% वोट मिले।

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आठ साल की AAP ने किया सबसे बड़ी पार्टी का सूपड़ा साफ

हालांकि भाजपा नेता जमीनी स्तर पर हकीकत से कितने अंजान थे इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि वह तीन से चार सीटें जीतने का दावा कर रहे थे। पार्टी अपने आंतरिक आकलन में शालीमार बाग के अलावा रोहिणी और कल्याणपुरी वॉर्ड में खुद को मजबूत मान रही थी, लेकिन उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं आने से उसके प्रदेश नेताओं के लिए मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। जमीनी स्तर पर पकड़ में भाजपा को जीरो नंबर मिले हैं।

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