किसानों पर कोरोना का मंडराया खतरा, सिंघु बाॅर्डर पर तैनात दो IPS अधिकारी संक्रमित

 किसान  पिछले दो सप्ताह से  दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। भारी संख्या में मौजूद किसानों के बीच संक्रमण फैलने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।

Update:2020-12-11 10:44 IST
दिल्ली पुलिस के मुताबिक एक डीसीपी और एक एडिशनल डीसीपी भी संक्रमित हैं। 

नई दिल्ली : देश के किसान पिछले दो सप्ताह से दिल्ली की सीमाओं पर केन्द्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जारी रखे हैं। भारी संख्या में मौजूद किसानों के बीच संक्रमण फैलने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। अब इसी बीच सिंघु बॉर्डर पर तैनात दिल्ली पुलिस के दो आईपीएस अफसर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

पुलिस बल की कमान संभालने

सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों के मोर्चे पर पुलिस बल की कमान संभालने वाले अफसर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक एक डीसीपी और एक एडिशनल डीसीपी भी संक्रमित हैं।

 

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कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कल ही दिल्ली पुलिस ने बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच गुलाब और मास्क बांटे। साथ ही किसानों को कोविड टेस्ट करवाने का आग्रह किया था। किसानों ने कोविड टेस्ट करवाने से साफ तौर पर मना कर दिया। उसके बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मियों की कोविड जांच करवाई गई, हालांकि पांच से सात पुलिसकर्मियों का टेस्ट करवाने के बाद जांच टीम को वापस भेज दिया गया।

 

आम लोगों ने राहत की सांस ली

चिल्ला बॉर्डर पर बुधवार शाम दिल्ली से नोएडा जाने वाला रास्ता खुलने से आम लोगों ने राहत की सांस ली है। किसानों ने दावा किया कि दिल्ली व यूपी पुलिस बंद रास्ता खोलने के लिए लगातार आग्रह कर रहे थे। किसानों का कहना है कि रास्ता खोले जाने के बाद बृहस्पतिवार दोपहर में दिल्ली पुलिस ने किसानों को सफेद गुलाब और मास्क भेंटकर धन्यवाद दिया। वहीं यूपी पुलिस ने उन्हें लाल गुलाब भेंट किए।

 

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कृषि कानूनों के खिलाफ

बता दें, पंजाब, हरियाणा,गुजरात और यूपी के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। कोरोना संकट और बदलते मौसम के बीच किसानों में बीमारी भी बढ़ रही है। कई किसानों को बुखार, जुकाम और खांसी की शिकायत हो रही है। हालांकि पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें कोरोना जांच कराने की बात कही तो उन्होंने इनकार कर दिया।

किसानों को डर है कि कोरोना जांच में फर्जी रिपोर्ट लगाकर उन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया जायेगा। ऐसे में वे कृषि कानून के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाएंगे और सरकार से कानून वापस लेने को लेकर आंदोलन में शामिल नहीं हो सकेंगे।

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