सावधान: छोटे बच्चों को अकेला न छोड़े, यहां गली-गली में घूम रहे मानव तस्कर

अगर आप के घर में भी कोई छोटा बच्चा है तो इस खबर को पढ़ना आपके लिए बेहद जरूरी हो जाता है। दरअसल दिल्ली से एक ऐसी खबर आई है जो बच्चों के माता –पिता को हैरान कर सकती है।

Update: 2020-09-09 13:20 GMT
पुलिस ने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 10 मानव तस्करों को हिरासत में लेते हुए उनके कब्जे से 14 बच्चों को रिहा कराया है। घटना सात सितंबर की बताई जा रही है।

नई दिल्ली: अगर आप के घर में भी कोई छोटा बच्चा है तो इस खबर को पढ़ना आपके लिए बेहद जरूरी हो जाता है। दरअसल दिल्ली से एक ऐसी खबर आई है जो बच्चों के माता –पिता को हैरान कर सकती है।

दिल्ली पुलिस ने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 10 मानव तस्करों को हिरासत में लेते हुए उनके कब्जे से 14 बच्चों को रिहा कराया है। घटना सात सितंबर की बताई जा रही है। रिहा कराए गये सभी बच्चों की उम्र 12-14 साल के बीच है।

पकड़े गये मानव तस्करों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर लिया है और आगे की जांच जारी है। उधर रिहा कराये गये सभी बच्चों को लाजपत नगर के क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया गया है।

बताया जा रहा है कि ये सभी अगवा किये गये बच्चे बिहार के विभिन्न शहरों और गांवों से यहां लाए गए थे। जिसके बाद से इन छोटे-छोटे बच्चों से दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की कई फैक्टरियों में मजदूरी का काम करवा जा रहा था।

पुलिस को अभी कुछ और लोगों की तलाश है। पुलिस को अंदेशा है कि ये एक बड़ा गिरोह हो सकता है। जो बच्चों की तस्करी के काम में जुटा हुआ है।

किडनैपिंग की प्रतीकात्मक फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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भारत नेपाल सीमा के जरिये होती है मानव तस्करी

भारत नेपाल सीमा पर अवैध धंधो की कहानी अब बहुत पुरानी हो चुकी है। इस सीमा से होने वाले अपराध कई तरह के हैं। इनमे मानव तस्करी , पशु तस्करी , नशीले पदार्थो की तस्करी और अवैध हथियारों की तस्करी से आगे अब पुराने भारतीय नोटों की तस्करी का धंधा बड़ी तेजी से फैला है।

बड़े-बड़े सौदागर इस धंधे में लगे हुए हैं। इन्हें कानून का कोई भय नहीं। लंबा नेटवर्क है। कभी छापेमारी हुई तो प्यादे ही पकड़े जाते हैं। आराम से छूट भी जाते हैं।सौदागरों के कृत्य की जानकारी पुलिस-प्रशासन को है, लेकिन वे जानबूझकर अनजान हैं।

पूछने पर कड़ी कार्रवाई करने की बात अवश्य कहते हैं। भारत- नेपाल सीमा से सटे बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल कस्बे में विदेशी मुद्रा को बदलने का अवैध धंधा हर दूसरा शख्स करता है।

नोटों की ये दुकानें यहां ऐसे सजती हैं मानो पान की दुकान हों। एसएसबी के ट्रैप से भी यह साबित है कि नशीले पदार्थों, मवेशियों, हथियारों के ट्रेड और मानव तस्करी के लिए यह खुली सीमा किस हद तक खतरनाक बन चुकी है। तस्करी की सूची में बिहार में शराबबंदी के बाद शराब और पखवारे भर से डीजल-पेट्रोल नये आइटम हैं।

किडनैपिंग की प्रतीकात्मक फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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नोट बदलिए और चलते बनिए

नोट बदलने वाले सौदागर इशारे में बात करते हैं। पलक झपकते ही सारा काम हो जाता है। इस कारोबार के लिए बड़े-बड़े सौदागर कैश रखते हैं। छोटे दुकानदारों के बीच करेंसी सुबह बंटती है और घंटे-घंटे हिसाब होता है।

बड़े सौदागर और इनका बॉस पर्दे के पीछे ही रहते हैं। कभी पुलिस छापा मारती है तो दुकानें बंद हो जातीं, इस दौरान धंधा चलते-फिरते संचालित होने लगता है। पुलिस ने 2016 में अवैध रूप से संचालित ऐसे केंद्रों के संचालकों को गिरफ्तार किया था, लेकिन ये 24 घंटे में ही छूट गए थे।

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