Bengal Violence: बंगाल हिंसा की जांच की मांग, सुप्रीमकोर्ट ने याचिका स्वीकारी

Bengal Violence:सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गांव में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग वाली जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमत हो गया।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-02-16 10:41 GMT

 बंगाल हिंसा की जांच की मांग, सुप्रीमकोर्ट ने याचिका स्वीकारी: Photo- Social Media

Bengal Violence: सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गांव में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग वाली जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमत हो गया। जनहित याचिका को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया था।

याचिकाकर्ता वकील आलोक श्रीवास्तव श्रीवास्तव द्वारा अपनी निजी हैसियत से दायर याचिका में संदेशखाली हिंसा के पीड़ितों के लिए मुआवजे और कर्तव्य में कथित लापरवाही के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है।याचिका में जांच और उसके बाद के मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की भी मांग की गई है। इसके अलावा, तीन न्यायाधीशों की समिति द्वारा जांच की मांग की गई है जैसा कि मणिपुर हिंसा मामले में किया गया था।

क्या है मामला

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के एक गांव संदेशखाली में एक स्थानीय टीएमसी नेता द्वारा महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। क्षेत्र की कई महिलाओं ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और जबरदस्ती यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमले की घटना के बाद से शाजहान फरार हो गया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि शेख के क्षेत्र छोड़ने के बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों संबंधित महिलाओं ने साहस जुटाया और सड़कों पर उतर आईं और शेख शाहजहां और अन्य टीएमसी नेताओं द्वारा किए गए कथित यौन उत्पीड़न और अत्याचार का विरोध किया।

याचिकाकर्ता ने आशंका जताई है कि अगर मामले को राज्य पुलिस पर छोड़ दिया गया तो निष्पक्ष जांच नहीं होगी, क्योंकि मुख्य आरोपी राज्य पर शासन करने वाली पार्टी का प्रभावशाली सदस्य है।

इस सप्ताह की शुरुआत में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था।

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