कोविड-19: डिसइन्फेक्शन टनल से इंसान को कैंसर का खतरा, ऐसे पहुंचा सकता है नुकसान

 कोरोना वायरस के देश में 33 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच डिसइन्फेक्शन टनल भी लगाए गए। हालांकि ये टनल इंसानों के लिए काफी खतरनाक हैं।

Update: 2020-05-01 03:49 GMT

नई दिल्ली कोरोना वायरस के देश में 33 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच डिसइन्फेक्शन टनल भी लगाए गए। हालांकि ये टनल इंसानों के लिए काफी खतरनाक हैं।

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डिसइन्फेक्शन टनल

देश के दक्षिणी हिस्से से इसकी शुरुआत हुई थी लेकिन बाद में देश के तमाम शहरों में इस टनल की लोकप्रियता बढ़ गई। दिल्ली-एनसीआर के सरकारी दफ्तरों और अस्पतालों में भी यह टनल लगाई गई। अब एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस टनल से गुजर कर खुद को सैनिटाइज करना बेहद खतरनाक हो सकता है।

त्वचा के लिए जहरीला

जब इस टनल के भीतर से गुजरते हैं तो कैमिकल की पतली फुहारें पड़ती हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें जिस कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, वह सोडियम हाइपोक्लोराइट यानी ब्लीच अथवा अमोनिया है। यह सभी कैमिकल किसी वस्तु को तो सैनिटाइज कर सकते हैं लेकिन इंसानी त्वचा के लिए यह बेहद जहरीले हैं।

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पद्मश्री मोहसिन वली का बयान

डब्ल्यूएचओ ने भी इस तरीके के टनल का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। प्रसिद्ध फिजिशियन और पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर मोहसिन वली का कहना है कि विदेश में भी इस तरीके के टनल लगाए गए थे लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया। दरअसल, इसमें जिस कैमिकल का छिड़काव होता है, वह मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक है। शुरुआत में त्वचा पर एलर्जी हो सकती है लेकिन बाद में लंबे समय में यह कैंसर जैसे गंभीर रोग तक कर सकता है।

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