जानिए रुपये की कहानी, कसम से इत्ता ज्ञान किसी ने नहीं दिया होगा

हम अक्सर बोलचाल या कहावतों में सुनते और कहते रहते है कि फूटी कौड़ी भी नहीं दूंगा, धेले का काम भी नहीं हुआ या चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये या फिर पाई-पाई का हिसाब लेना आदि। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर यह कोड़ी, धेला, दमड़ी और पाई है क्या।

Update: 2019-07-18 10:06 GMT

लखनऊ: हम अक्सर बोलचाल या कहावतों में सुनते और कहते रहते है कि फूटी कौड़ी भी नहीं दूंगा, धेले का काम भी नहीं हुआ या चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये या फिर पाई-पाई का हिसाब लेना आदि। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर यह कोड़ी, धेला, दमड़ी और पाई है क्या। हम बताते है यह हमारी प्राचीन भारतीय मुद्रा का नाम है, जैसे कि आज रुपया है।

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भारत में अभी तक जो जानकारी है उसके मुताबिक सबसे पुरानी और छोटी मुद्रा फूटी कौड़ी है। फूटी कौड़ी से कौड़ी, कौड़ी से दमड़ी, दमड़ी से धेला, धेला से पाई, पाई से पैसा, पैसा से आना और आना से रुपया बना है।

प्राचीन भारत में एक कौड़ी में तीन फूटी कौड़ी होती थी तो 10 कौड़ी से एक दमड़ी, एक धेला में दो दमड़ी या डेढ़ पाई होती थी तो एक पैसा में तीन पाई मानी जाती थी। इसी तरह एक आना में चार पैसा के बराबर था तो 16 आना से एक रुपया बनता था।

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इसी तरह अगर आज की चलन वाली मुद्रा रुपये के बारे में देखे तो एक रुपया में 256 दमड़ी या 192 पाई या 128 धेला या 64 पैसा पुराना या 16 आना का मानक था।

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