Dolo 650 Controversy: कोरोना काल में ब्रांड बनी Dolo 650 विवादों में घिरी, आयकर विभाग के छापे में हुआ बड़ा खुलासा

Dolo 650 Controversy: कंपनी ने अपनी दवाओं की बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ से अधिक के उपहार दिए। उन्होंने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीटीडी) के एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए ये बात कही।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-08-19 07:37 GMT

Dolo 650 Controversy (Image: Social Media)

Dolo 650 Controversy: कोरोना काल के दौरान डॉक्टर्स के प्रिस्क्रिप्शन से लेकर सोशल मीडिया के मीम्स में छाई रहने वाली दवा Dolo 650 अब विवादों में है। इस दवा को बनाने वाली कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड पर आरोप है कि उसने कोरोना काल के दौरान Dolo 650 की बिक्री बढ़ाने के लिए अनुचित तरीके का इस्तेमाल किया है। उसके खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कंपनी पर डॉक्टरों को करोड़ों रूपये के गिफ्ट के तौर पर बांटने का आरोप लगाया गया।

माइक्रो लैब्स लिमिटेड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाली फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वकील संजय पारिख ने कहा कि कंपनी ने अपनी दवाओं की बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ से अधिक के उपहार दिए। उन्होंने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीटीडी) के एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए ये बात कही।

वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने आगे कहा कि 500 एमजी पैरासिटामोल के लिए ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी कीमतें तय करती हैं। मगर जैसे ही डोज को इससे अधिक बढ़ाया जाता है, तब कीमतें तय करने का अधिकार दवा निर्माता कंपनी के पास आ जाता है। डोलो बनाने वाली कंपनी ने इसका फायदा उठाया। पारिख ने दलील दी कि उच्च लाभ हासिल करने के लिए कंपनी ने डोलो 650 एमजी टैबलेट लिखने के लिए डॉक्टर्स के बीच उपहार बांटे।

सुप्रीम कोर्ट ने माना इसे गंभीर मुद्दा

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने दलीलें सुनने के बाद कहा, यह एक गंभीर मुद्दा है, इसे आम मुकदमेबाजी की तरह नहीं देखा जा सकता। हम इस मामले पर जरूर सुनवाई करेंगे। इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने डोलो 650 एमजी को लेकर निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब मुझे कोविड हुआ था, तब डॉक्टर ने मुझे भी यह दवा लेने को कहा था।

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिस्टर जनरल केएम नटराजन को दस दिनों में याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील संजय पारिख को एक सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी।

डोलो की होशियारी कैसे पकड़ी गई ?

डोलो बनाने वाली कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड के ठिकानों पर इस साल 6 जुलाई को आयकर विभाग ने छापा मारा था। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीटीडी) ने इस कार्रवाई के बाद बड़ा खुलासा किया था। सीबीटीडी ने बताया था कि छापे के दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल डाटा हाथ लगे हैं, जो इस बात को पुख्ता करते हैं कि कंपनी ने सेल्स और प्रोमोशन के नाम पर डॉक्टरों को मुफ्त में जमकर गिफ्ट बांटे। इन खर्चों को कंपनी के खातों में Unallowable Expense के तौर पर दिखाया गया। कंपनी की तरफ से इस पर 1000 करोड़ रूपये से अधिक रकम खर्च किए गए। डॉक्टरों को महंगे गिफ्ट के साथ – साथ ट्रैवल एक्सपेंस भी दिए गए थे।

कंपनी पर कर चोरी के भी आरोप

इतना ही नहीं छापेमारी में कंपनी द्वारा सरकार को चूना लगाने की बात भी सामने आई। आयकर विभाग को जांच पता चला कि माइक्रो लैब्स ने करीब 300 करोड़ रूपये की कर टैक्स चोरी की। साथ ही आयकर कानून की धारा 194-सी का उल्लंघन भी किया। इस छापेमारी के दौरान कंपनी के ठिकाने से आईटी विभाग ने 1.20 करोड़ रूपये की अघोषित नकदी और 1.40 करोड़ रूपये के गहने भी बरामद किए थे।

कंपनी के लिए आपदा बनी अवसर

आपदा अवसर में कैसे तब्दिल होती है इसका सबसे ताजा उदाहरण डोलो 650 एमजी बनाने वाली कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड है। मार्च 2020 से दिसंबर 2021 तक, कोरोना महामारी के 20 महीनों में 567 करोड़ रुपए की 350 करोड़ डोलो 650 टैबलेट बिकी है। इतना ही नहीं डोलो भारत की दूसरी सबसे अधिक बिकने वाली बुखार और दर्द की दवा बन गई है। माइक्रो लैब्स लिमिटेड भारत में कारोबार करने के साथ – साथ 50 अन्य देशों में भी दवाओं का निर्यात करती है। पिछले साल कंपनी का टर्नओवर 2700 करोड़ रूपये रहा था। कंपनी कई अन्य दवाएं भी बनाती है लेकिन उसकी कमाई में सबसे अधिक योगदान डोलो 650 का है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के आगमन के बाद Dolo 650' कीवर्ड को गूगल पर लाखों लोगों ने सर्च किया था। 

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