Parliament session : लखनऊ विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए, राज्यसभा में डॉ. दिनेश शर्मा ने केंद्र सरकार के सामने रखी मांग
Parliament session : राज्यसभा में भाजपा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के लिए एक बड़ी मांग रख दी। उन्होंने सरकार से लखनऊ विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग की है।
Parliament session : संसद के बजट सत्र के चौथे दिन यानी गुरुवार को भी विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। बजट पर चर्चा के दौरान संसद के दोनों सदनों - राज्यसभा और लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच माहौल गर्म नजर आया। इस बीच राज्यसभा में भाजपा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के लिए एक बड़ी मांग रख दी। उन्होंने सरकार से लखनऊ विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग की है। उनकी इस मांग के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों में उत्साह देखा गया।
राज्यसभा में भाजपा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि इससे विश्वविद्यालय में संसाधनों की वृद्धि होगी, जिससे छात्रों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का कई विभागों में एक अलग ही सम्मान है। इसके साथ ही दुनिया के कई देशों के विद्यार्थी यहां पढ़ाई करने के लिए भी आते हैं। इसका एक दूसरा कैंपस भी बना हुआ है, आस-पास के जनपदों के कई महाविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं, यहां छात्रों की संख्या लाखों में पहुंच गई है।
विश्व में एक अलग स्थान
उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय कई शोध पीठों (दीन दयाल उपाध्याय शोध पीठ, अटल बिहारी सुशासन पीठ, भाऊराव देवरस शोध पीठ) का निर्माता भी है। यहां कई विभागों में तमाम प्रकार के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चलते हैं। उन्होंने कहा कि शोध गंगा पोर्टल के सफल संचालन, डिजिटल लाइब्रेरी के साथ-साथ और शोधपत्रों में उच्च मानकों की स्थापना के संबध में विश्वविद्यालय की वैश्विक स्तर पर गणना होती है। इसके साथ पठन और पाठन की प्रक्रिया में भी लखनऊ विश्वविद्यालय का विश्व में अपना एक स्थान बना सके।
केंद्रीय विश्वविद्यालय का मिले दर्जा
उन्होंने कहा कि यहां के शिक्षक विश्व के कई विश्वविद्यालयों में बड़े-बड़े उच्च पदों पर गए हैं। छात्रों ने लखनऊ, प्रदेश और देश का नाम रौशन किया है। ऐसे में संसाधनों की कमी के कारण छात्रों की प्रगति में कोई अवरोध उत्पन्न न हो, इसके लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शैक्षिक उन्नयन के युग में शिक्षा विभाग ने पूरे देश में नई शिक्षा नीति के साथ नव प्रयोग किए हैं। ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यायल, जो 1921 में स्थापित हुआ है, उसे यदि केंद्रीय विश्वविद्वालय का दर्जा दिया जाता है तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।