President Election 2022: द्रौपदी मुर्मू ही बनेंगी राष्ट्रपति, सात लाख वोटों का लक्ष्य
Draupadi Murmu Victory: महाराष्ट्र में सत्ता पलट ने भी राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की द्रौपदी मुर्मू के जीत की जमीन तैयार की हैं।
President Election 2022: भले ही राष्ट्रपति चुनाव के संपर्क अभियान में तेज़ी न दिख रही हो पर जिस तरह द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने वाले दलों की तादाद बढ़ रही है । उससे यह साफ़ होता है कि इस रेस में यशवंत सिन्हा बहुत पीछे छूट गये हैं। वह भी तब जब भाजपा का प्रचार तंत्र अपने उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के प्रचार में अपनी शैली के अनुसार नहीं उतरा है। आने वाले कुछ ही दिनों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन भी मुर्मू के साथ खड़े दिखाई देंगे । उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए मुर्मू के पक्ष में खड़े होने के सिवाय कोई रास्ता ही भाजपा ने नहीं छोड़ा है। महाराष्ट्र में सत्ता पलट ने भी राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की द्रौपदी मुर्मू के जीत की ज़मीन तैयार की हैं।
जाने विधायक और सांसदों का वोट वैल्यू
महाराष्ट्र में एक विधायक का वोट वैल्यू 175 है। शिव सेना के चालीस विधायक भाजपा के साथ आये हैं, इस तरह 7000 वोटों का इज़ाफ़ा हो गया। इसी तरह झारखंड के विधायक का वोट वैल्यू 176 है। इनके विधायकों की संख्या 30 है। हेमंत के पास लोकसभा व राज्य सभा मिलाकर तीन सांसद हैं। एक सांसद के मत का मूल्य 700 है। हेमंत के पास जनजाति से आने वाली मुर्मू को वोट देने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। इस तरह मुर्मू के वोटों में 7380 वोट और बढ़ गये। कमोबेश यही स्थिति नवीन पटनायक की भी हैं। क्योकि मुर्मू उड़ीसा से ही आती हैं। यहाँ के एक विधायक के वोट का मूल्य 149 हैं। इनके 112 विधायक हैं। 21 सांसद बीजद के पास हैं। इस लिहाज़ से 31388 वोटों का इज़ाफ़ा हुआ। जगन रेड्डी एनडीए का पार्ट नहीं हैं। पर उनकी सरकार का बनना व चलना दोनों भाजपा की कृपा का ही नतीजा है।उनकी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के 151 विधायक हैं। एक विधायक के वोट की वैल्यू 159 है। 31 एमपी भी इनकी पार्टी के हैं। इस तरह द्रौपदी मुर्मू के खाते में 45709 वोट जुड़ते हैं। बीजद, झामुमो, वाईएसआर कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में हुए परिवर्तन से सत्तर हज़ार वोट बढ़ जाते हैं।
543 लोकसभा सीटों में से 131 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। यह कुल सीटों का करीब 24 फीसदी है। अनुसूचित जाति के लिए 84 सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। आंध्र प्रदेश में एक सीट एसटी को लिए रिज़र्व है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व गुजरात की चार- चार ,झारखंड और उड़ीसा में पाँच पाँच, मध्य प्रदेश में छह, कर्नाटक, मेघालय, तेलंगाना , असम, पश्चिम बंगाल में दो दो सीटें , राजस्थान में तीन तथा मणिपुर, मिज़ोरम , त्रिपुरा ,दादरा नगर हवेली एवं लक्षद्वीप में एक एक सीटें जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर किसी भी दल का उम्मीदवार जीता हो पर वह द्रौपदी मुर्मू को वोट देने से खुद को रोक नहीं पायेगा।
राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए मतदाताओं के वोट की कुल वैल्यू 10,86,431 है। इस तरह राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए आधे से एक वोट ज्यादा की जरूरत होगी, जिसके लिहाज से कम से कम 5,43,216 वोट चाहिए होंगे। राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए के पास 5.26 लाख वोट हैं, जिनमें बीजेपी के साथ जेडीयू, एआईएडीएमके, अपना दल (एस), एलजेपी, एनपीपी, निषाद पार्टी, एनपीएफ और एमएनएफ छोटे दल शामिल हैं। राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए बहुमत के आंकड़े से केवल एक प्रतिशत वोट से पीछे है जबकि भाजपा के पास अकेले 42 प्रतिशत से ज्यादा वोट हैं।
बीजेपी का पलड़ा पहले से ही भारी
बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास कुल वोट का करीब 48 फीसदी वोट है। कुल वोट 10.86 लाख हैं तो उसमें बीजेपी प्लस के पास 5.26 लाख वोट हैं। बहुमत का आंकड़ा 5.43 लाख है। बीजेपी की वोट वैल्यू साल 2017 की तुलना में घटी है। 2017 में बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के लिए 7,02,044 वोट हासिल किए। लेकिन आज एनडीए के कुल वोटों की वैल्यू घटकर 5.26 लाख रह गई है, जो कि बहुमत के आंकड़े से थोड़ा कम है।दरअसल, लोकसभा में बीजेपी सीटों की संख्या में जरूर बढ़ी है, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों से तालमेल बिगड़ा है। राज्यों की विधानसभा सीटों में भी कई जगहों पर कमी आई है। दूसरी ओर कांग्रेस, द्रमुक, शिवसेना, राजद और एनसीपी के वोटों की वैल्यू 2.59 लाख है। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में तीसरा मोर्चा यानी टीएमसी, एसपी, आम आदमी पार्टी, केरल की लेफ्ट पार्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इनके वोटों की वैल्यू करीब 2 लाख से ज्यादा है।
राजद की वोट वैल्यू 5.26 लाख है। तक़रीबन अस्सी हज़ार वोट बीजद, वाईएसआर , झामुमो व महाराष्ट्र से हुए परिवर्तन से इसमें जुड़ें तो यह बढ़कर 5.96 लाख हो जाते हैं, जो द्रौपदी मुर्मू की जीत के लिए पर्याप्त हैं। पर भाजपा की तैयारियों पर नज़र दौड़ाये तो यह आँकड़ा सात लाख के पार कहीं पहुँच जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए । क्योंकि पिछली बार राष्ट्रपति के चुनाव में राम नाथ कोविद तो 702044 वोट मिले थे। इस बार भाजपा ने कोविद ये बड़ा स्ट्रोक खेला है। इसलिए जीत का आँकड़ा पिछले बार से कम होगा यह सोचना बेमानी होगा।