पकड़ा गया देश का सबसे बड़ा हवाला कारोबारी, एक लाख करोड़ का घोटाला
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देश के सबसे बड़े हवाला रैकेट का खुलासा किया है। ईडी ने अमेरिका, इटली, ब्रिटेन,स्पेन, नीदरलैंड और यूएई सहित कई देशों में वांटेड अंडरवर्ल्ड हवाला कारोबारी नरेश जैन को गिरफ्तार कर लिया है।
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देश के सबसे बड़े हवाला रैकेट का खुलासा किया है। ईडी ने अमेरिका, इटली, ब्रिटेन,स्पेन, नीदरलैंड और यूएई सहित कई देशों में वांटेड अंडरवर्ल्ड हवाला कारोबारी नरेश जैन को गिरफ्तार कर लिया है। जैन 554 मुखौटा कंपनियों और 940 बैंक खातों के जरिए अपना हवाला कारोबार चला रहा था। जैन और उसके साथियों पर पिछले कुछ सालों के दौरान 1,07 लाख करोड़ रुपए के हवाला और अवैध वित्तीय लेनदेन के आरोप हैं।
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ईडी की हिरासत में भेजा
ईडी के अधिकारियों ने बताया कि नरेश जैन को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद उसे रोहिणी की अदालत में पेश किया गया जहां से उसे 9 दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि ईडी की जांच के दायरे में कुछ बड़े कारपोरेट और एक बड़ी विदेशी विनिमय कंपनी भी है।
विदेशी बैंक शाखाएं भी निशाने पर
ईडी के अफसरों के मुताबिक जैन और उसके साथी शातिर तरीके से हवाला कारोबार में जुटे हुए थे। वे भारत में नकद रकम लेने के बाद फर्जी टूर एंड ट्रेवल्स फर्मों और टेलीग्राफिक ट्रांसफर के जरिए इस रकम को उन विदेशियों के खातों में जमा कराते थे जिन्हें रकम दी जानी थी। सूत्रों का कहना है कि ईडी के निशाने पर दुबई, हांगकांग और सिंगापुर की 337 विदेशी बैंक शाखाएं भी हैं। ईडी ने उन 970 विदेशियों की पहचान की है जिनके खाते में करीब 18000 करोड़ रुपए की रकम जमा कराई गई है।
ठिकानों पर मिले फर्जी दस्तावेज
ईडी के अधिकारियों का कहना है नरेश और उसके साथियों के ठिकानों से फर्जी दस्तावेज, जन्म प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और मार्कशीट आदि भी बरामद की गई है। इन कागजातों की मदद से फर्जी बैंक खाते और मुखौटा कंपनियां खोली जाती थीं और फिर हवाला कारोबार का धंधा किया जा रहा था।
ईओडब्ल्यू ने भी दर्ज किया था मामला
ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामलों में नरेश जैन और उसके साथियों के खिलाफ जांच कर रही है। नरेश जैन की गिरफ्तारी ईओडब्ल्यू की उस प्राथमिक के सिलसिले में हुई है जो कि धोखाधड़ी,जालसाजी और अपराधिक षड्यंत्र के आरोप में दर्ज की गई थी। यह प्राथमिकी ईडी द्वारा भेजी गई एक शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी।
ईडी ने की थी छापेमारी
ईडी ने ईओडब्ल्यू की प्राथमिकी के आधार पर पीएमएल ए के तहत मामला दर्ज किया था और उसके बाद राजधानी के रोहिणी और विकासपुरी इलाकों में नरेश और उसके सहयोगियों के परिसरों पर छापेमारी की गई थी। छापामारी के दौरान विदेशी बैंक खातों को संचालित करने के लिए 14 डिजिटल चाबियां जब्त की गई थीं। इनका उपयोग टेलीग्राफिक ट्रांसफर में किया जाता था। तलाशी के दौरान मुखौटा कंपनियों से जुड़े दस्तावेज, कई पेन ड्राइव व हार्ड ड्राइव भी बरामद की गई थी।
मादक पदार्थों का भी धंधा
हवाला कारोबारी नरेश जैन लंबे समय से जांच एजेंसियों के रडार पर था। ईडी ने 2016 में विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन के मामले में उसे 12 सौ करोड़ रुपए का नोटिस भी जारी किया था। ईडी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जैन कई साल से हवाला के पैसे के लेनदेन में लगा हुआ था। इसके साथ ही उस पर मादक पदार्थ का धंधा करने वाले गिरोहों को भी पैसा मुहैया कराने का आरोप है और उसे पहले मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (एनसीडी) ने भी गिरफ्तार किया था।
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ब्रिटिश एजेंसी ने खोला था राज
जैन और उसके साथियों का राज सबसे पहले ब्रिटिश एजेंसी ने खोला था। ब्रिटेन की सीरियस ऑर्गेनाइज्ड क्राईम एजेंसी ने 2009 भारत को जैन और उसके सहयोगियों की गतिविधियों के संबंध में एक रिपोर्ट दी थी। उस समय जैन दुबई में था।
दुबई पुलिस ने फरवरी 2007 में नरेश और 9 अन्य लोगों को इसी तरह के एक मामले में गिरफ्तार किया था मगर बाद में उसे जमानत मिल गई थी। सूत्रों के मुताबिक 2009 में जैन दुबई से भाग गया और उस समय उसके खिलाफ इंटरपोल की ओर से दो वैश्विक गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए थे। उस समय से ही वह ईडी के निशाने पर था।
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