PMLA: विपक्षी नेताओं के आरोपों पर प्रवर्तन निदेशालय ने जारी किए आंकड़े, 96 फीसदी मामलों में दोषसिद्धि का किया दावा
PMLA: इन राज्यों में मौजूद विपक्ष के कद्दावर नेताओं के या तो अपने या पार्टी के नेता सीबीआई – ईडी जैसी एजेंसियों के रडार पर हैं।
PMLA: बिहार से लेकर बंगाल तक और दिल्ली से लेकर तेलंगाना तक तकरीबन देश के तमाम प्रमुख विपक्ष शासित राज्यों में केंद्रीय जांच एजेंसियों विभिन्न मामलों की जांच को लेकर एक्टिव हैं। इन राज्यों में मौजूद विपक्ष के कद्दावर नेताओं के या तो अपने या पार्टी के नेता सीबीआई – ईडी जैसी एजेंसियों के रडार पर हैं। यही वजह है कि विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर इन केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए करता रहा है।
Also Read
खासकर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को लेकर विपक्षी नेताओं के बीच खौफ का पर्याय बनी प्रवर्तन निदेशालय की सक्रियता सबसे ज्यादा खबरों में रहती है। पिछले दिनों विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खत में आरोप लगाया था कि ईडी द्वारा दर्ज ज्यादातर मामले कोर्ट में टिक नहीं पाते। ऐसे में केंद्रीय एजेंसी सरकार के इशारे पर किसी नेता पर केस दर्ज कर उसकी छवि को खराब करने की कोशिश करती है। विपक्षी नेताओं के आरोप पर ईडी ने एक विस्तृत आंकड़ा जारी कर उन्हें जवाब देने की कोशिश की है।
मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दोषी पाए जाने की दर 96%
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी आंकड़े में बताया गया है कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) जिसे प्रचलित भाषा में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट भी कहा जाता है, के तहत 2005 से 31 जनवरी 2023 तक कुल 5906 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से केवल 176 मामले ऐसे हैं जो किसी मौजूदा या पूर्व जनप्रतिनिधि के खिलाफ दर्ज किए गए हैं।
5906 मामलों में से 1142 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और उनका ट्रायल चल रहा है। 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ईडी के आंकड़ों के मुताबिक, 25 ऐसे मामलों में जिनका ट्रायल जनवरी 2023 तक पूरा हो चुका है, इनमें से 24 मामलों में आरोप सही साबित हुए हैं, जबकि एक में आरोपी को बरी कर दिया गया। इन 24 मामलों में 45 अभियुक्तों को सजा हुई है। इसका मतलब है कि ईडी द्वारा जिन केसों में ट्रायल पूरा हो चुका है उसमें दोषी पाए जाने की दर 96% है।
ईडी ने आगे बताया कि कुल 5906 मामलों में से 531 केसों में ही रेड डाली गई। इन 531 केसों में 4954 सर्च वारंट जारी किए गए हैं। पीएमएलए कानून के तहत कुल 1919 कुर्की आदेश जारी किए गए, जिसके तहत कुल 1,15,350 करोड़ रूपये की संपत्ति कुर्क की गई थी। वहीं, जिन 24 मामलों में ईडी ने कोर्ट में दोषी के खिलाफ आरोप साबित कर दिए उन केसों में 36.23 करोड़ रूपये की संपत्ति जब्त की गई। इसके अलावा इन मामलों में अदालत की ओर से भी दोषियों के खिलाफ 4.62 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया गया।
ईडी के मुकाबले सीबीआई की दोषसिद्धि रेट कितनी ?
मीडिया में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की दोषसिद्धि दर 68 प्रतिशत और राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की दोषसिद्धि दर 94 प्रतिशत है। इस नजरिए से देखें तो अदालत में गुनाह को साबित करने में प्रवर्तन निदेशालय का प्रदर्शन देश की बाकी केंद्रीय एजेंसियों खासकर सीबीआई से काफी बेहतर है।