Eid Al-Fitr : मीठी ईद क्या है, शुरुआत कब हुई और क्या है महत्व

मुसलमानों का यह त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते हैं और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद मनाई जाती है।

Update:2020-05-21 17:39 IST
Ed ul fitr

रामकृष्ण वाजपेयी

Eid Al-Fitr या ईद उल फितर या मीठी ईद 25 मई को मनाए जाने की संभावना है। हालांकि इस बार कोरोना वायरस के चलते ईद पर वह गहमागहमी और मुबारकबाद की लहर देखने को नहीं मिलेगी जैसी हर बार देखने को मिलती है। वास्तव में इस्लाम में ईद उल फित्र का बहुत महत्व है। आज हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि ईद क्यों मनायी जाती है ईद मनाने की शुरुआत कब से हुई और ईद के दिन नमाज अदा करने का क्या महत्व है।

क्या होता है ईद में

दरअसल रमजान के पूरे एक महीने रोजा रखने के बाद ईद-उल-फितर का यह त्योहार मनाया जाता है। फित्र या फितर शब्द अरबी के ‘फतर’ शब्द से बना। जिसका अर्थ होता है टूटना। इस दिन 30 दिन बाद मुसलमान दोपहर में खाना खाते हैं।

नमाज से पहले सभी अनुयायी कुरान के अनुसार, गरीबों को अनाज की नियत मात्रा दान देने की रस्म अदा करते हैं, जिसे फितरा देना कहा जाता है। फितर एक धर्मार्थ उपहार या दान है, जो रोजा तोड़ने पर दिया जाता है।

जब रमजान के पवित्र महीने में रोजों-नमाजों तथा उसके तमाम कामों को पूरा कर लिया जाता है तो अल्लाह एक दिन अपने इबादत करने वाले बंदों को बख्शीश व इनाम से नवाजता है। इसीलिए इसे 'ईद' कहते हैं।

क्या किया जाता है ईद में

मुसलमान रमज़ान उल-मुबारक के एक महीने के बाद ये त्यौहार मनाते हैं। जिसे ईद उल-फ़ित्र या मीठी ईद कहा जाता है। बच्चों की तो रोजे के दौरान ही ईद की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। ईद पर बांटने के लिए पकवान बनाने की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। बच्चों में नए कपड़े पहनने का बहुत उत्साह रहता है। रोजेदार भी ईद के दिन एक दम नये कपड़े पहनकर नमाज अदा करके देश में खुशहाली और अमन की दुआ मांगते हैं। वास्तव में मीठी ईद के दिन अदा की जाने वाली नमाज में खुदा से महीने भर की इजाजत वाली इबादत को कबूल करने की प्रार्थना की जाती है।

रौनक ही निराली होती है

Eid Al-Fitr शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है। ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है। जिसे चांद रात कहा जाता है उस दिन सारी रात बाजार खुले रहते हैं ताकि ईद के दिन सभी लोग अपने लिए नए कपड़े और पर्व के लिए आवश्यक खरीदारी कर लें। लेकिन इस बार कोरोना और लॉकडाउन के चलते यह संभव नहीं दिखाई दे रहा है। लोगों के दुकानों के खुलने के लिए निर्धारित समय में ही खरीदारी करनी होगी।

मुसलमानों का यह त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते हैं और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद मनाई जाती है।

पहली बार कब मनी थी ईद

कहा जाता है कि इस दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे। मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ। माना जाता है कि इस दिन पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था, इसी कारण इस दिन को मीठी ईद या Eid Al-Fitr के रुप में मनाया जाता है। काज़ी डॉ. सैय्यद उरूज अहमद का कहना है, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानी 624 ईस्वी में पहली बार (करीब 1400 साल पहले) ईद-उल-फितर मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बताया है कि उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान में पहले से ही 2 सबसे पवित्र दिन बताए हैं। जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है। इस प्रकार ईद मनाने की परंपरा अस्तित्व में आई।

Eid Al-Fitr के दिन पांचों वक्त की नमाज अदा कर खुदा से महीने भर की गई इबादत स्वीकार करने की प्रार्थना की जाती है। इसलिए ईद उल फितर के दिन पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है।

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