Demonetisation Anniversary: नोटबंदी के 8 साल, 2016 की नोटबंदी से अब तक का सफर

Demonetisation Anniversary: नोटबंदी के फैसले के कारणों में सबसे प्रमुख था काले धन पर लगाम लगाना लेकिन आज आठ साल बाद आठ साल बाद भी काले धन के खिलाफ लड़ाई जारी है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-11-08 13:54 IST

Demonetisation Anniversary  (photo: social media )

Demonetisation Anniversary: 2016 की 8 नवंबर की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात ठीक 8 बजे दूरदर्शन पर आकर एलान किया कि रात 12 बजे से देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद किया जा रहा है और वो लीगल टेंडर नहीं रहेंगे। पीएम मोदी ने नए 500 और 2000 रुपये के नए नोट आने की भी घोषणा की थी। इस नोटबंदी से न सिर्फ देश में, बल्कि विदेश में भी हलचल मची और महीनों तक इससे जुड़ी खबरें आतीं रहीं। आज नोटबंदी के आठ साल पूरे हो चुके हैं। नोटबंदी के फैसले के कारणों में सबसे प्रमुख था काले धन पर लगाम लगाना लेकिन आज आठ साल बाद भी काले धन के खिलाफ लड़ाई जारी है, सर्कुलेशन में नकदी लगभग दोगुनी हो गई है - 2016 में 17 लाख करोड़ रुपये से 2024 में 34 लाख करोड़ रुपये तक।

दो हजार का नोट आया

नोटबंदी के एलान के बाद रिजर्व बैंक ने 500 रुपये का नया नोट और 2000 रुपये के नोट लांच किये चलाए, दो हजार का नोट तो पहली बार आया था और इसके पीछे तर्क दिया गया था कि बड़े लेनदेन में लोगों को आसानी होगी और बड़े लेनदेन को ट्रैक करना आसान होगा।

नोटबंदी करने के पीछे सरकार ने तर्क दिया था कि 500 और 1000 रुपये के नकली नोटों की रोकथाम, काले धन पर लगाम और नक्सलवाद-आतंकवाद की रोकथाम में इस कदम से मदद मिलेगी। पीएम मोदी के आधिकारिक ऐलान के बाद रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने बताया था कि देश में चल रहे सभी मूल्यवर्ग के नोटों की सप्लाई में 2011 से 2016 के बीच कुल 40 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसमें से 500 और 1000 रुपये के जाली नोटों में इस दौरान क्रमश: 76 फीसदी और 109 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इस जाली नकदी को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा था लिहाजा नोटबंदी का सरकार का फैसला सही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 19 मई, 2023 को 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का ऐलान किया। हालांकि केंद्रीय बैंक ने जनता को 2000 रुपये के नोट जमा कराने और बदलने के लिए 23 मई से 30 सितंबर तक का वक्त दिया। बाद में केंद्रीय बैंक ने इसकी समयसीमा 7 अक्टूबर 2023 तक बढ़ाई।

नोटबंदी के तहत देश की 86 फीसदी करेंसी चलन से बाहर हो गयी। पुराने नोट बदलने और नए नोट हासिल करने के लिए बैंकों के बाहर लम्बी लम्बी लाइनें लग गईं। एटीएम में मारामारी मच गयी। बैंकों के बाहर अफरातफरी में 100 लोगों की मौत हो गई।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नोटबंदी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुईं और 7 सालों तक अलग-अलग मामलों में उच्चतम न्यायालय में केस चले। जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया और कहा कि केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता।

भारत में नोटबंदी कई बार हुई है :

1946: 500, 1000 और 10,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण।

1978: 1000, 5000 और 10,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण।

2014: 2005 से पहले जारी किए गए सभी नोटों को वापस लेना।

2016: 500 और 1000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण।

2023: 2000 रुपये के नोटों को प्रचलन से वापस लेना।

दुनिया में और कहाँ कहाँ बंद हुए नोट

वेनेजुएला - वर्ष 2016 में, वेनेजुएला ने अति मुद्रास्फीति से निपटने और आपराधिक नेटवर्क को खत्म करने के लिए 100 बोलिवर के नोट को बंद कर दिया।

जिम्बाब्वे - वर्ष 2015 में, जिम्बाब्वे ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और अति मुद्रास्फीति को रोकने के लिए अपनी मुद्रा को बंद कर दिया। देश ने जिम्बाब्वे डॉलर को अमेरिकी डॉलर से बदल दिया।

अमेरिका - 1873 में अमेरिका ने सोने के मानक को अपनाने और मुद्रास्फीति को रोकने के लिए चांदी को वैध मुद्रा के रूप में बंद कर दिया था।

मॉरीशस – 2018 - 2019 में मॉरीशस ने 2,000 रुपये के कागजी बैंकनोट को 2,000 रुपये के पॉलीमर बैंकनोट से बदल दिया।

केन्या - वर्ष 2019 में केन्या ने पुरानी श्रृंखला के 1,000 के नोटों को बंद कर दिया।

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