समाप्त आर्टिकल 370: जम्मू कश्मीर के लिए बड़ा दिन, 1 साल बाद आया ये दिन
जम्मू-कश्मीर से धारा-370 और 35-ए को समाप्त हुए एक साल पूरा हो गया है। इस एक साल में जहां जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में बदलाव आया है
लखनऊ: जम्मू-कश्मीर से धारा-370 और 35-ए को समाप्त हुए एक साल पूरा हो गया है। इस एक साल में जहां जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में बदलाव आया है, जम्मू-कश्मीर को अब जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के तीन हिस्सों में अलग-अलग कर दिया गया है और इसी के साथ यहां पर अब तक जिन मुद्दो पर राजनीति होती थी वह भी पूरी तरह से बदल गए है। इस बदली स्थिति में अब राज्य में सियासत कर रहे राजनीतिक दल भी भविष्य के राजनीतिक मुद्दों पर मंथन कर रहे है।
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फिलहाल राज्य में अब तक प्रभावी रहे तीन प्रमुख राजनीतिक दलों पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस अभी भी इस पेशेपेश में है कि उनकी आगे की राह क्या होगी। ये पार्टिया धारा-370 हटाने का विरोध तो कर रही है लेकिन साफ एजेंडा नहीं होने के कारण इन तीनो ही दलों के कार्यकर्ता भी भ्रम की स्थिति में है। जबकि भाजपा के पास राज्य में अपनी सियासी हैसियत को मजबूत करने का बड़ा मौका है।
05 अगस्त को धारा-370 और 35-ए जम्मू-कश्मीर से समाप्त किया था
देश को आजादी मिलने के बाद से पिछले साल तक जम्मू-कश्मीर की राजनीति आजादी और स्वायत्ता की के इर्द-गिर्द ही घूमती थी और यहां पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस इसकी मुख्य अलमबरदार थी। लेकिन बीते साल 05 अगस्त को धारा-370 और 35-ए के समाप्त होने के साथ ही इन दोनों ही दलों के यह टिकाऊ और चुनाव जिताऊ मुद्दे निरर्थक हो चुके है। कांग्रेस की बात करे तो वह भी धारा-370 की समर्थन करती रही है। ऐसे में अब जम्मू-कश्मीर की राजनीति नई करवट ले रही है। अब राज्य में ये तीनो राजनीतिक दल किस तरह से आगे की राजनीति को बढ़ायेंगे इस पर मंथन जारी है, फिलहाल अभी कोई रणनीति नहीं बन पायी है।
राज्य में पीडीपी के बारे में बात करे तो पार्टी इस समय बुरे दौर से गुजर रही है। पार्टी की मुखिया महबूबा मुफ्ती बीते साल की 05 अगस्त से ही नजरबंद हैं और अब उनकी नजरबंदी बढ़ा कर आगामी नवम्बर माह तक के लिए कर दी गई है। पार्टी मुखिया के निष्क्रीय होने का असर पार्टी पड़ता दिख रहा है। जमीन स्तर पर पार्टी की सक्रियता खत्म हो गई है तथा कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। धारा-370 के हटने से पहले खून की नदियां बहने की धमकी देने वाली महबूबा की पार्टी 370 हटने के बाद से पूरे साल भर में भी कुछ भी नहीं कर सकी। ऐसे में राज्य की जनता में भी उनकी साख कम हुई है। हालांकि उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती 05 अगस्त को काला दिन बता रही है लेकिन पार्टी की ओर से कोई विरोध नहीं किया गया।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेंस की भूमिका हमेशा से अहम रही है
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेंस की भूमिका हमेशा से अहम रही है। नेशनल कांफ्रेंस भी कश्मीर की स्वायत्ता के मुद्दे पर ही राजनीति करती रही है। 370 समाप्त किए जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के सरपरस्त फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला दोनों को नजरबंद किया गया था लेकिन अब दोनो की नजरबंदी खत्म हो गई है। पार्टी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुला ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले का विरोध करते रहेंगे। यह जम्मू कश्मीर के राजनीतिक इतिहास में एक काला धब्बा है।
उन्होंने कहा कि यह मामला अब भी कोर्ट में है और हमे कोर्ट पर पूरा भरोसा है, फैसला हमारे हक में ही आयेगा। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे नेता भी है जो पूर्ण राज्य का दर्जा मांग रहे है लेकिन हम इस पर सहमत नहीं है। नेशनल कांफ्रेंस की लड़ाई तब तक जारी रहेग जब तक अनुच्छेद 370 दोबारा बहाल नहीं होता। नेशनल कांफ्रेंस की राज्य में जमीनी स्थिति पीडीपी से बेहतर है और उसके कार्यकर्ता सक्रिय भी है। नेशनल कांफ्रेंस ने कल यानी 04 अगस्त को अपने घर पर सभी पार्टियों की एक बैठक भी बुलाई थी लेकिन कई दलों के नेताओं को घर से निकलने की इजाजत नहीं होने के कारण यह बैठक नहीं हो सकी।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेंस की भूमिका हमेशा से अहम रही है
जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की वहीं समस्यां है जो देश के अन्य राज्यों में है। यहां भी कांग्रेस में नेतृत्व की कमी दिखती है। गुलाम नबी आजाद को दिल्ली की राजनीति से फुर्सत नहीं है तो पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज खुद को नजरबंदी में होने का हवाला देकर निष्क्रिय बने हुए है। इसके अलावा आजाद और सोज के बीच खेमेबंदी की खबरे भी है। ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ता दूसरे दलों में अपना भविष्य तलाश रहे है। बीते एक साल में कांग्रेस ने भी 370 समाप्त किए जाने को लेकर राज्य में कही कोई विरोध नहीं किया।
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इन तीन दलों तक सीमित रहने वाली सीमित जम्मू कश्मीर की राजनीति में अब चैथे दल भाजपा ने मजबूती के साथ दस्तक देनी शुरू कर दी है। आकामक प्रदेश अध्यक्ष रवीन्द्र रैना के साथ पार्टी राज्य में अपना विस्तार करने में लगी हुई है। 05 अगस्त को धारा-370 हटाये जाने के एक साल पूरा होने पर बुधवार को सुबह भाजपा नेता रूमिसा रफीक ने श्रीनगर के लाल चैक पर तिरंगा फहराया। फिलहाल भाजपा के लिए राज्य में अपने कदम जमाने के लिए बड़ा मौका है।
रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव
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