ईडी ने शरद पवार के खिलाफ दर्ज किया केस, जानिए पूरा मामला

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राकंपा प्रमुख शरद पवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। बता दें कि ईडी ने ये कार्रवाई महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले के तहत की है।

Update: 2023-06-06 04:30 GMT

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राकंपा प्रमुख शरद पवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। बता दें कि ईडी ने ये कार्रवाई महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले के तहत की है। इसके साथ ही शरद पवार के भतीजे अजित और अन्य के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।

इस पर शरद पवार ने कहा कि मैं जांच एजेंसियों का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने मेरा ऐसे बैंक से नाम से जोड़ा है, जिसका मैं सदस्य ही नहीं हूं। उन्होंने कहा, अब उनको जेल जाने का अनुभव नहीं है लेकिन अगर कोई उनको जेल भेजना चाहता है तो वो इस फैसले का स्वागत करत हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इससे खुशी होगी।

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इन लोगों के नाम हैं शामिल-

ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इन्फोर्समेट केस इन्फर्मेशन रिपोर्ट दर्ज किया है। मुंबई पुलिस की एफआईआर के आधार पर ईडी ने केस दर्ज किया है। इसमें बैंक के पूर्व चेयरमैन, महाराष्ट्र के पूर्व उप-मुख्यमंत्री अजित पवार और कोऑपरेटिव बैंक के 70 पूर्व कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। ईडी ने ये कार्रवाई उस वक्त की है, जब महाराष्ट्र में 6 महीन के अंदर विधानसभा चुनाव आने वाले हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते 22 अगस्त को महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम में एनसीपी नेता अजित पवार और 69 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। जब ईडी ने जांच की तो उसके बाद शरद पवार का नाम बढ़ाया गया।

जानिए क्या है मामला?

दरअसल, शिकायत में बताया गया है कि बैंक को 2007 से 2011 के बीच करीब 1 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके लिए नाबार्ड और महाराष्ट्र सहकारिता विभाग की ओर से दायर याचिका में अजित और बैंक के दूसरे निदेशकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। याचिका में कहा गया है कि बैंक अधिकारियों की निष्क्रियता और उनके द्वारा लिए गए निर्णय के चलते बैंक को इतना नुकसान हुआ है।

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नाबार्ट की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक शकर कारखानों को बड़े पैमाने पर कर्ज देने में नियमों का उल्लंघन किया गया है। इस समय अजीत बैंक के निदेशक थे। इस रिपोर्ट के बाद भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया गया था।

इस मुद्दे पर पहले सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने साल 2015 और 29 जनवरी को पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज किया था। इसके बाद वकील एसबी तलेकर के माध्यम से एफआईआर दर्ज किए जाने के मांग के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

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