PF Pension पर फैसला: सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, मिल सकती है बड़ी राहत
देश की सबसे बड़ी अदालत ने अगर ईपीएफओ के खिलाफ हुए फैसले को बरकरार रखा तो लाखों पेंशनभोगियों की पेंशन में भारी इजाफा हो सकता है। न्यायमूर्ति यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ आज यानी 18 जनवरी को याचिकाओं पर विचार करेगी।
नई दिल्ली: देश के लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जरूरी खबर आने वाली है। पीएफ से मिलने वाले पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ श्रम और रोजगार मंत्रालय और EPFO की तरफ से दायर पुनर्विचार याचिका पर आज सुनवाई है।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने अगर ईपीएफओ के खिलाफ हुए फैसले को बरकरार रखा तो लाखों पेंशनभोगियों की पेंशन में भारी इजाफा हो सकता है। न्यायमूर्ति यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ आज यानी 18 जनवरी को याचिकाओं पर विचार करेगी। इससे पहले केरल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ पेंशनरों के पक्ष में फैसला सुनाया है।
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ये है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2019 को कर्मचारी पेंशन योजना के मासिक पेंशन पर केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। इसके बाद श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ द्वारा दायर समीक्षा याचिके के बावजूद उच्च न्यायलय के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 जुलाई 2019 को दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करने का आदेश दिया। हालांकि इस संबंध में आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। इस बीच संसदीय स्थायी समिति ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था।
फैसला आया तो बदल जाएगा स्ट्रक्चर
जानकारी के मुताबिक अगर आज सर्वोच्च न्यायालय अपने फैसले को आगे बढ़ाता है, तो EPFO से मिलने वाले पेंशन के स्ट्रक्चर में भारी बदलाव हो सकता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा EPFO ग्राहकों के PF खाते के संबंध में है। इस संबंध में, श्रम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कैबिनेट समिति को इस संबंध में कुछ सुझाव दिए हैं। इन अधिकारियों का विचार था कि EPFO को जारी रखने और फंड को ज्यादा प्रासंगिक बनाने के लिए, संरचनात्मक परिवर्तन किए जाने लिए, संरचनात्मक परिवर्तन किए जाने की जरूरत है।
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हर महीने 1,000 रुपये पेंशन मिलती है
आपको बता दें कि ईपीएफओ में 23 लाख से ज्यादा पेंशनभोगी हैं, जिन्हें हर महीने 1,000 रुपये पेंशन मिलती है। जबकि पीएफ में उनका योगदान इसके एक चौथाई से भी कम है। अधिकारियों ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में मैनेजमेंट में मुश्किलें आएंगी। यही कारण है कि इसे ज्यादा प्रासंगिक बनाने के लिए पहल की जानी चाहिए।