Mahua Moitra: महुआ मोइत्रा की रद्द हुई संसद सदस्यता, TMC नेता बोलीं- यह BJP के अंत की शुरुआत

Mahua Moitra: शुक्रवार को लोकसभा की आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने सदन के पटल पर वह रिपोर्ट रखी जिसमें तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई है।

Written By :  Ashish Kumar Pandey
Update:2023-12-08 15:30 IST

Mahua Moitra    (photo: social media )

Mahua Moitra: पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा की सदस्यता से शुक्रवार को निष्कासित कर दिया गया। लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। फैसले के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा कि एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है। यह आपके अंत की शुरुआत है।

और लोकसभा अध्यक्ष ने नहीं दी इसकी इजाजत

लोकसभा में चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने आसन से कई बार यह आग्रह किया कि महुआ मोइत्रा को सदन में उनका पक्ष रखने का मौका दिया जाए। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले इसकी इजाजत नहीं दी। उन्होंने इसके लिए संसदीय परिपाटी का हवाला दिया।

नौ नवंबर को की गई थी रिपोर्ट

इससे पहले भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था।

छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में किया था मतदान

समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। वहीं समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति जताई थी। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को फिक्स्ड मैच करार देते हुए कहा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत में कोई भी दम नहीं है।

और महुआ ने कही यह बात

लोकसभा सदस्य के रूप में अपने निष्कासन पर टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने कहा कि अगर इस मोदी सरकार ने सोचा कि मुझे चुप कराकर वे अदाणी मुद्दे को खत्म कर देंगे, मैं आपको यह बता दूं कि इस कंगारू कोर्ट ने पूरे भारत को केवल यह दिखाया है कि आपने जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। यह दर्शाता है कि अदाणी आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं और आप एक महिला सांसद को रोकने के लिए उसे किस हद तक परेशान करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है। यह आपके अंत की शुरुआत है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा की आचार समिति, इसकी रिपोर्ट ने सभी नियमों को तोड़ा है। यह हमें झुकने के लिए मजबूर करने का एक हथियार है। मुझे उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है। आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य, स्वीकृत है तथा जिसे प्रोत्साहित किया गया है। आचार समिति के निष्कर्ष पूरी तरह से दो व्यक्तियों की लिखित गवाही पर आधारित हैं, जिनके कथन असल में एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं।

500 पेज की रिपोर्ट कई अहम सिफारिशें

समिति ने 500 पेज की रिपोर्ट बनाई थी। इसमें संसद की गरिमा को बचाने व राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्व देने के लिए कई अहम सिफारिश की गई थीं। महुआ पर रिश्वत लेकर अदाणी समूह के खिलाफ कारोबारी हीरानंदानी को लाभ पहुंचाने के लिए सवाल पूछने के आरोप हैं। खुद महुआ मोइत्रा ने यह स्वीकार किया था कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के पोर्टल से जुड़ी अपनी आईडी-पासवर्ड साझा किए थे। हीरानंदानी ने महुआ को रिश्वत देने की बात स्वीकारी थी।

BJP Vs TMC: ममता पर गिरिराज के बयान पर भड़कीं महुआ मोइत्रा, कवि दिनकर की कविता का जिक्र कर साधा निशाना

क्या है कैश-फॉर-क्वेरी केस?

बता दें कि इस पूरे मामले की शुरुआत भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों से शुरू हुई। निशिकांत दुबे ने पिछले दिनों टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रियल स्टेट कारोबारी हीरानंदानी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। निशिकांत दुबे ने ये आरोप महुआ के पूर्व दोस्त जय अनंत देहाद्रई की शिकायत के आधार पर लगाए थे। निशिकांत की शिकायत पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कमेटी का गठन किया था। निशिकांत दुबे ने बिरला को लिखे लेटर में गंभीर ‘विशेषाधिकार के उल्लंघन‘ और ‘सदन की अवमानना‘ का मामला बताया था। कमेटी ने महुआ मोइत्रा, निशिकांत दुबे समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए थे। विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक में ‘कैश-फॉर-क्वेरी‘ के आरोप पर महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी शामिल थीं, जिन्हें पहले पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। वहीं विपक्षी दलों से संबंधित पैनल के 4 सदस्यों ने असहमति नोट पेश किए थे। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच‘ करार दिया था।


Tags:    

Similar News