Fake Sim Alert: अब फर्जी सिम लिया तो खैर नहीं, 3 साल की जेल के साथ देना होगा इतना जुर्माना, टेलीकॉम विधेयक लोकसभा में पारित

Fake Sim Alert: यह नया विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 की जगह लेगा। इस विधेयक में फर्जी सिम लेने पर 3 साल जेल और 50 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

Update:2023-12-20 23:32 IST

अब फर्जी सिम लिया तो खैर नहीं, 3 साल की जेल के साथ देना होगा इतना जुर्माना, टेलीकॉम विधेयक लोकसभा में पारित: Photo- Social Media

Fake Sim Alert: बुधवार को लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यह विधेयक 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की जगह लेगा। इस विधेयक में सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी देश या व्यक्ति के टेलीकॉम सेवा से जुड़े उपकरणों को निलंबित या प्रतिबंधित करने का अधिकार होने का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक में फर्जी सिम लेने पर 3 साल जेल और 50 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं, विधेयक में उपभोक्ताओं को सिम कार्ड जारी करने से पहले अनिवार्य रूप से बायोमेट्रिक पहचान करने को कहा गया है। नये विधेयक में उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए गैर नीलामी मार्ग प्रदान करने का भी प्रावधान है।

ध्वनिमत से किया गया पारित

इस विधेयक लोकसभा में मंगलवार को पेश किया गया था। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे सदन में चर्चा और बहस के लिए रखा था। व्यापक चर्चा के बाद बुधवार को इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया। निलंबन के बाद अधिकांश विपक्षी सदस्य सदन में उपस्थित नहीं हुए थे।

इस बिल को लेकर लोकसभा में अश्विनी वैष्णव ने बहस का जवाब देते हुए कहा कि ये विधेयक जनता के हित में, सार्वजनिक आपातकाल के मामले में संदेशों के प्रसारण को रोकने और अवरोधन करने का प्रावधान करता है। यह नया विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 की जगह लेगा। इस विधेयक में फर्जी सिम लेने पर 3 साल जेल और 50 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं, विधेयक में उपभोक्ताओं को सिम कार्ड जारी करने से पहले अनिवार्य रूप से बायोमेट्रिक पहचान करने को कहा गया है।

विज्ञापन के लिए पूर्व अनुमति जरूरी

विधेयक के अनुसार कंपनियों को प्रचार-विज्ञापनों के प्रसार के लिए उपभोक्ताओं की पूर्व अनुमति लेनी होगी। अधिक मूल्य की वसूली पर ट्राई सही कीमत तय करेगा। साथ ही, जांच के साथ कार्रवाई भी कर सकेगा।

ओटीटी दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा से होगा बाहर

नए विधेयक में उद्योग जगत की चिंताओं का ख्याल रखते हुए ओवर द टॉप (ओटीटी) या इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग को दूरसंचार की परिभाषा में नहीं रखा गया है। इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे संचार सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी।

स्पेक्ट्रम आवंटन का प्रस्ताव

इस विधेयक से दूरसंचार कंपनियों के लिए कई अहम नियम सरल तो होंगे ही, इसके जरिये उपग्रह सेवाओं के लिए भी नए नियम भी लाए जाएंगे। इसमें उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए गैर-नीलामी का मार्ग उपलब्ध कराने के प्रावधान हैं। परिभाषित किया गया है कि किस परिस्थिति में प्रशासनिक तरीके से स्पेक्ट्रम आवंटित किए जाएंगे।

प्रतिबंधित होने पर ही प्रेस संदेशों पर लगेगी रोक

विधेयक के अनुसार, केंद्र या राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के भारत में प्रकाशन के लिए जारी किए गए प्रेस संदेशों को तब तक रोका नहीं जाएगा, जब तक कि उनके प्रसारण को सार्वजनिक आपातकाल, सार्वजनिक व्यवस्था के लिए लागू नियमों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया हो।

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